सीए फाइनल में पहली बार छत्तीसगढ़ का स्टूडेंट देश में टॉपर, भ्रमर अव्वल, दूसरे नंबर पर मुंबई का वैभव

रायपुर. सीए का फाइनल रिजल्ट सोमवार को जारी कर दिया गया। इस बार पहले पायदान पर शहर के भ्रमर जैन हैं। रायपुर के भ्रमर जैन ने पूरे भारत में पहला स्थान प्राप्त किया है। मुबंई से वैभव हरिहरन भी दूसरे स्थान पर रहे हैं। देवेन्द्रनगर निवासी भ्रमर के घर पर उनके अतिरिक्त तीन अन्य सदस्य हैं, जो सीए हैं। उनकी मदद पढ़ाई के दौरान नियमित रूप से लेते रहे। इसका फायदा उन्हें मिला और पहले ही प्रयास में देश में पहले स्थान पर काबिज हो गए। यह पहली बार है, जब छत्तीसगढ़ से किसी ने सीए फाइनल की परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
22 वर्षीय भ्रमर को 800 में 611 अंक मिले हैं। इस तरह 76. 38 प्रतिशत अंक उन्होंने हासिल किए हैं। बातचीत में भ्रमर ने बताया, सीए टॉप करने के बाद अब घर में चार सदस्य सीए बन गए हैं। पिता महावीर प्रसाद जैन ने भी सीए की परीक्षा में छत्तीसगढ़ में टॉप किया था। उन्हें देखकर मुझे भी सीए बनने की प्रेरणा मिली थी। घर पर पिता के साथ बड़े भाई प्रखर जैन व भाभी श्वेता भी सीए हैं। वहीं मां अंजू जैन हाउस वाइफ हैं। घर पर सीए का माहौल मिलने से तैयारी में ज्यादा कठिनाई नहीं हुई।
12वीं में भी किया था टॉप
पढ़ाई संबंधी समस्या के लिए घर के सीए सदस्यों से मदद मिलती थी। सीए की तैयारी के लिए कोचिंग की, लेकिन हमेशा सेल्फ स्टडी पर ज्यादा फोकस किया। नवंबर 2019 से रोज 8 घंटे की पढ़ाई से मुझे भी विश्वास होने लगा था कि टॉप रैंक मिलेगा। सीबीएसई की 12वीं बोर्ड परीक्षा में 96.4 प्रतिशत के साथ रायपुर में टॉप किया था। पिता ने मुझे सीए बनने कभी नहीं कहा। कॅरियर चुनने के लिए उन्होंने स्वतंत्र छोड़ दिया था। जब सीए बनने का फैसला लिया, तो उन्होंने हर समय एक शिक्षक के रूप में गाइड किया।
लक्ष्य बनाकर तैयारी से मिली सफलता
मुंबई शहर के वैभव हरिहरन ने 800 में 601 रैंक हासिल कर दूसरा स्थान प्राप्त किया है। हरिभूमि से विशेष बातचीत में वैभव ने बताया, घर से कोई सदस्य सीए नहीं है। कॉमर्स क्षेत्र में रुचि होने के कारण सीए की तैयारी में 2016 से जुट गया था। 12वीं के बाद से सीए बनने का फैसला लिया था। उनका कहना है, अन्य टॉपर की तरह 18 घंटे की लगातार पढ़ाई पर विश्वास नहीं रखता। 8 घंटे की पढ़ाई और कोचिंग की बदौलत मुझे सफलता मिली है। 2019 से सीए की अंतिम परीक्षा की तैयारी के लिए फोन से दूरी बना ली थी। पढ़ाई के साथ अपनी हॉबी को समय दिया करता था। इसीलिए कभी सीए में टॉप करने दबाव महसूस नहीं हुआ। शुरुआत से मैंने लक्ष्य बनाकर पढ़ाई की थी, जिसका परिणाम मुझे अपनी उम्मीद अनुसार मिला। वैभव के पिता ए. हरिहरन रिटायर्ड शिक्षक हैं, वहीं माता वीणा अध्यापक हैं।
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