ब्रह्माकुमारी कमला दीदी नहीं रहीं : ब्रह्माकुमारी आश्रम की क्षेत्रीय निदेशिका थीं, अन्तिम दर्शन के लिए शांति सरोवर में रखा गया पार्थिव देह.. अंतिम संस्कार कल

रायपुर। प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की क्षेत्रीय निदेशिका राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी कमला दीदी नहीं रहीं। वह 81 वर्ष की थीं। पिछले कुछ दिनों से बीमार होने के कारण रायपुर के एक निजी अस्पताल में उनका इलाज चल रहा था। शनिवार 10 दिसम्बर को सुबह 9 बजकर 10 मिनट पर शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर रायपुर में उन्होंने अपने पार्थिव देह का त्याग किया।
उनका पार्थिव शरीर अन्तिम दर्शन के लिए विधानसभा मार्ग स्थित शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर में शनिवार को दोपहर 12 बजे से रखा गया है। उनका अन्तिम संस्कार रविवार, 11 दिसम्बर 2022 को दोपहर 1 बजे शान्ति सरोवर रिट्रीट सेन्टर परिसर में ही किया जाएगा। इसके पहले उनका पार्थिव शरीर विश्व शान्ति भवन चौबे कालोनी और नवा रायपुर के शान्ति शिखर भवन में ले जाया जाएगा।
रायपुर में शांति सरोवर का निर्माण कमला दीदी की ही देन
प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की सेवाओं को छत्तीसगढ़ में विस्तारित करने में उनकी अहम भूमिका थीं। माउण्ट आबू के बाहर संस्थान का प्रथम रिट्रीट सेन्टर के रूप में शान्ति सरोवर का निर्माण उनके ही अथक परिश्रम से सम्भव हो सका। वर्तमान समय इन्दौर जोन की क्षेत्रीय निदेशिका के रूप में छत्तीसगढ़, मध्यप्रदेश के साथ ही समीपवर्ती राजस्थान और उड़ीसा के कुछ सेवाकेन्द्रों का प्रशासन भी देख रही थीं। वह हमारी संस्थान की ब्रह्माकमारीज एजुकेशनल सोसायटी एवं राजयोगा एजुकेशन एण्ड रिसर्च फाउण्डेशन की गवर्निंग बोर्ड की सदस्या होने के साथ ही सुरक्षा सेवा प्रभाग की नेशनल कोआर्डिनेटर भी थीं।
कई सम्मानों से नवाजी गईं
ब्रह्माकुमारी कमला दीदी को उनकी सामाजिक सेवाओं के लिए वर्ष 1997 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन राज्यपाल मोहम्मद शफी कुरैशी ने सेठ नेमीचन्द श्रीश्रीमाल समाजसेवा अभिनन्दन अवार्ड प्रदान कर सम्मानित किया। इसके अलावा वर्ष 2009 में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा स्त्री शक्ति सम्मान प्रदान कर सम्मानित किया गया था।
आदिवासियों का जीवन संवारने में लगी रहीं
राजयोगिनी कमला दीदी के दिल में आदिवासियों के प्रति बहुत दयाभाव था। उनके मार्गदर्शन में 15 मई 1987 से बस्तर अंचल के 65 ग्रामों में अध्यात्म के द्वारा आदिवासियों के जीवन को संवारने-सुधारने का कार्य किया जा रहा है।
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