बूढ़ापारा का धरना स्थल बना नासूर, लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ

रायपुर। शहर के भीड़ वाले रिहाइसी इलाके बूढ़ापारा स्थित धरना स्थल लोगों के लिए परेशानी का सबब बना हुआ है। आए दिन कर्मचारी संगठनों के धरना प्रदर्शन, रैली और सड़क घेरकर चक्का जाम करने से बीमार, बूढ़ों और स्कूल कालेज के बच्चों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। बूढ़ापारा से मारवाड़ी श्मशान घाट वाली सड़क पर प्रदर्शनकारियों की भीड़ के कारण एंबुलेंस, शववाहन फंसने की अप्रिय स्थिति निर्मित होने लगी है। जिला प्रशासन और नगर निगम को स्थानीय वार्डवासियों, व्यापारिक संगठनों और विभिन्न समाजिक संगठनों ने बूढ़ापारा से धरनास्थल हटाने ज्ञापन सौंपा, पर आज तक जिला प्रशासन आम जनता को हो रही परेशानी दूर नहीं कर पाया। बुधवार को इसी मामले में नगर निगम सभापति प्रमोद दुबे, स्थानीय रहवासी, व्यापारी संगठन तथा एमआईसी सदस्यों ने जिला कलेक्टर से मिलकर बूढ़ापारा से धरना स्थल हटाने ज्ञापन सौंपा।
पूर्व विधायक की अंत्येष्टि में शव वाहन जाम में फंसा, भड़के जनप्रतिनिधि
2 दिन पहले पूर्व विधायक राधेेश्याम शर्मा के निधन के बाद उनके पार्थिव शरीर को मारवाड़ी श्मशान घाट लाते समय शव वाहन जाम में फंसा रहा। सभापति प्रमोद दुबे का कहना है, अंतेष्टि में शामिल होने के लिए कई जन प्रतिनिधि, आम जनता धरना प्रदर्शन के कारण जाम में फंसे रहे। उन्हें अपनी गाड़ियां सप्रे स्कूल के पास छोड़कर श्मशान घाट पैदल जाना पड़ा। ऐसी स्थिति आए दिन दिवंगतों के परिजनों के साथ निर्मित होती है। जिला कलेक्टर डॉ. सर्वेश्वर भूरे से मिलकर सभापति प्रमोद दुबे, पार्षद प्रतिनिधि मुकेश कंदोई, एमआईसी सदस्य सतनाम पनाग, आकाश तिवारी, रितेश त्रिपाठी, जितेंद्र अग्रवाल, पार्षद वीरेंद्र देवांगन, उत्तम साहू, इंद्रजीत गहलोत, व्यापारी संघ के अध्यक्ष सुरेश भंसाली, संजय पारख, दीपक कोटडिया, बाकर अब्बास, सुयश शर्मा ने ज्ञापन साैंपा।
100 लोगों की अनुमति हजारों सड़क पर
बूढ़ापारा के रहवासियों का कहना है, पूर्व में प्रशासन द्वारा धरना देने वालों को 100 लोगों की अनुमति दी जाती रही, पर प्रशासन के नियमों की अनदेखी कर आज हजाराें लोग सड़क पर उतर आते हैं, सैकड़ों की संख्या में गाड़ी सड़क पर खड़ी कर दी जाती हैं। इससे स्कूली बच्चे, अस्पताल जाने वाले, कामकाजी महिलाएं आए दिन परेशान रहते हैं। जिला प्रशासन एवं पुलिस को इससे कोई वास्ता नहीं रहता।
सप्रे स्कूल को बना दिया अघोषित जेल, गुरुजन बिफरे
माधवराव सप्रे आत्मानंद हिन्दी उत्कृष्ट विद्यालय की प्राचार्य डॉ. अनुपमा श्रीवास्तव का कहना है, हमारे स्कूल को जिला प्रशासन ने प्रदर्शनकारियों के लिए अस्थायी जेल बना रखा है। आए दिन प्रदर्शनिकारियों को यहीं लाकर ठूंसा जाता है। इतना ही नहीं, धरना प्रदर्शन में डयूटी करने वाले पुलिस जवान स्कूल कैंपस में बेधड़क आकर घंटों सुस्ताते रहते हैं। सदर बाजार इलाके में जगह नहीं होने का हवाला देकर चारपहिया गाड़ियों की पार्किंग इसी स्कूल में कराई जा रही है। ऐसे में बच्चों की पढ़ाई पर बुरा असर पड़ता है। स्कूल गेट के ठीक सामने प्रदर्शनकारियों को रोकने बड़ा गेट बनाया जाता है।
इस वजह से शिक्षकों, विद्यार्थियों को स्कूल की छुट्टी होने के बाद भी देर तक रुकना पड़ता है। विद्यालय परिवार अपने आप को सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा। जिला शिक्षा अधिकारी से लेकर उच्च अधिकारियों को हमने अपनी परेशानी कई बार बताई। पर स्कूल के सामने धरना प्रदर्शन वालों को रोकने का सिस्टम बंद नहीं हुआ। जिला प्रशासन से आग्रह है, शैक्षणिक परिसर को इस तरह की गतिविधियों से दूर रखा जाए।
धरना स्थल हटना चाहिए : लवी तिवारी
श्याम छबिगृह के संचालक लवी तिवारी की राय में बूढ़ापारा से धरना स्थल तत्काल हटाया जाए। मुख्य मार्ग पर धरना प्रदर्शन के कारण पुरानी बस्ती, बूढ़ापारा, महामाई पारा, लाखेनगर, कंकालीपारा, ब्राम्हणपारा, सत्ती बाजार, सदर बजार सहित आसपास के इलाके सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। सड़क के दोनों किनारों पर गाड़ियों की पार्किंग, ठेला, खोमचा वालों की भीड़ से पूरी ट्रैफिक व्यवस्था बदहाल होेती है। जिम्मेदारों को इधर झांकने की फुरसत नहीं। लोगों की परेशानी सुनने वाला कोई नहीं है। धरना स्थल के आसपास स्कूल, कालेज, खेलकूद के मैदान और लोगों के घर, दुकान हैं, इसलिए बूढ़ापारा से धरना स्थल हटाया जाए।
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