आदिवासियों पर अत्याचार बर्दास्त से बाहर, सरकार आगे आए

आदिवासियों पर अत्याचार बर्दास्त से बाहर, सरकार आगे आए
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बस्तर में लोगों पर पुलिस व सुरक्षा बलों द्वारा की जा रही हिंसा, गैरकानूनी रूप से स्थापित किए जा रहे सुरक्षा कैंप से मानव अधिकारों का हनन हो रहा है।

रायपुर। बस्तर में लोगों पर पुलिस व सुरक्षा बलों द्वारा की जा रही हिंसा, गैरकानूनी रूप से स्थापित किए जा रहे सुरक्षा कैंप से मानव अधिकारों का हनन हो रहा है। आदिवासियों पर अन्याय व अत्याचार बर्दास्त के बाहर है। राज्य सरकार इस संबंध में आगे आए। ऐसा नहीं नहीं हुआ तो 10 जनवरी के बाद आदिवासी एकजुट होकर आर या पार की लड़ाई लड़ेंगे। सोनी सोरी ने मंगलवार को पत्रकारवार्ता में ये बातें कही।

सोनी सोरी ने कहा, बस्तर में सबसे ज्यादा पुलिस फोर्स 1 साल 2 माह की समय अवधि में तैनात है। हमें वहां पुलिस कैंप नहीं चाहिए। उन्होंने राज्य सरकार से सवाल किया, क्या आदिवासी समुदाय नहीं है? आदिवासी इलाकों में कैंप लगाना, रोड बनाना है, तो वहां पेशा कानून और ग्रामसभा है ना। उनसे सरकार सलाह क्यों नहीं लेती। वर्तमान में बुर्जी व अन्य धरना स्थलों पर बड़ी संख्या में तैनात पुलिस व सुरक्षा बल को तुरंत हटाया जाए।

पत्रकारों से चर्चा करते हुए मूल निवासी बचाओ बस्तार संभाग, पीयूसीएल के पदाधिकारियों ने संयुक्त रूप से कहा, बस्तर के लोगों पर पुलिस व सुरक्षा बल द्वारा हिंसा की जा रही है, जो कि गलत है। 18 दिसंबर को ग्राम पंचायत कुंदेड़ में 2 परिवारों की 10 एकड़ उपजाउ जमीन जबरन छीनकर नया पुलिस कैंप स्थापित किया जा रहा है, जिसका स्थानीय रहवासियों ने विराेध किया। वहां की पंचायत में फर्जी ग्रामसभा की गई, जिसमें जिला प्रशासन की ओर से ग्रामसभा को 5 लाख रुपए व सरपंच को 1 लाख रुपए देने की बात पुलिस के जवानों द्वारा कही गई है, मगर सरपंच इस बात को नकार रहे हैं। पत्रकारवार्ता में सुनीता पोटम, सोनी सोरी, हिमांशु कुमार सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित रहे।

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