CG Election Result: छत्तीसगढ़ में भाजपा राजनीतिक पंडितों को चौंकाएगी...ओम माथुर के इस दावे में कितना दम...

चन्द्रकान्त शुक्ला
विधानसभा चुनावों के नतीजे आने से ठीक तीन दिन पहले छत्तीसगढ़ भाजपा के प्रभारी ओम माथुर (BJP in-charge Om Mathur) ने दावा किया है कि, छत्तीसगढ़ में हम राजनीतिक पंडितों को चौंकाने वाले हैं। तो क्या सचमुच भाजपा छत्तीसगढ़ में सरकार बनाने लायक सीटें हासिल कर लेगी? या फिर पार्टी नेतृत्व की बसपा और जोगी कांग्रेस से बात हो चुकी है। क्योंकि छत्तीसगढ़ के चुनाव पर बारीक नजर रखने वालों का कहना है कि, इस बार के नतीजे बसपा के लिए भी सुखद आ सकते हैं। वहीं जोगी कांग्रेस ने कई सीटों पर कांग्रेस का नुकसान करने के अलावा कुछ सीटों पर चुनाव लड़ा भी तगड़ा है।
वैसे भाजपा के इस पूरे चुनाव अभियान का आकलन करें तो समझ आता है कि, जिस दिन ओम माथुर को छत्तीसगढ़ का प्रभारी बनाकर भेजा गया, पार्टी की कार्यशैली को समझने वाले उसी दिन से यह कहने लग गए थे कि भाजपा छत्तीसगढ़ को लेकर अब सीरियस है। पार्टी के प्रतिबद्ध और जमीनी पकड़ रखने वाले नेताओं की परख करने, संगठन को सक्रिय बनाए रखने और चुनावी रणनीति (election strategy) के महारथी ओम माथुर लगभग छह महीने तक लगातार छत्तीसगढ़ में सक्रिय रहे, जबकि उनके गृह राज्य राजस्थान में भी छत्तीसगढ़ के साथ ही चुनाव होना था।
ओम माथुर ने समझे हालात
श्री माथुर के छत्तीसगढ़ का प्रभार संभालने से पहले स्वयं भाजपाई भी यही माने बैठे थे कि यहां तो कांग्रेस ही रिपीट होगी। कार्यकर्ता ही नहीं नेताओं का भी मनोबल टूटा पड़ा था। वो माथुर ही थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ के भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को चुनाव में जी जान लगा देने के लिए तैयार किया और भरोसा दिलाया कि हम टक्कर में आ सकते हैं। वे माथुर ही थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में घूमने के बाद शीर्ष नेतृत्व को लोक लुभावन घोषणा पत्र बनाने के लिए मनाया। वो माथुर ही थे जिन्होंने छत्तीसगढ़ के युवा और वरिष्ठ भाजपाइयों को न सिर्फ सुना, समझा बल्कि उनकी सियासी समझ के अनुरूप समुचित कार्यभार सौंपा।
चार्ज... रिचार्ज और फिर फुल चार्ज हुए भाजपाई
हालात यह थे कि, चुनाव की घोषणा होने तक भी कांग्रेस पार्टी के लोग भाजपा का माखौल उड़ाते रहे। वे पूछते थे कि, किसके नेतृत्व में भाजपा चुनाव लड़ेगी? चेहरा किसका होगा? डा. रमन की तो दिल्ली में कोई सुनता ही नहीं... और इन सारी बातों को भाजपाई चुपचाप सुनते रहते, क्योंकि उनके पास कोई जवाब था ही नहीं। जैसे ही पहले चरण में मतदान वाली 20 सीटों के लिए प्रत्याशियों की घोषणा हुई... मानो मृतप्राय पड़ी पार्टी में जान आ गई। केंद्रीय मंत्री और सांसदों का नाम प्रत्याशियों की सूची में देखकर कार्यकर्ता भी जागृत हो उठे। उन्हें महसूस हुआ कि, शीर्ष नेतृत्व छत्तीसगढ़ को लेकर गंभीर है। इसी बीच कांग्रेस पार्टी एक-एक कर गारंटी पर गारंटी घोषित करती रही, लेकिन कांग्रेस की उन गारंटियों से ज्यादा प्रदेश में भाजपा के घोषणा पत्र के इंतजार को लेकर चर्चा होने लगी। भापाइयों ने कुछ इशारा भी किया था कि, इस बार हम कुछ अलग करने जा रहे हैं। प्रदेश की जनता को वह कुछ अलग क्या है, इसी बात का इंतजार था। फिर जैसे ही भाजपा का घोषणा पत्र आया... एकाएक प्रदेशभर में करंट सा दौड़ गया।
'महतारी वंदन' के बाद 'गृहलक्ष्मी' को आने में देर हो गई?
भाजपा का घोषणा पत्र जारी होने के साथ ही प्रदेशभर में एकाएक हर कोई ये कहने लगा कि, इस बार फाइट है। क्योंकि, सबसे बड़े मुद्दे धान के मामले में भाजपा अब कांग्रेस के बाराबर आ गई थी। साथ ही महतारी वंदन योजना (Mahtari Vandan) को संभवत: कांग्रेस ने पहले या तो कमतर आंका, या फिर धान और अपनी दूसरी गारंटियों पर भरोसा ज्यादा किया। पहले चरण के मतदान के बाद ही हवा का रुख भांपने वाले कांग्रेसियों की पेशानी पर बल पड़ने लगे थे। लेकिन वे अपने नेताओं को यह समझा पाने में ज्यादा समय लगा गए कि, महतारी वंदन भारी पड़ रहा है। हालांकि चौतरफा हाय-तौबा मचने पर आखिरकार एन बड़ी दीवाली के दिन कांग्रेस ने गृहलक्ष्मी योजना (Grihalaxmi Yojana) का ऐलान किया। लेकिन संभवत: इसमें देर हो गई। छत्तीसगढ़ में दीपावली का त्योहार 15 नवंबर तक मनाया जाता रहा, और कांग्रेस के कार्यकर्ता तो शायद आश्वस्त होकर ज्यादा ही लंबी दीपावली मनाने में जुट गए। तो क्या यही वे कारण हैं, जिनके दम पर ओम माथुर छत्तीसगढ़ में चौंकाने का दावा कर रहे हैं....?
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS