मानसून का शुभ संकेत लेकर आए पक्षी : गांव वाले देवदूत मानकर करते हैं सेवा...35 साल से लगातार आ रहे प्रवासीय पक्षी

मानसून का शुभ संकेत लेकर आए पक्षी : गांव वाले देवदूत मानकर करते हैं सेवा...35 साल से लगातार आ रहे प्रवासीय पक्षी
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एशियन ओपन बिल स्ट्रोक ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। खरोरा स्तिथ ग्राम पंचायत पचरी में इन दिनों प्रवासी पक्षी पहुंच रहे हैं। हालांकि मानसून के वक्त यहां पर 35 साल से लगातार प्रवासीय पक्षी यहां पर आते है।...पढ़े पूरी खबर

भरत कुंभकार/खरोरा- एशियन ओपन बिल स्ट्रोक ने एक बार फिर दस्तक दे दी है। खरोरा स्तिथ ग्राम पंचायत पचरी में इन दिनों प्रवासी पक्षी पहुंच रहे हैं। हालांकि मानसून के वक्त यहां पर 35 साल से लगातार प्रवासीय पक्षी यहां पर आते है। वहीं पक्षियों के गांव में आता देख ग्रामीण इसे मानसून का दस्तक मानकर कृषि कार्य में जुट जाते हैं। यहीं नहीं इन प्रवासी पक्षियों को गांव वाले देवदूत की तरह मानते हैं और इनकी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हैं। जून महीने की शुरुआत होते ही इन पक्षियों का पचरी गांव में आना शुरू हो जाता है, जैसे-जैसे बारिश अधिक होगी, वैसे-वैसे तालाबों में पानी बढ़ेगा तो इसकी संख्या में लगातार वृद्धि होती जाएगी। गांव के पीपल, आम, बरगद , इमली के पेड़ इन पक्षियों का बसेरा हैं। फिलहाल, गांव में नजर आ रहे करीबन 2 हजार पक्षियों की संख्या आने वाले समय में बढ़कर 8 से 10 हजार तक हो जाएगी।

पक्षियों के आने से अच्छी फसल और अच्छी बारीश की उम्मीद...

एशियन ओपन बिल स्ट्रोक के नाम से जाने जाने वाले इन पक्षियों का यह प्रजनन काल होता है। दीपावली के बाद बच्चों के बड़े होते ही यह गांव छोड़ देते हैं। ग्रामीण की माने तो मानसून का शुभ संकेत लेकर इन पक्षियों का आना शुरू होता है। इन पक्षियों के आने का क्रम पीढ़ियों से चला आ रहा है। वे बचपन से इन्हें देखते आ रहे हैं। गांव वाले इन पक्षियों को देवदूत की तरह मानते हैं। जिनके आने से गांव में अच्छी बारिश के साथ अच्छी फसल की उम्मीद जगती है। यही वजह है कि गांव में 6 से 7 महीने तक रहने वाले इन पक्षियों की देखभाल भली-भांति करते हैं।

दूर देश से यात्रा कर आते हैं पक्षी...

प्रवासी पक्षी एशियन ओपन बिल स्ट्रोक का वैज्ञानिक नाम एनास्टोमस ओसिटेंस है। यह पक्षी बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, भारत, लाओस, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, पाकिस्तान, श्रीलंका, थाईलैण्ड व वियतनाम में बहुतायत मात्रा में पाए जाते हैं। इन पक्षी का प्रजनन काल भी जुलाई माह में प्रारंभ होता है। प्रजनन के लिए यह पक्षी प्रायः उन स्थानों की तलाश करते हैं, जहां पानी और पर्याप्त आहार की मिलता हो।

बरसात के दिनों में बाहर आते हैं नन्हें पक्षी...

छत्तीसगढ़ में यह पक्षी बहुत ही कम गांवो देखे जाते हैं। ये पक्षी गांव के बबूल, पीपल, बरगद और इमली के पेड़ों में घोसला बनाकर रहते हैं। इसके साथ ही ये प्रणय क्रिया भी जारी रखते हैं। जुलाई माह आते ही मादा पक्षी घोसला में अण्डा दे देती है और फिर कुछ समय बाद जब इनके नन्हें पक्षी बाहर आते है, तो पूरा गांव में खुशी की लहर देखने को मिलती है।

कीड़े-मकोड़े खाकर फसलों की करते हैं रक्षा

बता दें, पचरी गांव में प्रजनन के लिए पहुंचे प्रवासी पक्षियों एशियन ओपन बिल स्ट्रोक का खास आहार मछली, घोंघा, केकड़ा और अन्य कीट होते हैं। प्रवासीय पक्षी इन सभी जीव-जन्तुओं को भोजन के रूप में लेते हैं। यहीं नहीं गांव के खेतों के कीटों को भी ये पक्षी चुन-चुनकर खा जाते हैं। जिससे गांव के किसी भी किसान के खेतों की फसल में कोई बीमारी नहीं लगती और हर साल किसानों को फसल में अच्छा मुनाफा होता है। किसानों की माने तो इन्हीं देवदूतों के कारण आज तक गांव में ना ही बीमारी आई और ना की अकाल पड़ा।

गाव वाले करते हैं इन पक्षियों की रक्षा...

ग्राम पंचायत पचरी में नवयुवक मंडल के सदस्यों ने बताया कि, ये पक्षी हमारे गांव के लिए बेहत महत्वपूर्व हैं। रात के समय बाहर के लोग आ कर इन पक्षी को और इनके अंडो को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करते हैं। जिनकी सुरक्षा के लिए युवाओं की एक टीम बनाई गई है, जो इनकी रक्षा करते है।


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