CG Election : 87 करोड़ की देनदारी को सरकार ने किया माफ, अब टैक्स की 30% राशि देने में पेंच

- औद्योगिक क्षेत्र को पहले निगम में शामिल करने में विलंब किया गया।
- 40 वार्डों में होने वाला विकास कार्य प्रभावित होने से जनसुविधाओं का अभाव है।
- उद्योगों से बीरगांव निगम को 12 साल नहीं मिला राजस्व, इसलिए अटकी सुविधाएं
बीरगांव। डेढ़ लाख से ज्यादा की आबादी वाले बीरगांव नगर निगम (Birgaon Municipal Corporation) के पास राजस्व(Revenue)का कोई साधन नहीं है। औद्योगिक क्षेत्र (Industrial Area)को पहले निगम में शामिल करने में विलंब किया गया। 2010 में उद्योगों को निगम में शामिल करने के बाद भी 12 साल तक टैक्स के रूप में कोई राजस्व नहीं मिला। फैक्ट्री (factory)मालिकों पर बकाया 87 करोड़ की देनदारी को भी 2022 में सरकार ने माफ करते हुए राहत दे दी। अब कुल टैक्स की 30 फीसदी राशि के भुगतान में पेंच फंसा है। इससे लोगों को मिलने वाली सुविधाएं भी प्रभावित हो रही हैं।
बीरगांव निगम को 2003 में नगर पालिका परिषद बनाने के बाद 7 साल उद्योगों से टैक्स लेनेका अधिकार सरकार ने नहीं दिया। 2010 में बीरगांव निगम को उद्योग मालिकों से टैक्स लेने का अधिकार मिला। तब निगम के राजस्व विभाग में निगम सीमा में संचालित फैट्रियों का सर्वे करने के बाद 10.37 करोड़ रुपए का वार्षिक टैक्स मिलने की आस जागी, मगर 12 साल तक किसी भी उद्योग मालिक ने निगम को टैक्स नहीं दिया। इससे 2022 तक टैक्स बढ़कर 87 करोड़ हो गया था। यह राजस्व निगम को उद्योगों से नहीं मिला। इससे 40 वार्डों में होने वाला विकास कार्य प्रभावित होने से जनसुविधाओं का अभाव है।निगम सीमा में प्रदूषण फैलाने वाले उद्योग मालिक वार्डों में किसी प्रकार का विकास कार्य भी नहीं करा रहे हैं। इनके फंड का उपयोग भी बीरगांव क्षेत्र में नहीं हुआ है।
निगम को मिल चुका सर्कुलर
शासन द्वारा किए गए आदेश का सर्कुलर बोरगाव निगम प्रशासन को अक्टूबर में मिला। इसके चलते निगम को 10:37 करोड़ का 30 फीसदी यानी करोड़ 11 लाख रुपए का भुगतान अब शासन करेगा। इसके लिए निगम द्वारा प्रोसेस तो किया गया है, लेकिन इस सीजन में भुगतान का प्रावधान नहीं किया गया है। इसके चलते निगम को मिलने वाला 30 फीसदी राजस्व भी अटक गया है। इसकी प्रक्रिया शासन स्तर पर पूरी होने के बाद ही राहत मिल पाएगी।
इन सुविधाओं का भी अभाव
बीरगांव निगम के 40 वार्डों को प्रदूषित करने वाले उद्योगों से कमाई के रूप में 20 साल में कोई टैक्स नहीं मिला है। इससे बीरगाव, उरला, अछोली, सरोरा, उरकुरा और रावाभाठा में अभी तक एक भी मनोरंजन का साधन डेवलप नहीं हो पाया है। एक भी चौपाटी निगम के जिम्मेदार फंड के अभाव में यहां स्थापित नहीं कर पाए हैं। गार्डन तो दूर, होडिंग पॉलिसी का पालन भी फंड के अभाव में नहीं हो पाया है। आगजनी रोकने का भी पर्याप्त साधन नहीं है।
फंड नहीं मिला, कर रहे प्रोसेस
ननि बीरगांव के महापौर नंदलाल देवांगन ने कहा कि , सरकार ने उद्योगों की पुरानी देनदारी को माफ कर दिया है। अब राजस्व की 30 फीसदी राशि हमें शासन से हर साल मिलेगी। इसके लिए प्रोसेस किया है। अभी तक 2022-23 में टैक्स की देय राशि भी नहीं मिली है। इसके लिए भी शासन से मांग की गई है।
इसलिए नहीं दिया टैक्स
उरला इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष अश्विन गर्ग ने कहा कि, 2010 में जब टैक्स का प्रावधान किया गया, तब लीज की जमीन का टैक्स दे रहे थे और निगम को भी टैक्स देना पड़ता। टैक्स की दोहरी मार से बचने के लिए ही हमने यह तय किया कि निगम को टेक्स नहीं देंगे। इसकी मांग शासन से की गई थी। बाद में राज्य शासन ने हमें राहत दे दी।
इस वजह से अटका भुगतान
सरकार ने 2010 में जब उद्योग मालिकों के लिए सर्कुलर जारी करते हुए बीरगांव निगम को राजस्व देने कहा तो उद्योग मालिकों ने इसका विरोध करते हुए आपत्ति दर्ज कराई। इसके चलते 12 साल तक निगम को उद्योग मालिकों से किसी प्रकार का टैक्स नहीं मिला। भुगतान करने में फैक्ट्री मालिक भी इसलिए बिदकते रहे, क्योंकि उन्हें दोहरा भुगतान करने से नुकसान हो रहा था। अब 30% की देनदारी में भी प्रक्रिया में पेंच फंसने की स्थिति है।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS