भगवान भरोसे स्कूल : बच्चों का भविष्य गढ़ने वाले शिक्षक ही रहते हैं नदारद, बच्चे खुद स्कूल खोलते और बंद करते हैं...

रविकांत सिंह राजपूत-मनेंद्रगढ़। ग्रामीण क्षेत्र की स्कूलों में पढ़ाई का स्तर किस कदर है यह तो छत्तीसगढ़ के नवनिर्मित जिला मनेंद्रगढ़ जिले के बिहारपुर संकुल के प्राथमिक शाला ढुलकु से लगाया जा सकता है। शिक्षा के मंदिर में जहां पढ़ने के लिए बच्चे स्कूल आते हैं, लेकिन उन्हें पढ़ाने वाले शिक्षक ही स्कूल से नदारद रहते हैं ।
मनेंद्रगढ़ विकासखण्ड के प्राथमिक शाला ढुलकु में पहली से पांचवी तक के बच्चों को खुद ही पढ़ना पड़ता है। बिहारपुर संकुल के इस स्कूल में कहने को तो दो शिक्षक पदस्थ है, लेकिन बच्चों के बताए अनुसार ग्रामीण जब स्कूल टाइम के दौरान वहां पहुंचे तो पाठशाला से शिक्षक पारसराम वर्मा और किशोर मोनू कुजूर दोनों ही नदारद मिले।
यहां 26 बच्चे करते हैं पढ़ाई
यहां की प्राथमिक स्कूल में 26 छात्र-छात्राएं अध्यन्नरत है, पर जब ग्रामीण स्कूल पहुंचे, तो छात्रों को पढ़ाने वाला वहां कोई नहीं था, बल्कि ब्लैक बोर्ड पर यह लिखा मिला कि बीईओ आफिस गए हैं । बच्चों से जब पूछा गया तो जानकारी मिली की एक शिक्षक किशोर मोनू कुजूर बीईओ आफिस तीन बजे गए हैं, तो दूसरे शिक्षक पारसराम वर्मा जो प्रधानपाठक भी है, वह स्कूल आने के बाद ग्यारह बजे ही ट्रेनिंग में चले गए हैं।
गुरुजनों के पढ़ाई की सच्चाई तो जांच के बाद ही सामने आयेगी
अब इसमें कितनी सच्चाई है, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा। लेकिन स्कूल के पास रहने वाले ग्रामीण बताते हैं कि, यहां रोज कोई न कोई एक शिक्षक गायब रहते हैं और शराब के नशे में भी आते है। जब स्कूल में शिक्षक नहीं हैं, कोई भृत्य नहीं है, तो स्कूल को खोलने और बन्द करने का काम भी बच्चे ही करते हैं । देखिए की किस तरह स्कूल का यह छात्र अंकुश चैनल गेट को खींचकर उसमें ताला लगाने का प्रयास कर रहा है। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि शिक्षा व्यवस्था का भगवान ही मालिक है। देखिए वीडियो ...
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