झीरम कांड की जांच रिपोर्ट पर वकील की बड़ी पहल : कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष संदीप दुबे ने राज्यपाल से RTI के तहत मांगी रिपोर्ट

रायपुर-बिलासपुर। झीरम कांड की न्यायिक जांच आयोग की रिपोर्ट आने के बाद से छत्तीसगढ़ में खलबली मची हुई है। इसका बड़ा कारण रिपोर्ट को राज्य सरकार को न सौंपकर राज्यपाल को सौंपना है। इसी बीच अब इस मामले में एक और मोड़ आ गया है। वकील और कांग्रेस विधि प्रकोष्ठ के अध्यक्ष संदीप दुबे ने सूचना का अधिकार यानी RTI के तहत दस्तावेज, ऑर्डर शीट सहित राज्यपाल की ओर से की जा रही कार्रवाई की नोट शीट की कॉपी भी मांगी है।
राजभवन को लिखे दो पत्रों में से एक में संदीप दुबे ने राज्यपाल को संबोधित है और दूसरा जन सूचना अधिकारी को। राज्यपाल को लिखे गए पत्र में उन्होंने कहा है कि कई दिनों से समाचारों के माध्यम से जनता के सामने यह बात आ रही है कि जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा एकल सदस्यीय झीरम जांच आयोग ने आपको रिपोर्ट विधिक प्रावधानों के विपरीत दी है। जबकि संवैधानिक पद पर होने के कारण आपको नहीं दी जा सकती है। आगे उन्होंने लिखा है कि समाचार पत्रों में आपके संदर्भ में भी भ्रामक समाचार आ रहे हैं, कि आपने उस गोपनीय जांच रिपोर्ट पर संभवतः कानूनी राय अन्य कार्यवाही करने के लिए प्रक्रिया प्रारंभ की है। कृपया समस्त प्रक्रिया की दस्तावेज, नोट शीट, आर्डर शीट की प्रतियां संलग्न सूचना के अधिकार आवेदन के अंतर्गत प्रदान करें। ऐसा ही पत्र उन्होंने राजभवन के जन सूचना अधिकारी को लिखकर भी RTI के तहत जानकारी मांगी है।
रिपोर्ट सौंपने के बाद से ही मचा है बवाल
झीरम कांड की जांच कर रहे न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा न्यायिक जांच आयोग ने 6 अक्टूबर की शाम राज्यपाल अनुसूईया उइके को जांच रिपोर्ट सौंपी है। आयोग के सचिव और छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार संतोष कुमार तिवारी ये रिपोर्ट लेकर राजभवन पहुंचे थे। न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा अभी आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश हैं। बताया जा रहा है, उनके बिलासपुर से निकलने से पहले ही इस रिपोर्ट को अंतिम रूप दिया गया। यह रिपोर्ट 10 खंडों और 4 हजार 184 पेज में तैयार की गई है।
झीरम घाटी में क्या हुआ था
कांग्रेस नेताओं के काफिले पर 25 मई 2013 को झीरम घाटी में हुए एक नक्सली हमले में 29 लोग मारे गए थे। इसमें कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उनके बेटे दिनेश पटेल, दिग्गज नेता महेंद्र कर्मा, उदय मुदलियार जैसे नाम भी शामिल थे। इस हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल गंभीर रूप से घायल हुए थे। जिनका बाद में इलाज के दौरान निधन हो गया। माना जाता है कि यह देश में किसी राजनीतिक दल पर हुआ सबसे बड़ा हमला था। इस कांड में किसी तरह के राजनीतिक षडयंत्र की बात भी उठी थी।
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