दुनिया का मेंबर बनने से पहले अपने घर का मेंबर बनिए : राष्ट्रसंत ललित प्रभ जी

दुनिया का मेंबर बनने से पहले अपने घर का मेंबर बनिए : राष्ट्रसंत ललित प्रभ जी
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पराए घर की बेटी को घर लाना बहुत सरल है, पर उसके दिल को जीतना बहुत बड़ी साधना है। हर सासु मां अपनी बहु को इतना प्रेम दे कि वह अपना पीहर भूल जाएं। और बहुएं अपनी सासु मां को इतना सम्मान दें कि वे बहु ही नहीं बेटी बन जाएं।

राजनांदगांव। परिवार की खुशहाली और पारिवारिक रिश्तों में प्रेम बनाए रखने के लिए हमेशा परिवार के बड़े-बुजुर्गों की सेवा-सुश्रुषा से उनके लाड़-प्यार को निभा लो। एक दिन बुढ़ापा सबको आना है, आज आपने बड़ों की सेवा नहीं की तो कल आपके बच्चे भी वैसा ही करेंगे। वे किस्मत वाले होते हैं, जिनके घर में बड़े-बुजुर्गों का साया होता है। अगर आप अपने घरवालों से वास्तव में प्रेम करते हैं तो याद रखना... कभी भी बड़ों का दिल मत दुखाना। वैसे ही घर के बड़े-बुजुर्ग भी अपना फर्ज निभाएं कि, घर आई बहू को बेटी से भी ज्यादा प्रेम दें। पराए घर की बेटी को घर पर लाना बहुत सरल है, पर उसके दिल को जीतना यह बहुत बड़ी साधना है। हर सासू मां अपनी बहू को इतना प्रेम दे कि वह अपना पीहर भूल जाए। बहुएं अपनी सासू मां को इतना सम्मान दें कि, वे बहू ही नहीं बेटी बन जाएं। घर में जब प्रेम का ऐसा माहौल होता है तब घर स्वर्ग बनता है। जहां रिश्तों में माधुर्य, प्रेम पलता है। राज्य शहर व समाज से पहले परिवार है। समाज के मेम्बर बाद में बन जाना, अगर बनना है तो सबसे पहले अपने घर के मेम्बर बनकर घर के बड़े-बुजुर्गों को सम्हाल लेना।

ये प्रेरक उद्गार राष्ट्रसंत महोपाध्याय श्रीललितप्रभ सागरजी महाराज ने सनसिटी परिवार द्वारा सनसिटी प्रांगण में आयोजित प्रवचन समारोह के दौरान 'परिवार की खुशहाली के 5 टिप्स' विषय पर व्यक्त किए। राष्ट्रसंत चंद्रप्रभजी रचित भावपूर्ण भजन 'स्वर्ग सरीखा लगे सुनहरा, मंदिर सा सुंदर हो, ऐसा अपना घर हो...' का गायन करते हुए संतप्रवर ने श्रद्धालुओं के मानस-पटल पर घर को स्वर्ग कैसे बनाया जा सकता है, इसकी सुंदर तस्वीर उकेरी।

संतप्रवर ने आगे कहा कि आपके सामने चार विकल्प हैं। नंबर एक- ऐसी बूढ़ी महिला जो वृद्धाश्रम में बैठी है। नंबर दो- एक और बूढ़ी महिला जो सड़क किनारे बैठी है। नंबर तीन- एक और बूढ़ी महिला जो अस्पताल में एडमिट है। नंबर चार- आपके घर में रहने वाले आपके बूढ़े दादा-दादी जी जिन्हें आपकी सेवा की जरूरत है। अब जरा बताएं कि आप पहली सेवा कहां से शुरू करेंगे। सीधी-सादी बात है, सेवा की जब शुरुआत करो तो घर से करो। घर का मेम्बर बनकर घर को संभालना यह बहुत बड़ी साधना है। उन माता-पिता की रोज सवेरे धोक लगाया करो, जिन्होंने अपने खून से आपका वपन किया है। अगर आप चार-पांच भाई हैं और जब भी बंटवारे की बात आए तो आप अपना पहला हिस्सा मांग लेना, कोई दुकान, मकान, ओफिस मांगे पर आप अपने हिस्से में मॉँ-बाप को मांग लेना। आपका माला माल होना तय है, क्योंकि इससे बड़ा माल दुनिया में और कोई होता ही नहीं। जिस मां ने आपको जन्म देने गहन प्रसव पीड़ा सही, उस मां के बुढ़ापे में यदि उसे दर्द में जीने की नौबत खड़ी कर देना इससे बड़ा महापाप और क्या हो सकता है।

परिवार को दें ट्रस्ट, टाइम और टॉकिंग

संतप्रवर ने कहा कि याद रखें परिवार की खुशहाली को बनाने के लिए परिवार को तीन चीजें चाहिए- ट्रस्ट, टाइम और टॉकिंग। जितना जरूरी आप यह सोचते हैं कि लोग मुझ पर भरोसा करें, उतना ही जरूरी है आप भी उनका भरोसा न तोड़ें। परिवार को समय दें, परिवारजनों के साथ बैठकर वार्तालाप करें।

कभी न तोड़ें ये चार चीजें

आज संतश्री ने श्रद्धालुओं से चार चीपराए घर की बेटी को घर लाना बहुत सरल है, पर उसके दिल को जीतना बहुत बड़ी साधना है। हर सासु मां अपनी बहु को इतना प्रेम दे कि वह अपना पीहर भूल जाएं। और बहुएं अपनी सासु मां को इतना सम्मान दें कि वे बहु ही नहीं बेटी बन जाएं।हुए वचन को मरते दम तक निभाएं। और चौथा है- कभी किसी का दिल मत तोड़िए। इससे पूर्व श्री शांतिप्रिया सागर जी महाराज ने श्रद्धालु भाई बहनों को जीवन से तीन मंत्र जोड़ने की प्रेरणा देते हुए कहा कि जिंदगी में कभी शिकायत ना करें, दूसरों से तुलना ना करें और कभी किसी की आलोचना ना करें साथ जिंदगी भर सुखी रहेंगे।


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