CG CRIME : एक ट्रेन से हर माह 40 चादर - कंबल की चोरी, ठेका कंपनी पर चार माह में 56 लाख पेनाल्टी

रायपुर । ट्रेनों (trains)के एसी कोच (AC coaches)में यात्रियों को दिए जाने वाले कंबल और चादर की चोरियां जोन की ट्रेनों में बढ़ गई हैं। आलम यह है कि हर दिन एक ट्रेन में 40 से अधिक बेडरोल चोरी हो रहे हैं। राजधानी समेत छत्तीसगढ़ व भगत की कोठी, गरीब रथ (Garib Rath)व अंबिकापुर एक्सप्रेस (Ambikapur Express)में चोरी की घटनाएं आम बात हो चुकी हैं। इनमें छत्तीसगढ़ एक्सप्रेस की पांच रैक है। इसमें सभी में चादर, तकिया, कंबल, नेपकिन की सप्लाई होती है। इसी में ज्यादा चोरी होती है, क्योंकि ये ट्रेनें गंतव्य तक पहुंचने में 36 घंटे से भी ज्यादा का समय लेती हैं।
हर महीने रेलवे ठेका कंपनी पर लाख रुपए का पेनाल्टी लगा रहा है। जानकारी के अनुसार पिछले चार महीने में लगभग 55 लाख 97 हजार 406 रुपए के सामान की चोरी हुई है, जिसे चुकाने अब कंपनी का पसीना छूटने लगा है। सूत्रों के मुताबिक कंपनी ने 20 लाख से अधिक पेनाल्टी शुल्क रेलवे को 8 महीने से नहीं लौटाया है। ट्रेन में काम करने वाले ठेका कर्मचारियों का कहना है कि थर्ड एसी कोच में चोरी की घटनाएं अधिक हैं। रात के समय ज्यादा चोरियां हो रही हैं।
सभी कोच में नजर रख पाना मुश्किल
पहले ट्रेनों में बेडरोल का जिम्मा रेलवे प्रशासन के पास था। इस दौरान चोरी की घटनाएं कम थीं। ठेका व्यवस्था के बाद कोच अटेंडेंट के काम का ठेका लेने वाली कंपनी को हर ट्रेन में हर कोच के हिसाब से अटेंडेंट रखना है, लेकिन यहां मिलीभगत करके कभी 4, तो कभी 5 अटेंडेंट ही ट्रेन में जाते हैं, जबकि किसी ट्रेन में 8, तो किसी में 10 एसी कोच होते हैं, इसलिए एक के जिम्मे में दो कोच आते हैं, जिसकी देखभाल वे नहीं कर पाते। सफर के दौरान आधी-आधी रात को यात्री अपने स्टेशनों पर उतर जाते हैं। उस समय कोई अटेंडर नहीं होता।
गिनती में हर दिन कंबल हो रहे कम
रेलवे ने ट्रेनों में एसी अटेंडेंट का काम ठेके पर दे दिया है। ठेका कंपनी को हर गाड़ी के लिए कंबल, चादर, तकिया, फेस टॉवेल, पिलो, पिलो कवर और बॉथ टॉवेल गिनती करके दिए जाते हैं और वापस आने पर गिनती करके लिए जाते हैं। वापसी में जितने भी सामान कम होते हैं, तो उसका रिकॉर्ड रखा जाता है। कंपनी कर्मचारी के समक्ष ही ये किया जाता है और उसे अवगत कराया जाता है। चोरी की घटनाएं नई नहीं हैं, लेकिन जब से एसी कोच में अटेंडर का काम निजी ठेके पर दिया गया है, तब से चोरियां बढ़ी हैं।
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