नंदनवन में बोटिंग, विदेशी पक्षियों के ब्रिडिंग सेंटर के लिए मांगे छह करोड़

जंगल सफारी के निर्माण के बाद से नंदनवन मिनी जू को विदेशी पक्षी विहार का रूप दिया गया है। इस पक्षी विहार को संवारने के लिए राज्य सरकार पांच वर्षों से योजना बना रही है। बावजूद इसके अब तक ठोस कार्ययोजना नहीं बनी है। नंदनवन पक्षी विहार को संवारने के लिए प्रबंधन कई मर्तबा प्रस्ताव बनाकर शासन स्तर पर भेज चुका है। पिछले दो वर्षों से कोरोना संक्रमण योजना पर रोड़े अटका रहा है।
गौरतलब है, मोहरेंगा स्थित अव्यवस्थित जंगल को नेचर सफारी के रूप में विकसित कर प्रियदर्शनी इंदिरागांधी का नाम दिया गया। इसके बाद से नंदनवन को संवारने के लिए एक ग्राम सभा बुलाई और प्रस्ताव पास किया। इसी आधार पर नंदनवन को संवारने प्रबंधन ने प्राथमिक प्रस्ताव तैयार कर सैद्धांतिक सहमति के लिए मुख्यालय को भेजा। जानकारी के मुताबिक फरवरी में नंदनवन प्रबंधन ने प्राथमिक प्रस्ताव तैयार कर वन मुख्यालय को भेजा है, लेकिन उस प्रस्ताव पर मुख्यालय ने किसी तरह से कोई संज्ञान नहीं लिया है। इसके साथ ही नंदनवन को संवारने के लिए रायपुर पश्चिम के विधायक विकास उपाध्याय ने वन मुख्यालय को पत्र लिखा है।
प्रारंभिक चरण में छह करोड़ रुपए की मांग
नंदनवन प्रबंधन के मुताबिक नंदनवन के विकास के लिए 6 करोड़ रुपए का प्रारंभिक प्रस्ताव तैयार कर भेजा गया है। इस राशि से नंदनवन के पुराने केज को पक्षियों के रहने योग्य बनाने के साथ नौका विहार के क्षेत्र को विकसित करना है। इसके साथ ही नंदनवन में चलने वाली पक्षियों के लिए रहवास केंद्र बनाने की योजना है। साथ ही केज के अंदर जंगली पक्षी रखने को लेकर विचार किया जा रहा है।
विदेशी पक्षियों के लिए ब्रिडिंग सेंटर
सीसीएफ वाइल्ड लाइफ राजेश कुमार पाण्डेय के अनुसार नंदनवन में विदेशी पक्षियों की संख्या बढ़ाने अलग से ब्रिडिंग सेंटर बनाने को लेकर विचार किया जा रहा है। इसके साथ ही 50 एकड़ में फैले नंदनवन में बच्चों के मनोरंजन को ध्यान में रखते हुए एक बड़े भू-भाग में हर्बिबोर को रखने की योजना है। जिससे बच्चे हिरण, चीतल, सांभर जैसे वन्यजीवों की उछल कूद देख रोमांचित हो।
देश की आदिवासी संस्कृति से रूबरू होंगे
नंदनवन में जहां तेंदुआ, बाध और शेर को रखा जाता था। उन बाड़ों की खुली जगह में पहाड़नुमा टीला है। साथ ही हिंसक वन्यजीव खुले में बाहर नहीं आए इसलिए बड़े गड्डे कर पानी भरा जाता था। उन गड्ढों को आपस में जोड़कर नौकायान करने की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही टीलों में देश के अलग-अलग राज्य के विलुप्त आदिवासी संस्कृति की पेंटिंग और स्टैच्यू के माध्यम से उनकी जीवन शैली को प्रदर्शित किया जाएगा।
प्रस्ताव पास
नंदनवन को संवारने के लिए वहां रहने वाले ग्रामीणों ने ग्राम सभा में एक प्रस्ताव पास कर उसकी कॉपी दी है। स्थिति सामान्य होने पर नंदनवन को संवारने की योजना पर कार्य किया जाएगा।
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