CG Election : छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा मतदान केंद्र, 5 वोटर, मतदान शत प्रतिशत

CG Election : छत्तीसगढ़ का सबसे छोटा मतदान केंद्र, 5 वोटर, मतदान शत प्रतिशत
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विधानसभा निर्वाचन 2023 के लिए 16 नवंबर को सभी मतदान केंद्रों के लिए दलों की रवानगी होगी, वहीं आज ही देश के दूसरे सबसे छोटे मतदान केंद्र कोरिया जिला अंतर्गत छग प्रदेश के पहले विधान सभा क्षेत्र भरतपुर सोनहत में स्थित मतदान केंद्र क्रमांक 143 शेराडॉड फिर से सुर्खियों में आ गया है। कोरिया जिले के सोनहत विकासखंड अंतर्गत आने वाले ग्राम शेराडॉड ऐसा मतदान केंद्र है। जहां जब से मतदान केंद्र बनाया गया है, तब से लेकर अब तक 100 फीसदी मतदान होते आया है। पढ़िए पूरी खबर ...
  • मतदान लेने शेराडांड के लिए आज रवाना होगी टीम

बैकुंठपुर । इस बार भी 100 फीसदी मतदान (voting)होने की पूरी संभावना है यह छग प्रदेश का सबसे छोटा मतदान केंद्र है, जहां सिर्फ 5 ही वोटर है। यहां मतदान शुरू होने के कुछ ही देर में 100 फीसदी मतदान संपन्न हो जाता है। शेराडॉड मतदान केंद्र छग का पहला मतदान केंद्र है जहाँ मतदान शुरू होने के कुछ ही दे में 100 फीसदी मतदान पूरा कर लिया जाता है इसी वजह से यह मतदान केंद्र खास है और यही कारण है कि प्रशासन (administration)की भी नजर इस मतदान केंद्र पर अधिक केंद्रित रहती है। वजह यह है कि जब-जब कोई चुनाव( election)आता है तब तक शेराडॉड का जिक्र होता ही है यही कारण है कि शेराडॉड मतदान केंद्र पर मीडिया के अलावा प्रशासन का भी विशेष ध्यान रहता है।

रेवला में दो दर्जन से कम मतदाता

चुनाव का समय आने के साथ ही सोनहत जनपद क्षेत्र में स्थित कई मतदान केंद्र सुखियों में आ जाते है। इनमें से पहले नंबर पर शेराडॉड आता है इसके अलावा सोनहत जनपद क्षेत्र में मतदान केंद्र कांटों में केवल 12 मतदाता है जो शेराडॉड मतदान केंद्र के बाद दूसरे नंबर का छोटा मतदान केंद्र है।

इस बार भी झोपड़ी में होगा मतदान

भरतपुर सोनहत में स्थित मतदान केंद्र क्रमांक 143 शेराडॉड में इस बार भी झोपड़ी में मतदान संपन्न कराया जाएगा। जिला ही नही संभवतः प्रदेश में यह पहला मतदान केंद्र होगा जो झोपड़ी में होगा। जबकि अन्य मतदान केंद्र भवनों में बनाये गये हैं।

2008 में दो मतदाताओं के लिए बना था केंद्र

कोरिया जिले के सोनहत विकासखंड में स्थित शेराडांड तब देश भर में सुर्खियों में आया जब प्रशासन के द्वारा वर्ष 2008 में एक ही परिवार के पति-पत्नी दो मतदाताओं के लिए मतदान केंद्र बनाया था। इस केंद्र में तब पहली बार ही 100 फीसदी मतदान संपन्न हुआ और उसके बाद जितने भी मतदान हुए सभी में 100 फीसदी मतदान होने का रिकार्ड भी बनता गया। अब 15 साल बीत जाने पर यहां परिवार का कुनबा बढ़ा।

ट्रेक्टर में पहुंचता है मतदान दल

भरतपुर सोनहत विधान सभा क्षेत्र में स्थित मतदान केंद्र क्रमांक 143 शेराडॉड तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ता नहीं है इसके कारण मतदान संपन्न कराने जाने वाले मतदान दलों को इस मतदान केंद्र में ट्रैक्टर वाहन में सवार होकर पहुंचना पड़ता है। भरतपुर सोनहत विधान सभा क्षेत्र में ऐसे और कई मतदान केंद्र है जो दुर्गम क्षेत्र में स्थित है जहां तक मतदान दलों को ट्रेक्टर वाहन से ही पहुंचाया जाता है।

गरियाबंद के बिंद्रानवागढ़ विधानसभा के नक्सल प्रभावित पहाड़ी गांव अमामोरा ओढ़ में हैं दो मतदान केंद्र


  • ओढ़ में 358 व आमामोरा मतदान केंद्र में 749 मतदाता हैं
  • 15 साल बाद हेलीकॉप्टर से नहीं सड़क मार्ग से जाएगा मतदान दल

गरियाबंद / मैनपुर। गरियाबंद जिले के बिद्रानवागढ़ विधानसभा क्षेत्र के धुर नक्सल प्रभावित इलाकों के अत्यंत पिछड़ी जनजातियों के कमार भुंजिया के पहाड़ी गांव आमामोर व ओढ़ में मतदान दल 15 साल बाद इस बार हेलीकॉप्टर से नहीं जा रहा है। क्षेत्र में नक्सली गतिविधि कमजोर पड़ी हैं। इसके अलावा पहाड़ी गांव अमामोरा ओढ़ जाने के लिए पक्का सड़क मार्ग बन रहा है। इन्ही वजह से 17 नवंबर को मतदान कराने पोलिंग दल सड़क मार्ग से होकर जाएगा। मतदान केंद्र ओढ़ में 358 और आमामोरा में 749 मतदाता हैं। नक्सल क्षेत्र के 9 मतदान केंद्रों में मतदान के लिए समय में भी बदलाव किया गया है

10 किमी की पदयात्रा फिर करेंगे मतदान

अंबिकापुर। सूरजपुर जिले में विकासखंड ओडगी के दूरस्थ चांदनी बिहारपुर के ग्रामीणों को मतदान केंद्रों की अधिक दूरी होने के कारण भारी समस्या का सामना करना पड़ेगा। विकासखंड ओडगी के पहुंचविहीन ग्राम भुण्डा के मतदाताओं के लिए दूरस्थ ग्राम लुल्ह में मतदान केंद्र का निर्धारण किया गया है। इसी तरह घने जंगल के बीच पहाड़ी पर बसे पहुंचविहीन ग्राम तेलाई पाट का मतदान केंद्र भी लुल्ह में है। मतदान केंद्र से दोनों गांवों की दूरी लगभग 10 किमी है। इन गांवों तक न तो सड़क बनी है, न ही आवागमन की कोई अन्य सुविधा है। लिहाजा गांव के लोग पैदल घाट पहाड़ के रास्ते वोटिंग करने मतदान केंद्र तक पहुंचते हैं। ग्राम तेलाईपाट में पानी सहित अन्य समस्याओं से परेशान लगभग 30 परिवार वर्षों से झोपड़ी बनाकर बलियारी जंगल में रहे हैं।

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