सूने हुए 45 प्लस वालों के टीका केंद्र, 18-44 साल वालों की रेलमपेल

बनाए गए नियम की पेचीदगियों में टीकाकरण अभियान उलझता जा रहा है और आम लोगों को इसकी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। वैक्सीन कम होने की वजह 18 से 44 साल के आयु वालों को टीका केंद्रों से निराश होकर लौटना पड़ रहा है वहीं वैक्सीन होने के बाद भी 45 साल से ज्यादा के लोगों के लिए बनाए गए वैक्सीन सेंटर में लोग नहीं पहुंच पा रहे हैं।
45 साल से अधिक उम्र वालों का वैक्सीनेशन केंद्र सरकार द्वारा करवाया जा रहा है मगर 18 से 44 साल के लोगों को कोरोना से बचाने के लिए टीका लगाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को दे दी गई है। राज्य सरकार ने बड़ी संख्या में वैक्सीन खरीदने के लिए कंपनियों को आर्डर तो दिया है मगर उनकी ओर से सीमित मात्रा में सप्लाई की जा रही है जिसकी वजह से 18 प्लस के टीकाकरण का अभियान पूरी तरह जोर नहीं पकड़ पा रहा है।
दूसरी ओर 45 साल से अधिक आयु वालों के लिए पर्याप्त मात्रा में वैक्सीन भेजी जा रही है मगर उसके लिए केंद्र तक भीड़ भी नहीं पहुंच पा रही है। सूत्रों के मुताबिक वर्तमान में प्रदेश में रोजाना बीस हजार के आसपास ही 45 साल से ज्यादा आयु वाले अपनी पहली और दूसरी खुराक ले रहे हैं वहीं 18 साल से कम आयु वालों की संख्या लगभग पचास हजार पहुंच रही है और टीका केंद्रों से बड़ी संख्या लोग वापस भी लौट रहे हैं।
एक-दूसरे में उपयोग नहीं
नियम के मुताबिक केंद्र सरकार द्वारा भेजी गई वैक्सीन का उपयोग 18 से 44 साल से अधिक आयु वालों के वैक्सीनेशन के लिए नहीं किया जा सकता। इस आयु के लिए वर्तमान में दोनों कंपनियों की वैक्सीन उपलब्ध है और कुछ समय पहले 4.22 लाख वैक्सीन भेजी गई थी जबकि 18 से 44 साल के तीन लाख टीके भेजे गए थे।
अंतराल बढ़ने की वजह
विशेषज्ञों का मानना है कि वर्तमान में वैक्सीन की पहली और दूसरी खुराक के बीच का अंतर बढ़ा दिया गया है। इसकी वजह से टीका केंद्रों में भीड़ नहीं हो पा रही है। प्रदेश में 16 जनवरी से वैक्सीनेशन की शुरुआत हेल्थ वर्करों से की गई थी बावजूद इसके अभी तक कई पहली खुराक लेने टीका केंद्र पहुंच रहे हैं।
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