Raipur: पंचायत भवन की नई बिल्डिंग बनाने में बड़ी चूक, मीटिंग हॉल बनाने में लाखों पैसे फूंक डाले

राजधानी रायपुर (Raipur) स्थित जिला पंचायत भवन की चार मंजिला बिल्डिंग में कर्मचारियों के लिए लाखों रुपए खर्च कर फूड कोर्ट (Food Court) बनाया गया है, जिसमें डाइनिंग टेबल, कुर्सी से लेकर फ्रीज और पेयजल की व्यवस्था भी की गई है। इसके बावजूद इस फूड कोर्ट का कोई उपयोग नहीं हो पा रहा है। ज्यादातर कर्मचारी दोपहर में लंच करने के लिए बिल्डिंग के ग्राउंड परिसर में बैठना पसंद करते हैं। इसी प्रकार भवन की तीसरी मंजिल में मीटिंग हॉल होने के बावजूद दूसरी मंजिल में ही एक और मीटिंग हॉल बनाया गया है। इस मीटिंग हॉल की पोताई से लेकर टेबल व कुर्सियों सहित अन्य सामग्री की सुविधाओं में लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। जबकि इस मीटिंग हॉल का उपयोग भी नहीं के बराबर होता है। इस तरह लगभग 35 से 40 लाख रुपए खर्च कर फूड कोर्ट और मीटिंग हॉल बनाया गया है, जिसका उपयोग तक नहीं हो रहा है।
दो मीटिंग हॉल के बावजूद सभा की बैठक रेड क्रॉस भवन में
जिला पंचायत भवन की बिल्डिंग में दो मीटिंग हॉल होने के बावजूद सामान्य सभा की बैठक रेड क्रॉस भवन (Red Cross Building) में की जाती है। वहीं बिल्डिंग की तीसरी मंजिल में बने मीटिंग हॉल में बैठने की क्षमता 50 से ज्यादा लोगों की है, लेकिन इसके बावजूद बिल्डिंग में एक और हॉलनुमा कमरे को मीटिंग हॉल में तब्दील कर दिया गया है। इस मीटिंग हॉल में भी 20 से 25 लोगों की बैठने की सुविधा है। जिला पंचायत (District Panchayat) के विभागीय अधिकारियों का कहना है कि किसी एक विभाग की या छोटी बैठक करने के लिए यह मीटिंग हॉल बनाया गया है, जबकि पिछले कई महीनों से इस मीटिंग हॉल में एक भी बैठक नहीं हो पाई है। यहां तक कि जिला पंचायत की सामान्य मीटिंग की बैठक के लिए जिला पंचायत अभी भी रेडक्राॅस भवन के ही भरोसे है। इससे पता चलता है कि जिला पंचायत की बिल्डिंग में मीटिंग हॉल को बनाने में सिर्फ पैसों की बर्बादी की गई है।
कलेक्ट्रेट अधिकारियों के कमरों में लाखों खर्च
कलेक्ट्रेट भवन (Collectorate Building) को नया स्वरूप देने के लिए शासन ने 29 करोड़ से अधिक बजट की स्वीकृति दे दी है। इस स्वीकृति के बाद प्रशासनिक स्तर पर कलेक्ट्रेट भवन को तोड़कर नया रूप देने की प्लानिंग की जा रही है। इसके तहत कलेक्ट्रेट परिसर में अंग्रेजों के जमाने का बना भवन भी टूट सकता है। इस भवन में कई अधिकारियों ने अपने कक्ष को लाखों रुपए खर्च कर नवीनीकरण कर लिया है।
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प्रस्ताव कई सालों से अटका
कलेक्ट्रेट के स्वरूप देने की प्लानिंग पिछले कई सालों से चल रही है। इसे लेकर शासन को प्रस्ताव भी भेजा था, जो अभी तक लंबित था। इससे अवगत होने के बावजूद कलेक्ट्रेट में कुछ विभागों के अधिकारियों के कक्ष के नवीनीकरण पर लाखों रुपए खर्च किए गए हैं। ऐसे में प्रशासन की प्लानिंग में अगर इन अधिकारियों के कक्षों को तोड़ा जाता है, तो उन कमरों में खर्च किए गए लाखों रुपए बर्बाद हो जाएंगे।
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