ब्लैक फंगस के अब तक 45 से ज्यादा केस, एम्स में जबड़ों के बाद ब्रेन की सर्जरी

कोरोना के बाद होने वाले ब्लैक फंगस की शिकायतें सामने आई हैं। अस्पताल पहुंचने में देर की वजह से ब्लैक फंगस दो मरीजों के दिमाग तक पहुंच चुका है। एम्स में दोनों की बड़ी सर्जरी की तैयारी की जा रही है। चिकित्सकों के मुताबिक इनके इलाज में माहभर से ज्यादा वक्त लग सकता है। एम्स में वर्तमान में 23 मरीज भर्ती है और छह को यहां लाने की तैयारी है। इसी तरह निजी अस्पतालों में करीब 20 पीड़ितों का इलाज किया जा रहा है। इससे पहले यहां दो मरीजों के जबड़ों की सर्जरी की जा चुकी है।
कोरोना के इलाज के दौरान स्टेराॅयड के उपयोग की वजह से अनियंत्रित शुगर के मरीजों को इस तरह की समस्या का सामना करना पड़ा रहा है। चिकित्सकों के मुताबिक म्यूकर माइकोसिस नामक इस बीमारी की वजह से आंख, जबड़े और फिर मस्तिष्क तक संक्रमण पहुंचता है यह काफी खतरनाक स्थिति होती है। सरकारी अस्पतालों के एनईटी विभाग और इससे सबंधित निजी अस्पतालों की ओपीडी में इस तरह के मरीजों की काउंसिलिंग की गई थी मगर तीन दिन पहले बड़ी संख्या में मरीजों के भर्ती होने और भिलाई में एक मौत के बाद हड़कंप मचा हुआ है।
वर्तमान में आंबेडकर अस्पताल में ऐसे दो मरीज भर्ती हैं वहीं एम्स के ईएनटी विभाग में 23 मरीजों का उपचार चल रहा है। इनमें से शुक्रवार को तीन मरीजों का ऑपरेशन किया गया और आने वाले दिनों में कुछ मरीजों की सर्जरी प्रक्रियाधीन है। इनमें वर्तमान में एम्स में रायपुर के पांच, राजनांदगांव के दो और कबीरधाम, महासमुंद एवं चांपा के एक-एक मरीज भर्ती हैं। ब्लैक फंगस का शिकार होकर एम्स पहुंचने वालों में 16 पुरुष और सात महिलाएं हैं जिनकी उम्र 30 से 60 साल के बीच है। वर्तमान में तीन दिनों के भीतर एम्स में सात लोगों की सर्जरी की गई है जिसमें ज्यादातर को केवल जबड़े में संक्रमण की शिकायत रही है। ऑपरेशन की स्थिति तक पहुंचने वाले ज्यादातर मरीज दुर्ग जिले से हैं।
एंटीबायोटिक के गैरजरूरी प्रयोग से बचें
एम्स के निदेशक तथा ईएनटी विभागाध्यक्ष डाॅ. नितिन एम. नागरकर ने बताया कि स्टेरॉयड का अनावश्यक प्रयोग न करें। एंटीबायोटिक के गैरजरूरी प्रयोग से बचें और डायबिटीज सहित अन्य बीमारियों को नियंत्रण में रखकर इससे बचा जा सकता है। साथ ही समय पर इसका पता लगाकर यदि इलाज शुरू कर दिया जाए तो इसे नियंत्रित करने में काफी मदद मिलती है।
इलाज काफी महंगा
ईएनटी विशेषज्ञ तथा राजधानी के वरिष्ठ चिकित्सक डाॅ. राकेश गुप्ता ने बताया कि ब्लैक फंगस संबंधित शिकायतों में ज्यादा वृद्धि नहीं हुई है। इस संक्रमण की सर्जरी तो अधिक खर्चीली नहीं है, मगर इसके बाद उपयोग की जाने वाली दवाएं काफी मंहगी हैं। फंगस आंखों, जबड़े और मस्तिष्क को प्रभावित करता है, इसलिए इस तरह की शिकायत आने पर तुरंत चिकित्सकों से सलाह लेनी चाहिए।
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