भाजपा प्रवक्ता श्रीवास्तव बोले- रेत का रेट जनता को रुला रहा, सरकार माफिया को दे रही संरक्षण

भाजपा प्रवक्ता श्रीवास्तव बोले-  रेत का रेट जनता को रुला रहा, सरकार माफिया को दे रही संरक्षण
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भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि प्रदेश की जनता को रेत के रेट ने रुला रखा है जबकि रेत माफिया को सरकार सरंक्षण दे रही है। रेत माफिया सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक संरक्षण में बेखौफ छत्तीसगढ़ की रेत उत्तरप्रदेश में बेच रहे हैं और प्रदेश के खजाने को चूना लगा रहे हैं लेकिन कमीशनखोरी के चलते प्रदेश सरकार इन रेत माफिया के गोरखधंधे पर रोक नहीं लगा रही है।

भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता संजय श्रीवास्तव ने कहा है कि प्रदेश की जनता को रेत के रेट ने रुला रखा है जबकि रेत माफिया को सरकार सरंक्षण दे रही है। रेत माफिया सत्तारूढ़ दल के राजनीतिक संरक्षण में बेखौफ छत्तीसगढ़ की रेत उत्तरप्रदेश में बेच रहे हैं और प्रदेश के खजाने को चूना लगा रहे हैं लेकिन कमीशनखोरी के चलते प्रदेश सरकार इन रेत माफिया के गोरखधंधे पर रोक नहीं लगा रही है।

श्री श्रीवास्तव ने सरगुजा संभाग के बलरामपुर जिले में पांगन नदी से बेहिसाब रेत उत्खनन का हवाला देते हुए कहा है कि पाबंदी के बाद भी पोकलेन के जरिए रेत उत्खनन में लगा माफिया गिरोह पांगन नदी को खोखला करने पर आमादा हैं लेकिन इन पर कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। इस नदी से रोजाना 150 ट्रक रेत निकाली जा रही है।

श्री श्रीवास्तव ने कहा कि यहां की रेत उत्तरप्रदेश के विभिन्न शहरों में हजारों रुपए का मुनाफा कमाते हुए बेची जा रही है। कांग्रेस शासनकाल में रेत माफिया ने प्रदेशभर को रेत के गोरखधंधे का अड्डा बना रखा है। प्रदेश के राजधानी समेत अन्य कई जिलों में तो उत्खनने के बाद रेत के टीले खड़े कर दिए गए हैं।

श्री श्रीवास्तव ने कहा है कि रेत माफिया का दुस्साहस इतना बढ़ गया है कि प्रदेशभर में हजारों घनमीटर रेत का अवैध भंडारण किया गया है जिससे रेत की कीमत आसमान छू रही है। खनिज विभाग द्वारा छापेमारी के बावजूद रेत की कीमतों पर लगाम नहीं लगी है और अब लगने लगा है कि खनिज विभाग दिखावे के लिए हरकत में आता है।

उन्होंने कहा है कि आज प्रदेश के लोगों को पांच हजार रुपए मूल्य की रेत 15 से 20 हजार रुपए में खरीदने को विवश होना पड़ रहा है जिसके चलते एक ओर सरकारी कामों में लगे ठेकेदारों ने निर्माण कार्य रोक दिए हैं वहीं दूसरी ओर बढ़ती लागत के चलते प्रदेश के सभी वर्गों के लोगों पर बेजा आर्थिक बोझ पड़ रहा है।


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