कमाई के बहाने शिक्षिका से 21 लाख की ठगी करने वाला राजस्थान से गिरफ्तार

बिलासपुर। बिलासपुर से राजस्थान के अंदरूनी इलाकों तक लगभग 5 हजार किलोमीटर का लंबा सफर कर क्राइम ब्रांच व तोरवा पुलिस ने आनलाइन ठगी करने वाले गिरोह के 4 सदस्यों को पकड़ लिया है। उनके पास से 1 लाख 97 हजार रुपए नकद, 1 लैपटाप, 4 मोबाइल, विभिन्न बैंकों के एटीएम कार्ड, 1 पेटीएम कार्ड, चेकबुक जब्त की गई है। वहीं उनके बैंक खातों में जमा 16 लाख 62 हजार रुपए सीज व 4 लाख 46 हजार रुपए होल्ड कराया गया है।
एसएसपी पारूल माथुर ने बताया कि सांईधाम कालोनी निवासी अमलेश लहरी को कमीशन में अधिकतम राशि का प्रलोभन देकर 21 लाख 53 हजार रुपए की ठगी कर ली गई थी। आरोपियों ने उनके मोबाइल पर टेलीग्राम एप के जरिए लिंक भेजा। मेंटोर रामा एप डाउनलोड कराकर कमीशन का लालच देकर उक्त रकम की ठगी की गई थी। जब 2 करोड़ रुपए देने का झांसा देकर 10 लाख रुपए और अधिक देने की मांग की गई तो उन्हें ठगी होने का अहसास हुआ था।
मामले को गंभीरता से लेते हुए क्राइम ब्रांच को तकनीकि साक्ष्य एकत्रित कर आरोपियों को पकड़ने का निर्देश दिया गया। क्राइम ब्रांच टीआई हरविंदर सिंह, पूर्व तोरवा टीआई फैजूल शाह के निर्देश पर तकनीकी साक्ष्य एकत्रित करने के बाद प्रभाकर तिवारी, अजय वारे, यूएनशांत कुमार साहू, हेमंत सिंह, अशोक कश्यप, दीपक उपाध्याय, दीपक यादव राजस्थान के लिए रवाना हुए। टीम ने राजस्थान में 5 दिन दौड़भाग कर अलग अलग स्थानों से ठगी करने वाले गिरोह के 4 लोगों को पकड़ लिया है। तोरवा पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।
पकड़े गए आरोपी
* राहुल सुथार पिता दिनेश सुथार 19 साल पाली राजस्थान
* राजकुमार उर्फ राजू सिंधी पिता कन्हैया लाल सिंधी 38 साल मिनय राजस्थान
* हेमराज बैरवा पिता राजकुमार बैरवा 25 साल मिनय राजस्थान
* दीपेश वैष्णव उर्फ दीपू पिता गोविंददास 19 साल लम्बारे राजस्थान
चित्तौड़गढ़ में था मास्टर माइंड
गिरोड का मास्टर माइंड राजस्थान के चित्तौड़गढ़ व अजमेर से गिरोह को संचालित कर रहा था। आरोपियों के पकड़े जाने के बाद उसे छत्तीसगढ़ पुलिस के आने की भनक लग गई और वह भाग गया था। पुलिस ने उसकी पूरी जानकारी हासिल कर ली है, जल्द ही उसे भी पकड़ लिया जाएगा।
200 किलोमीटर दूर बैठते थे सदस्य
मास्टरमाइंड ने कमीशन के लालच में पूरा जाल बिछा रखा था। वह गिरोह के सदस्यों को ग्राहक फंसाने के एवज में कमीशन देता था। वहीं ठगी की रकम ट्रांसफर कराने के लिए छोटे, गरीब लोगों के बैंक खाते में रुपए जमा करता था और निकाल लेता था। उसके एवज में खातेधारकों को कमीशन दिया जाता था। गिरोह के सदस्य 200 किलोमीटर दूर बैठा करते थे।
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