CG Election : आधा दर्जन सीटों पर कभी नहीं जीती भाजपा, इस बार नए प्रत्याशियों से चमत्कार की उम्मीद

- राज्य बनने के पहले पाली तानाखार, मरवाही में भाजपा को मिल चुकी है जीत
- कोटा में रेणु जोगी के मैदान में आने से अब दिलचस्प होगा मुकाबला
राजकुमार ग्वालानी- रायपुर। विधानसभा चुनाव (assembly elections)को लेकर अब बिसात पूरी तरह से बिछ चुकी है। दोनों पार्टियों भाजपा (BJP)और कांग्रेस (Congress)ने अपने सभी प्रत्याशी घोषित कर दिए हैं। प्रदेश में 15 साल तक राज करने वाली भाजपा को छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद आधा दर्जन सीटों पर कभी जीत नहीं मिली है। इस बार इन सीटों कोटा पाली तानाखार (Kota Pali Tanakhar), खरसिया (Kharsia), सीतापुर (Sitapur), मरवाही (Marwahi) और कोटा (Kota)में नए प्रत्याशियों को मैदान में उतारा गया है। भाजपा ने रणनीति के तहत यहां पर काफी पहले प्रत्याशी भी तय किए। भाजपा को इस बार उम्मीद है कि किसी न किसी सीट पर जरूर नए प्रत्याशी चमत्कार करके भाजपा का सपना पूरा करेंगे। कोटा में एक बार फिर से जोगी कांग्रेस की रेणु जोगी के मैदान में आने से मुकाबला तगड़ा और दिलचस्प हो गया है।
छत्तीसगढ़ के अलग राज्य बनने के बाद भाजपा ने 2003 से 2018 तक 15 साल तक लगातार जीत प्राप्त करके सरकार बनाने का काम किया। लेकिन यह भाजपा के लिए दुर्भाग्यजनक रहा है कि उसके प्रत्याशी छह सीटों पर कभी भी भाजपा का खाता नहीं खोल पाए हैं। हालांकि छत्तीसगढ़ बनने के पहले जरूर पाली तानाखार और मरवाही में भाजपा को जीत मिली, लेकिन बाकी चार सीटों पर भाजपा राज्य बनने के पहले भी नहीं जीती है। इन सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी लगातार जीत प्राप्त करते रहे हैं।
पाली तानाखार में पंजा कायम

कोटा में त्रिकोणीय मुकाबला

खरसिया में पटेल परिवार का कब्जा

खरसिया की सीट पर पटेल परिवार का कब्जा है कहा जाए तो गलत नहीं होगा। 1977 में पहली बार इस सीट पर चुनाव हुआ था, तब से लेकर अब तक इस पर कांग्रेस का ही कब्जा है। जहां पहले यहां से तीन बार कांग्रेस की लक्ष्मी पटेल जीती, इसके बाद से इस सीट पर नंदकुमार पटेल के परिवार का कब्जा है। पहले नंद कुमार पटेल पांच बार यहां पर जीते, इसके बाद से यहां पर उनके बेटे उमेश पटेल जीत रहे हैं। वे जीत की हैट्रिक लगाने मैदान में हैं। उनको हराने के लिए भाजपा ने साहू समाज के जिलाध्यक्ष महेश साहू को मैदान में उतारा है।
मरवाही भी कांग्रेस का गढ़

मरवाही भी कांग्रेस का गढ़ है। 1967 से यहां पर चुनाव हो रहा है। यहां पर भाजपा को छत्तीसगढ़ बनने से पहले 1990 और 1998 में जीत मिली। इसके बाद से यहां पर कांग्रेस का ही राज है। इस बार कांग्रेस ने जीत का जिम्मा सरकारी नौकरी छोड़ कर राजनीति में आए केके ध्रुव को सौंपा है। वे उप चुनाव जीत चुके हैं। भाजपा ने एक बार फिर से यहां कमल खिलाने के लिए भारतीय सेना में रहे प्रणव कुमार मरपच्ची को मैदान में उतारा है।
'कोंटा में कवासी का राज

सीतापुर में अब तक भगत की

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