टेली-प्रैक्टिस प्रोजेक्ट को पुरस्कार : नए प्रोजेक्ट को अवार्ड ऑफ रिकग्निशन कैटेगरी में दिया गया पुरस्कार

रायपुर। बच्चों के आकलन और प्रैक्टिस को आसान बनाने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग ने परेशानियों को दूर करने के लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र के सहयोग से टेली-प्रैक्टिस नाम का एक कार्यक्रम चलाया है। इस कार्यक्रम के तहत टेलीग्राम में एक ग्रुप बनाकर टीचर्स और स्टूडेंट्स को काम करना होता है। इस नई पहल के नवनियुक्त प्रोजेक्ट को अवार्ड ऑफ रिकग्निशन कैटेगरी दिया गया है।
आईये जानते है कि आखिर क्या है टेली-प्रैक्टिस ???
दरअसल, टेली-प्रैक्टिस एक स्टडी ऐप की तरह है, इसमें बच्चों को सवाल मिलते है। जिनका जवाब बच्चों को तुरंत देना होता है। हर बच्चे के दिये हुए जवाब का अपने आप अलग-अलग वीडियो बन जाता है। इन वीडियो को बाद में शिक्षक देखकर बच्चों का आकलन कर सकते हैं। इस तरह से बच्चे अपने जवाब दिये हुए जवाब को देखकर अगली बार वह गलती नहीं करेंगे। इसके साथ ही आप आगे के सवालों में अच्छे से प्रदर्शन को इम्प्रूवमेंट कर सकेंगे।
पढ़ाई में बच्चों को हुई आसानी
राज्य में टेली-प्रैक्टिस कार्यक्रम पूरी तरह से एनआईसी छत्तीसगढ़ के सहयोग से स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा संचालित किया जा रहा हैं। इसमें पूछे जाने वाले सवाल भी यहां के शिक्षक ही तैयार कर रहे है। विभिन्न संस्थाओं ने राज्य में प्रचलित टेली-प्रैक्टिस को देखा है और उन्हें बच्चों की प्रैक्टिस और शिक्षकों के आकलन संबंधी कार्यों को आसान करने के लिए उपयोगी पाया है। इसे एनआईसी से उनके वरिष्ठ तकनीकी संचालक सोम शेखर के नेतृत्व में तैयार किया गया है।
कार्यक्रम को मिला अवार्ड ऑफ रिकग्निशन कैटेगरी अवार्ड
टेली-प्रैक्टिस प्रोजेक्ट को शनिवार को मोतीलाल नेहरू नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टैक्नोलॉजी प्रयागराज में 19वां CSI SIG egovernance Award 2021 कार्यक्रम में अवार्ड ऑफ रिकग्निशन कैटेगरी से नवाजा गया है। राज्य से इस अवार्ड को स्कूल शिक्षा विभाग से डॉ. एम. सुधीश और एनआईसी की ओर से वरिष्ठ तकनीकी संचालक सोम शेखर समेंत वरिष्ठ वैज्ञानिक ललिता वर्मा ने लिया।
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