CG Election : रूठे हुए विधायकों को मनाने में जुटी कांग्रेस, विरोध में फंसे कई नए चेहरे !

सुरेन्द्र शुक्ला - रायपुर। कांग्रेस (Congress)ने 30 प्रत्याशियों (candidates)की पहली लिस्ट में 8 विधायकों(MLAs)के टिकट काटकर बताया है कि कांग्रेस समझौता नहीं करेगी। इन 8 विधायकों का टिकट कटने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने कल डोंगरगांव (Dongargaon)से लौटते समय रूठे हुए विधायकों के साथ बैठक कर उन्हें भरोसा दिलाया है कि आने वाले समय में कांग्रेस की सरकार आती है, तो उन्हें काम करने का मौका दिया जाएगा। फिर भी कुछ विधायक ऐसे हैं जो अपनी टिकट कटने को लेकर राजी नहीं हैं। कुछ के समर्थकों ने बैठक का निर्दलीय चुनाव लड़ने पर जोर दिया है। आने वाले समय में क्या समीकरण बनता है यह देखने लायक रहेगा। फिलहाल मान मन्नौवल का दौर शुरू हो गया है।जिन विधायकों के टिकट काटे गए हैं उनमें चित्रकोट से राजमन बेंजाम की टिकट काटकर सांसद दीपक बैज को दिया गया। दीपक बैज प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष भी हैं। पीसीसी चीफ दीपक बैज यहां से चुनाव लड़ते रहे हैं, जीतते रहे हैं।
इस सीट पर कोई संशय नहीं था। लिहाजा राजमन की टिकट कटना तय माना ही जा रहा था। उन्होंने इसे हाईकमान का निर्णय मानते हुए श्री बैज का समर्थन किया है। वहीं दंतेवाड़ा से विधायक की टिकट जरूर कटा है, लेकिन प्रत्याशी परिवार का ही है। दिवंगत महेंद्र कर्मा की पत्नी देवती कर्मा यहां से विधायक थीं। 2018 में मां देवती कर्मा की पत्नी देवती कर्मा यहां से विधायक थीं। 2018 में मां देवती कर्मा को टिकट मिलने पर बेटे छबिन्द्र कर्मा ने ही बगावत कर दी थी।निर्दलीय लड़ने को तैयार हो गए थे, लेकिन नामांकन वापस ले लिया था। इस बगावत का असर यह रहा कि पार्टी चुनाव हार गई। भाजपा के भीमा मंडावी विधायक बने। 2019 में उनकी नक्सलियों ने हत्या कर दी और उपचुनाव में देवती कर्मा फिर जीतीं। कांग्रेस इस बार बगावत का रिस्क नहीं उठाना चाहती थी। इस लिए मां के बजाय बेटे को टिकट देकर उन्हें शांत किया। कांकेर से पूर्व आईएएस शिशुपाल सोरी की टिकट काट कर शंकर ध्रुवा को उम्मीदवार बनाया गया है। दरअसल शिशुपाल सोरी 77 वर्ष के हो चुके हैं। उम्र उनके टिकट कटने की बड़ी वजह मानी जा रही है। वे इसे पार्टी हाईकमान का निर्णय बताते हुए स्वीकार कर लिया है।
अंतागढ़ में समर्थकों ने निर्दलीय उतरने का बनाया दबाव
अंतागढ़ में लोग विधायक अनूप नाग से इसलिए नाराज थे, क्योंकि उन्होंने पिछली बार वादा किया था कि सरकार बनी और विधायक बना, तो अंतागढ़ जरूर जिला बनेगा। सरकार बनी, लेकिन जितने भी नए जिले बने, उनमें अंतागढ़ शामिल नहीं हुआ। इस कारण जनता में उनसे नाराजगी थी। वहीं रूप सिंह पोटाई को यहां से प्रत्याशी बनाया गया है। कार्यकर्ताओं का कहना है कि विधानसभा उन्हें कोई पहचानता नहीं ऐसे में किस आधार पर उन्हें टिकट दिया गया समझ के परे हैं। पखांजूर में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बगावत करते हुए अनूप नाग से निर्दलीय मैदान में उतरने का आगगह किया है। हालांकि विधायक ने कहा कि वे कार्यकर्ताओं का सम्मान करते हैं।
ग्रामीण क्षेत्रों में गिरीश के विरोध में लगे नारे
राजनादगांव में गिरीश देवांगन को टिकट दी गई है। इधर गिरीश देवांगन को टिकट दिए जाने के बाद राजनांदगांव के ग्रामीण क्षेत्रों से विरोध देखने को मिल रहा है। गिरीश वापस जाओ के नारे लगाते हुए कांग्रेसियों ने उनका विरोध शुरू कर दिया है। मुख्यमंत्री के करीबी होने के कारण अभी शहर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही है, लेकिन कहा जा रहा है कि चुनाव में उनके लिए कार्यकर्ताओं का साथ मिलना मुश्किल होगा। डोंगरगढ़ के विधायक भुनेश्वर बघेल को सीएम ने आश्वस्त किया है कि सरकार बनने पर उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी दी जाएगी।
पंडरिया में दावेदार बिफरे
यहां से ममता चंद्राकर की टिकट काटकर नीलकंठ चंद्रवंशी को मौका दिया गया है। ममता चंद्राकर के खिलाफ कांग्रेसियों ने ही मोर्चा खोल रखा था। उनके खिलाफ शिकायतें थीं कि वे पार्टी के कार्यकर्ताओं की उपेक्षा करती हैं। उधर, नीलकंठ मंत्री मोहम्मद अकबर के बेहद करीबी हैं। कवर्धा के जिला अध्यक्ष भी रहे। यहां से ओबीसी समाज को साधने के लिए उन्हें टिकट दिया गया है। दावेदार उन्हें टिकट देने से बूरी तरह बिफरे हैं।
सतनामी समाज का रखा ध्यान
नवागढ़ से गुरुदयाल बजारे की टिकट काटकर रूद्र गुरू को दी गई है। रूद्र गुरू कुमार ने तीसरी बार अपनी विधानसभा सीट बदली है। इससे पहले वे आरंग और अहिवारा से चुनाव लड़ चुके हैं। सामाजिक धर्म गुरू हैं। प्रदेश के आलाकमान से रिश्ते अच्छे नहीं रहे, लेकिन धर्म गुरू हैं, समाज में अच्छी पकड़ है, लिहाजा उन्हें नजर अंदाज नहीं किया जा सकता था। उनकी नवागढ़ लड़ने की इच्छा का सम्मान पार्टी को करना पड़ा और गुरुदयाल बंजारे की टिकट काट दी गई।
दो दिन में निर्णय लेंगी छन्नी
खुज्जी से छन्नी साहू की टिकट काटकर पूर्व विधायक भोलाराम साहू को दी गई है। पिछली बार उनकी टिकट काटकर लोकसभा से मौका दिया गया, लेकिन वे हार गए। उनकी साफ और स्वच्छ छवि को देखकर उनको । एक बार फिर मौका दे दिया गया। छन्नी साहू टीएस सिंहदेव की करीबी मानी जाती है। छन्नी पिछले कई दिनों से सरकार को कई मोर्चे में कटघरे में खड़ी कर चुकी है। मुख्यमंत्री पहले से उनसे नाराज थे। अब टिकट कटने के बाद उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ बैठक की है। बताया | जाता है कि कार्यकर्ताओं ने उनसे आग्रह किया है कि i नर्दलीय चुनाव लड़े। फिलहाल छन्नी साहू ने उन्हें दो दिन में अपना फैसला सुनाने का फैसला किया है।
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