बड़ी ख़बर: ओमिक्रोन की जांच अब भुवनेश्वर भरोसे नहीं रहेगी, यूएसए की संस्था ने राजधानी में जीनोम सिक्वैसिंग का दिया प्रस्ताव

रायपुर: कोरोना के नए वैरिएंट का पता लगाने मेडिकल कालेज रायपुर के वायरोलॉजी लैब को अपडेट करने की योजना है। इसके लिए यूएसए की संस्था द्वारा स्वास्थ्य विभाग को प्रस्ताव दिया गया है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ कोरोना वेरिएंट की जांच के लिए भुवनेश्वर लैब के भरोसे है।
पिछले बीस माह से प्रदेश को प्रभावित करने वाले कोरोना ने स्वरुप बदल-बदलकर लोगों को अपना शिकार बनाया है। उसका नया वैरिएंट कभी कमजोर और कभी पॉवरफुल रहा है। वर्तमान में छत्तीसगढ़ में जीनोम सिक्वैसिंग के लिए सैंपल भुवनेश्वर लैब भेजे जाते है, जहां से रिपोर्ट मिलने में दस दिन का वक्त लग जाता है। कोरोना के लगातार और बदलते स्वरुप के बारे में जानने के लिए प्रदेश में जीनोम सिक्वैसिंग की सुविधा प्रारंभ करने की जरुरत महसूस की जा रही है। सूत्रों के मुताबिक कोरोना के बदलते स्वरुप की जांच के लिए रायपुर मेडिकल कालेज के वायरोलॉजी लैब को अपडेट कर जीनोम सिक्वैसिंग की सुविधा प्रारंभ करने की योजना है। इसके लिए स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर पर तैयारियों में जुटा है। दूसरी ओर अमेरिका की कंपनी ने इसके लिए संसाधन जुटाने की पेशकश की है। वायरोलॉजी लैब को अपडेट करने लगभग चार करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। कोरोना के नए वैरिएंट का पता लगाने लैब को आईसीएमआर से अनुमति मिलते ही जांच यहीं किया जा सकेगा।
एम्स को मंजूरी का इंतजार
एम्स के वायरोलॉजी लैब को कोरोना की दूसरी लहर के बाद जीनोम सिक्वैसिंग के लिए अपडेट किया जा चुका है। वहां जांच की अनुमति के लिए आईसीएमआर को पत्र भेजा गया है, जिसमें स्वीकृति का इंतजार किया जा रहा है। कोरोनाकाल के दौरान सबसे पहले एम्स को कोरोना जांच के लिए अनुमति मिली थी।
मिला है प्रस्ताव
जीनोम सिक्वैसिंग की सुविधा के लिए प्रस्ताव मिला है। स्वास्थ्य विभाग अपने स्तर पर व्यवस्था जुटाने का प्रयास कर रहा है। इनके प्रस्ताव पर विचार किया जाएगा। संबंधित संस्था पिछले आठ-नौ साल से प्रदेश में यूनिसेफ की मदद से काम कर रही है।
- टीएस सिंहदेव, स्वास्थ्य मंत्री
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