बहुचर्चित हत्याकांड : हाईकोर्ट ने दिए CBI जांच के आदेश, 4 लोगों की हुई थी निर्मम हत्या, पुलिस की बार-बार बदलती थ्योरी के चलते परिजनों ने हाईकोर्ट में दाखिल की थी याचिका

बिलासपुर/महासमुंद. महासमुंद में बहुचर्चित हत्याकांड मामले में हाईकोर्ट ने सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं. 4 साल पहले एक ही परिवार के 4 लोगों की निर्मम हत्या की गई थी. मामले के बाद से ही परिजन पुलिस की कार्यप्रणाली और जांच को लेकर असंतुष्ट थे. जिसके बाद उन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की थी. इस केस में जज गौतम भादुड़ी की बेंच ने अब फैसला सुनाया है.
31 मई 2018 को पिथौरा थाना क्षेत्र के ग्राम किशनपुर में योगमाया साहू(28) उसके पति चैतन्य साहू(30) और 2 बच्चे कुणाल साहू(9), तन्मय साहू(7) की हत्या हुई थी. सभी को बड़े ही बेरहमी से अलग-अलग धारदार हथियार से मारा गया था. योगमाया गांव के ही उप स्वास्थ्य केंद्र में काम करती थी. योगमाया अपने परिवार के साथ उसी स्वास्थ्य केंद्र परिसर में बने अपने घर में रहती थी. उसी घर में उसके पति चैतन्य, दोनों बच्चे तन्मय और कुणाल को मारा गया था.
घटना के अगले दिन चारों की लाश खून से लथपथ हालत में घर में मिली थी. परिजनों की शिकायत के बाद पुलिस ने केस दर्ज किया था. मगर काफी दिन बीत जाने के बाद भी पुलिस को सफलता नहीं मिली थी. इस पर परिजनों ने काफी विरोध किया था. आस-पास के लोगों के साथ मिलकर धरना भी दिया गया था. परिजन सड़क पर उतर गए थे. उस दौरान काफी बवाल हुआ था. तब जाकर पुलिस ने इस केस में एक आरोपी धर्मेंद्र बरिहा को पकड़ा था.
आरोपी को पकड़ने के बाद पुलिस ने बताया था कि धर्मेंद्र बरिहा चोरी की नीयत से घर में घुसा था. जिसे चैतन्य ने पकड़ लिया था. इसी बात से नाराज होकर उसने सबको मारा था. मगर पुलिस के बयान से परिजन संतुष्ट नहीं थे. उनका कहना था कि 4 लोगों को इतनी बेरहमी से एक शख्स कैसे मार सकता है. इसलिए चैतन्य के पिता बाबूलाल साहू ने अपने वकील राघवेंद्र प्रधान के माध्यम से याचिका दाखिल की थी.
इधर परिजनों के बढ़ते दबाव के चलते पुलिस ने आरोपी धर्मंद्र का नार्को टेस्ट भी कराया था. जिसमें उसने अपने साथ 4 और आरोपियों का भी नाम लिया था. उसने बताया था वारदात के वक्त उसका साथ फूल सिंह यादव, गौरी शंकर केवट, सुरेश खूंटे और अखंडल प्रधान भी शामिल थे. जिसके बाद पुलिस ने इस केस में अब तक कुल 5 लोगों को पकड़ा है.
परिजनों ने पुलिस के बताई गई थ्योरी के अलावा कई बिंदू पर सवाल खड़े किए थे. परिजनों का आरोप था कि पुलिस ने पहले अस्पताल परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरे की जांच ही नहीं की. इसके अलावा बाद में बताया गया कि घटना के दिन लाइट नहीं थी. जिसके चलते पुलिस ने सीसीटीवी कैमरे की जांच नहीं की. बाद में कैमरों की जांच की गई थी.
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