बड़ी खबर : MP में शिक्षक भर्ती उम्मीदवारों ने मांगी ईच्छामृत्यु, शिक्षक दिवस नहीं, काला दिवस मनाने की तैयारी

बड़ी खबर : MP में शिक्षक भर्ती उम्मीदवारों ने मांगी ईच्छामृत्यु, शिक्षक दिवस नहीं, काला दिवस मनाने की तैयारी
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शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करके नियुक्ति का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों ने अपनी मांगें सरकार तक पहुंचाने के लिए हर जिले में मुंडन की तैयारी की है, पढ़िए पूरी खबर-

भोपाल। प्रोफेशनल एग्जामिनेशन बोर्ड की शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने के बाद नियुक्ति का इंतजार कर रहे उम्मीदवारों ने सोशल मीडिया पर जबरदस्त अभियान चलाया है । उन्होंने अपनी मांगों को सरकार तक पहुंचाने के लिए ट्विटर पर टॉप ट्रेंड कराया परंतु कोई असर नहीं पड़ता देख निराश उम्मीदवार मध्यप्रदेश के हर जिले में अब मुंडन की तैयारियां कर रहे हैं। खबर है कि उन्होंने राज्यपाल से ईच्छामृत्यु की मांग की है।

शिक्षक भर्ती परीक्षा के अभ्यर्थियों ने कुछ दलीलें भी पेश की हैं। उनकी दलील है कि 'सितंबर 2018 में स्कूल शिक्षा विभाग और आदिम जाति कल्याण विभाग दोनों में माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षक की कुल 30594 पदों पर पात्रता परीक्षा हेतु विज्ञापन जारी किया गया, दोनों विभागों में एक ही पात्रता परीक्षा द्वारा भर्ती करवाई जाना तय था।'



अभ्यर्थी कहते हैं कि 'उच्च माध्यमिक शिक्षक और माध्यमिक शिक्षकों के लिए ऑनलाइन पात्रता परीक्षा कार्यक्रम दिसंबर 2018 में प्रस्तावित था, लेकिन विधानसभा चुनाव का बहाना लेकर इनको तीन महीने टालते हुए फरवरी और मार्च में संपन्न करवाया गया, जिसको करवाने के लिए अभ्यर्थियों को हर जिले में ज्ञापन और धरना प्रदर्शन करना पड़ा था।'

उम्मीदवारों ने कहा है कि 'ऑनलाइन पात्रता परीक्षा आयोजित होने के बाद मई 2019 में लोकसभा चुनाव में लगी आचार संहिता का बहाना लेकर परीक्षा परिणाम बनाने पर काम शुरू नहीं किया गया, जून से परीक्षा परिणाम बनाने पर काम शुरू किया गया, लेकिन विडंबना देखिए कि ऑनलाइन परीक्षा करवाने के बावजूद फरवरी में हुई उच्च माध्यमिक शिक्षक की परीक्षा का परिणाम 28 अगस्त 2019 को जारी किया गया, ठीक इसी प्रकार मार्च में संपन्न हुई माध्यमिक शिक्षक की परीक्षा कर परिणाम 26 अक्टूबर 2019 को जारी किया गया, दोनों ही परीक्षाओं का परिणाम जारी करवाने लिए मध्यप्रदेश में अभ्यर्थियों को व्यापक स्तर पर ज्ञापन, धरना प्रदर्शन करना पड़ा, यहाँ तक कि लेट लतीफी के खिलाफ हाई कोर्ट में रिट पिटीशन भी दायर करनी पड़ी थी।'



'पात्रता परीक्षा परिणाम घोषित होने के बाद उम्मीद थी कि तुरंत दोनों विभागों द्वारा भर्ती का विज्ञापन और विषयवार पद जारी किए जाएंगे, लेकिन ढीला ढाला मौज मस्ती वाला रवैय्या अपनाते हुए तीन महीने के हनीमून पीरियड के बाद शिक्षा विभाग उच्च माध्यमिक शिक्षक और माध्यमिक शिक्षकों के लिए विज्ञापन और विषयवार पद की जानकारी जनवरी 2020 में जारी करता है, एक महीने बाद फरवरी 2020 में मेरिट और वेटिंग लिस्ट जारी की जाती है, उसके बाद मार्च 2020 में अभ्यर्थियों दस्तावेज सत्यापन का जिला पूछते हुए दस्तावेज अपलोड करवाये जाते हैं, जिनका सत्यापन अप्रैल 2020 में करवाना सुनिश्चित किया गया था, लेकिन लॉक डाउन लगने के कारण इसको तीन महीने अप्रैल, मई, जून के लिए रोक दिया गया।'

'जून 2020 में अभ्यर्थियों को फिर से अपने पसंद का जिला दस्तावेज सत्यापन हेतु चुनने का मौका दिया गया ताकि जो जिस जिले में है वहाँ दस्तावेज सत्यापन करवा सके, 1 जुलाई से 3 जुलाई तक दस्तावेज सत्यापन हुआ जिसमें करीब आधे अभ्यर्थियों का दस्तावेज सत्यापन पूरा हो गया, जिसमें नौकरी चाहने वाले अभ्यर्थियों की उपस्थिति शत प्रतिशत रही, लेकिन अचानक 4 जुलाई को परिवहन के बहाने को आगे करते हुए विभाग ने दस्तावेज सत्यापन रोक दिया।'

'अब पूरी जुलाई में विभाग के अधिकारियों और नए शिक्षा मंत्री महोदय से ज्ञापन इत्यादि के साथ संपर्क करने पर बताया गया है कि कुछ नियमों में नई सरकार परिवर्तन करेगी फिर दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया शुरू की जाएगी, लेकिन फिलहाल कोई भी गतिविधि विभाग द्वारा नहीं की जा रही है।'



उन्होंने कहा है, 'हमारी माँग है कि अगस्त में दस्तावेज सत्यापन, फाइनल मेरिट, स्कूल अलॉटमेंट और जॉइनिंग का शेड्यूल जारी किया जाए तथा सितंबर समाप्त होने से पहले सारी प्रक्रिया को पूर्ण करवाते हुए जॉइनिंग दी जाए।'

उम्मीदवारों ने चेतावनी दी है कि 'अगर सरकार द्वारा चयनित 30594 अभ्यर्थियों को जुलाई समाप्त होने से पहले जॉइनिंग की तारीख नहीं देती है तो 28 अगस्त को रिजल्ट जारी होने की प्रथम पुण्यतिथि मनाते हुए पूरे प्रदेश में प्रत्येक जिले में मुंडन कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें सरकार द्वारा दो साल दी गई लगातार प्रताड़ना का प्रदर्शन किया जाएगा, आगामी 5th सितंबर को शिक्षक दिवस के अवसर पर हम सभी भोपाल में एकत्र होकर आमरण अनशन पर बैठेंगे और शिक्षक दिवस को काला दिवस के रूप में मनाएंगे, जिसकी सारी जिम्मेदारी सरकार की होगी।'

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