वनांचल के लिए वरदान 'नरवा विकास योजना' : चार साल में 6,395 नालों में डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा संरचनाओं का निर्माण, बढ़ रहा है भू-जल स्तर

वनांचल के लिए वरदान नरवा विकास योजना : चार साल में 6,395 नालों में डेढ़ करोड़ से भी ज्यादा संरचनाओं का निर्माण, बढ़ रहा है भू-जल स्तर
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छत्तीसगढ़ को 'नरवा विकास योजना' के उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को ’स्कॉच अवार्ड’ के पर्यावरण श्रेणी के लिए स्वर्ण पुरस्कार भी मिल चुका है। पढ़िए पूरी खबर...

रायपुर। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी ‘नरवा विकास योजना’ के सफल क्रियान्वयन से वनांचल की तस्वीर ही बदल गई है। छत्तीसगढ़ में नरवा विकास योजना के लिए कैम्पा मद से वनांचल के नालों में काफी मात्रा में भू-जल संरक्षण संबंधी कार्यों का तेजी से क्रियान्वयन जारी है। इससे वन क्षेत्रों के भू-जल स्तर में काफी सुधार दिखाई देने लगा है और वनवासियों सहित क्षेत्रवासियों को पेयजल, सिंचाई तथा निस्तारी आदि सुविधाओं का भरपूर लाभ मिलने लगा है। साथ ही साथ इससे वन संरक्षण तथा संवर्धन के कार्यों को भी बढ़ावा मिला है। राज्य में इसके उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग को ’स्कॉच अवार्ड’ के पर्यावरण श्रेणी के लिए स्वर्ण पुरस्कार भी मिल चुका है।

लगभग 23 लाख हेक्टेयर भू-भाग का होगा उपचार

उल्लेखनीय है कि छत्तीसगढ़ में गत चार वर्षों के दौरान राज्य सरकार द्वारा चलाए जा रहे महत्वाकांक्षी ‘नरवा विकास‘ योजना के तहत वनांचल स्थित 6 हजार 395 नालों के लगभग 23 लाख हेक्टेयर जल ग्रहण क्षेत्रों को उपचारित करते हुए विभिन्न जल संरचनाओं का निर्माण तेजी से किया जा रहा है। इसके तहत एक करोड़ 61 लाख से अधिक भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण शामिल हैं। इन संरचनाओं में ब्रश वुड चेक डैम, लूज बोल्डर चेक डैम, गेबियन संरचना, मिट्टी चेक डैम, कंटूर ट्रेंच, वाटर अब्जॉर्प्शन ट्रेंच तथा स्टेगर्ड कंटूर ट्रेंच का निर्माण शामिल है। इसके अलावा गली प्लग, चेक डैम, स्टॉप डैम, परकोलेशन टैंक तथा तालाब, डबरी और वाटरहोल आदि भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण किया जा रहा है।

नदी-नालों और तालाबों को पुनर्जीवित करने की पहल

मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की विशेष पहल और वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री मोहम्मद अकबर के मार्गदर्शन में राज्य के वन क्षेत्रों में भू-जल संरक्षण तथा संवर्धन के लिए बड़े तालाब में जल स्त्रोतों, नदी-नालों और तालाबों को पुनर्जीवित करने का कार्य लिया गया है। इनमें वर्ष 2019-20 में 863 नालों का चयन कर लगभग 5 लाख हेक्टेयर भूमि को उपचारित करने के लिए 12 लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण शामिल है। जिसमें 160 करोड़ 55 लाख रूपए की राशि से 25 जिलों के अंतर्गत कुल 32 वनमंडल, 01 राष्ट्रीय उद्यान, 2 टायगर रिजर्व, 01 सामाजिक वानिकी तथा 01 एलीफेंट रिजर्व में भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण जारी है।

टाइगर और एलिफेंट रिजर्व के लिए विशेष लाभकारी

इसी तरह वर्ष 2020-21 में 2 हजार 55 नालों का चयन कर 6 लाख हेक्टेयर भूमि के उपचार के लिए 46 लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है। इनमें 421 करोड़ रुपए की अधिक राशि से 32 वन मंडल, 2 राष्ट्रीय, 3 टाइगर रिजर्व एवं 1 एलीफेंट रिजर्व में भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण जारी है। वर्ष 2021-22 में एक हजार 974 नालों का चयन कर 5 लाख 70 हजार हेक्टेयर भूमि के उपचार के लिए 73 लाख से अधिक भू-जल संरक्षण संबंधी संरचनाओं का निर्माण शामिल हैं। इनमें 407 करोड़ रूपए की अधिक राशि से 32 वन मंडल, 2 राष्ट्रीय उद्यान, 2 टायगर रिजर्व, 01 सामाजिक वानिकी तथा 1 एलीफेंट रिजर्व भूजल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है।

इस साल एक हजार 503 नालों का चयन

इसके अलावा वर्ष 2022-23 में एक हजार 503 नालों का चयन कर 6 लाख हेक्टेयर से अधिक भूमि के उपचार के लिए 29 लाख से अधिक संरचनाओं का निर्माण जारी है। इनमें 300 करोड़ रूपए की अधिक राशि से 32 वनमंडल, 2 राष्ट्रीय उद्यान, 3 टायगर रिजर्व तथा 1 एलीफेंट रिजर्व में भू-जल संवर्धन संबंधी संरचनाओं का निर्माण प्रगति पर है।


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