काले डस्ट से अटे राजधानी के क्षेत्र, तालाब गंदे, छतों से लेकर किचन तक पहुंच रही इंडस्ट्रियल कालिख

काले डस्ट से अटे राजधानी के क्षेत्र, तालाब गंदे, छतों से लेकर किचन तक पहुंच रही इंडस्ट्रियल कालिख
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रायपुर के रिंग रोड नंबर 2 से लगे टाटीबंध, हीरापुर, कबीर नगर में काली धुल की बारिश से वहां की जनता तो परेशान है ही, सिलतरा क्षेत्र से लगे उद्योगों की गंदगी भी गांवों की तालाब में जम रही है। जबकि सबंधित उद्योगों की सीएसआर फंड से उस गांव की तालाब की सफाई होनी चाहिए। जहां की जनता काले डस्ट से परेशान है। मगर सीएसआर की राशि से राजधानी की तालाबों की सफाई की ना तो निगरानी नज़र आती है ना ही मौके पे सफाई। पढ़िए पूरी ख़बर...

रायपुर: किसी जमाने में रायपुर और धरसींवा क्षेत्र को तालाबों के गढ़ के रुप में जाना जाता था। जिसमें एक अकेला नगर पंचायत कुरा में बीस वर्ष पहले ही 136 तालाब हुआ करते थे। वही ग्रामीणों की पहली पसंद तालाब ही होती है। जहां हर गांव में आज तालाब है। ये तालाब यू ही नहीं बने है इन्हें बनाने का बड़ा कारण जल संचय करना और भू जल को रिचार्ज करना था। यही कारण है जो की आज भी गांवों में कुएं व तालाबों में पानी भरे रहते है। वही धरसींवा क्षेत्र के एक पूरा इलाका खारुन नदी पर आश्रित है। वही खारुन नदी से उद्योगों में भर पानी जा रहा है मगर कभी उद्योग नगर सिलतरा इस ओर ध्यान नहीं दिए कि हम जिस क्षेत्र में हम उद्योग लगाए है। वहाँ की नदी और तालाबों की रक्षा करे। बल्कि उद्योगों द्वारा नदी और तालाबों में उद्योगों का कैमिकल युक्त जहरीली पानी छोड़ा जा रहा है। जहां मानव जाति के लिए घातक साबित हो रहा है। अगर जल्द ही इनका कोई ठोस उपाय नहीं किया गया तो इन नदी नालों और तालाबों के सीवरेज की गंदगी हमारे भू जल को भी दूषित कर देगा। भले ही सत्तारूढ़ कांग्रेस पार्टी आज नरवा, गरुवा, घुरुवा बारी की रक्षा के लिए जोरशोर से मुद्दा उठाये और संचालित भी किये मगर सरकार गोठान तक ही सिमट कर रह गया है। जीवन देने वाली जीवदयनी जल जिसमे तालाब। नालों। नदी का अस्तित्व आज पूर्ण रुप से उद्योगों से ही खतरे में है जहां लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है। जिस उद्योग में आज खारुन नदी की पानी जा रही है उस खारुन का ही अस्तित्व खतरे में है।

खारुन में फैल रहा जहर

ब्लाक मुख्यालय धरसींवा के ग्राम पंचायत मुरेठी में ग्रामीणों की मुख्य निस्तारी का साधन सिर्फ खारुन नदी है। मुरेठी के जनप्रतिनिधि हरिशंकर निषाद। बाबूलाल निषाद। नितिन चंद्रवंशी का कहना है कि खारुन नदी से उद्योगों को पानी दिया जा रहा है मगर वही उद्योग आज तक खारुन नदी की सफाई करने में कोइ रुचि नहीं ले रहे है। हरिशंकर निषाद का कहना है कि वह बरसो से गाँव की जनप्रतिनिधि है मगर कभी उद्योगों ने नदी और तालाबो की रक्षा करने में रुचि नही दिखाई है।

गांवों में उद्योगपति और जनप्रतिनिधियों की जुगलबंदी ने किया बर्बाद

सिलतरा के नामी गिरामी उद्योगों से लगे गांवों की तालाबों की दुर्दशा अपनी खुद ही कहानी बयां करती है कि उस तालाब को कभी उद्योग व सरकार किसी प्रकार से कोई सफाई किया हो जैसे कि ग्राम पंचायत टाड़ा, मोहदी, सोन्द्रा, कुरा, मुरेठी सहित कई ऐसे गांव है, जहां पर तालाबों को बचाने की कोशिश किया गया हो।

सीएसआर की राशि में बड़ा खेल

उद्योग नगर के जिला पंचायत सदस्य राकेश यादव का कहना है कि सिलतरा क्षेत्र में लगे उद्योगों की गंदगी गांवों की तालाब में जम रही है जबकि सबंधित उद्योगों की सीएसआर फंड से उस गांव की तालाब की सफाई होनी चाहिए। जहां की जनता काले डस्ट से परेशान है मगर सीएसआर की राशि से राजधानी की तालाबों की सफाई और अधिकारियों सहित मंत्री की बंगले चमक रहे है। जिससे गांवों की तालाबों की दशा इस कदर बनी हुई है।

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