बस्तर दशहर : रथ परिक्रमा की शुरुआत, दंतेश्वरी माता के छत्र को रथारूढ़ कर कराया जाएगा नगर भ्रमण

जगदलपुर। पूरा देश मां शक्ति की आराधना में लीन है। वहीं विश्वप्रसिद्ध बस्तर दशहरा (bastar dusshera) की भी शुरूआत हो चुकी है। इसके तहत शनिवार को काछनगादी (kachangadi) की रस्म निभाई गई। नवरात्रि के पहले दिन जोगी बिठाई (jogi bithai) का विधान पूरा किया गया। वहीं सोमवार को इस महापर्व के आकर्षण का केंद्र रथ परिक्रमा (rath parikrama) की शुरुआत हो चुकी है। इस रस्म में आदिवासी पारंपरिक औजारों से बनाए गए विशालकाय रथ की शहर परिक्रमा करवाते हैं। करीब 40 फीट ऊंचे रथ को ग्रामीण खींचते हैं।
बता दें कि बस्तर में रथ परिक्रमा की शुरूआत 1410 ईसवीं में तात्कालिक महाराजा पुरषोत्तम देव ने की थी। उन्होंने जगन्नाथ पुरी (jagannath puri) की यात्रा कर रथपति की उपाधि प्राप्त की थी। तभी से दशहरे के दौरान रथ परिचालन की परंपरा चली आ रही है। रथ में मां दंतेश्वरी (ma danteshwari) के छत्र को रखा जाता और नगर भ्रमण करवाया जाता है। रथ परिचालन और दशहरा (dussehra) पर्व में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु यहां पर पहुंचते हैं। यह रथ चार चक्कों वाला होता है जिसे फुल रथ भी कहा जाता है। वहीं आठ चक्कों वाले रथ को महापर्व के दौरान चुराया जाता है। रथ चुराने के रस्म को ही भीतर रैनी कहा जाता है।
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