मध्य क्षेत्रीय परिषद की बैठक : रायपुर एयरपोर्ट कार्गो हब बनेगा : कोदो-कुटकी का समर्थन मूल्य घोषित करेगा केंद्र, वर्मी कम्पोस्ट को Subsidy मिलेगी

रायपुर। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने आज केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह की अध्यक्षता में हुई मध्य क्षेत्रीय परिषद की 23वीं बैठक में राज्य के मसलों को मजबूती से रखा। बैठक में कई बड़े निर्णय लिए गए हैं। इनमें रायपुर एयरपोर्ट को कार्गो हब बनाने की सहमति दे दी गई है, वहीं अब केंद्र सरकार कोदो-कुटकी का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करेगी। उक्त निर्णय छत्तीसगढ़ सरकार के आग्रह पर लिया गया है। इसके अलावा गोधन न्याय योजना के माध्यम से बनाए गए वर्मी कम्पोस्ट को रासायनिक खाद की तर्ज पर Nutrition Based Subsidy का लाभ भी दिया जाएगा।
बैठक को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि स्थानीय परिस्थितियों के अनुरूप राज्य सरकारों को विकास के समुचित अधिकार दिये जाने चाहिए। श्री बघेल ने कहा कि 44 प्रतिशत वन क्षेत्र, अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अन्य पिछड़ा वर्ग की आबादी की बहुलता, सघन वन क्षेत्रों में नक्सलवादी गतिविधियों का प्रभाव, कृषि-वन उत्पादों तथा परंपरागत साधनों पर आजीविका की निर्भरता जैसे कारणों से छत्तीसगढ़ के विकास हेतु विशेष नीतियों और रणनीतियों की जरूरत है। हम राज्य के सीमित संसाधनों से हरसंभव उपाय कर रहे हैं, लेकिन हमें भारत सरकार के विशेष सहयोग की आवश्यकता है।

लाख उत्पादन और एथेनाल पर रखी बात
सीएम बघेल ने कहा कि, हमने प्रदेश में लाख उत्पादन को कृषि का दर्जा दिया है। भारत सरकार से अनुरोध है कि लाख उत्पादन के लिए 'किसान क्रेडिट कार्ड' और 'फसल बीमा योजना' का लाभ दिया जाए। हमने अतिशेष धान से बायो-एथेनॉल उत्पादन के लिए 25 निवेशकों के साथ MoU किया है. इस संबंध में भारत सरकार की नीति में संशोधन की जरूरत है, जिसमें बायो-एथेनॉल उत्पादन के लिए प्रत्येक वर्ष कृषि मंत्रालय से अनुमति लेने का प्रावधान है, अतः प्रतिवर्ष के बंधन को खत्म किया जाए. आधिक्य अनाज घोषित करने का अधिकार NVCC की जगह राज्य को मिलना चाहिए.
हमें केंद्र से कम पैसे मिले
सीएम ने कहा कि, 15वें वित्त आयोग की अनुशंसा पर राज्यों को केन्द्रीय करों के संग्रहण में से 42 प्रतिशत हिस्सा दिया जा रहा है, लेकिन छत्तीसगढ़ के लिए केन्द्रीय बजट में अंतरण के लिए प्रावधानित राशि के विरुद्ध 13 हजार 89 करोड़ रुपये कम मिले हैं। अतः हमें हक व हिस्से की पूरी राशि मिलनी चाहिए। केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र का अंश लगातार कम किया जा रहा है, जिससे राज्य शासन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ रहा है। अतः केन्द्रीय योजनाओं में केन्द्र और राज्य का अंश पूर्ववत होना चाहिए।

केंद्र से उदारता दिखाने का आग्रह
अंत में उन्होंने कहा कि मैं एक बार पुनः अनुरोध करना चाहता हूं कि राज्यों को पूरी लगन, निष्ठा और मेहनत से अपने राज्य की जरूरतों के अनुसार जनहित और विकास के कार्य करने के लिए व्यापक अधिकारों और अवसरों की आवश्यकता है। राज्यों का योगदान निश्चित तौर पर राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका का निर्वाह करता है। अतः भारत सरकार को उदारतापूर्वक राज्यों को अधिकाधिक अधिकार और सामर्थ्य संपन्न बनाने की दिशा में गंभीरतापूर्वक विचार करना चाहिए।
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