CG Election : मुद्दे गायब, अब सत्ता हासिल करने चुनावी घोषणा पत्र बना ब्रम्हास्त्र

नितिन सिंह राजपूत - राजनांदगांव । विधानसभा चुनाव (assembly elections) के लिए राजनैतिक पार्टियों (political parties)की रणनीति तैयार हो गई है। पार्टियां लोक लुभावने वादे के साथ रण के मैदान में पूरी ताकत झोंकने में लगी हुई है। इस बार चुनाव (elections)का रुख लोकल मुद्दों और बुनियादी सुविधाओं की बजाय घोषणा पत्रों पर टिकती हुई नजर आ रही है। कई वर्ग के मतदाता (voters)पार्टियों के घोषणा पत्र के इंतजार में है। इसके बाद ही मतदाताओं का रुख साफ होने के साथ चुनाव की तस्वीर स्पष्ट होने के आसार है। हर पांच साल में होने वाले विधानसभा चुनाव में समय के साथ राजनीतिक समीकरण भी बदलते रहा है। पहले चुनाव के समय यह देखने को मिलता था कि स्थानीय मुद्दों और बुनियादी सुविधाओं पर मतदाताओं का फोकस रहता था, लेकिन बीते विधानसभा चुनाव के बाद से ट्रेंड बदल गया है। अब चुनाव में घोषणा पत्र महत्वपूर्ण हो गया है।
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में कुछ बड़े वादे किया था। जिसमे किसानों का कर्जा माफ, बिजली बिल हाफ, 2500 रुपए समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी सहित कई अन्य घोषणाएं शामिल थी । इन घोषणाओं की बदौलत 15 साल से सरकार चला रही भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा। वही भाजपा के घोषणा पत्र में ऐसे लोक लुभावने वादे नहीं थे। जिसका खामियाजा हार के साथ भाजपा को उठाना पड़ा। पिछले चुनाव की तर्ज पर कांग्रेस फिर सत्ता हासिल करना चाह रही है और घोषणा पत्र जारी होने से पहले कांग्रेस ने चार बड़ी घोषणा कर भाजपा के सामने चुनौती खड़ी कर दी है। अब देखना यह होगा कि भाजपा इन घोषणाओं की तोड़ किस तरह से निकालती है और इस चुनाव में कांग्रेस को कौन सी चाल चलकर मात देने की रणनीति तैयार करती है। बहरहाल प्रदेश में दो चरणों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तारीखें नजदीक आते जा रही है। पहले चरण की 20 सीटों पर आगामी 7 नवंबर को मतदान होगा। इससे पहले राजनैतिक पार्टियों द्वारा घोषणा पत्र जारी करने की उम्मीद जताई जा रही है। पार्टी सूत्रों की माने तो कांग्रेस और भाजपा द्वारा इसी सप्ताह घोषणा पत्र जारी करने की तैयारी की गई है।
मतदाताओं में जागरूकता की कमी
विधानसभा चुनाव स्थानीय मुद्दों पर लड़ा जाता है। प्रत्याशी चुनाव में लोकल मुद्दों और मूलभूत बुनियादी सुविधाओं को लेकर मतदाताओं के पास जाता है, लेकिन प्रत्याशियों के साथ साथ मतदाताओं का रुख भी बदल गया है। मतदाताओं में जागरूकता की कमी के चलते राजनैतिक पार्टियां उन्हें लालच देकर अपने सांचे में ढालने में कामयाब हो रही है। प्रदेश के ज्यादातर जगहों पर मूलभूत ढांचे सड़क, पानी, बिजली, सिंचाई, नाली जैसी अन्य सुविधाओं की कमी है। मतदाताओं को जागरूकता के साथ रेवड़ी कल्चर को छोड़कर इन मूलभूत सुविधाओं को चुनाव को प्रमुख मुद्दा बनाकर अपने विवेक से मताधिकार का उपयोग करना चाहिए।
बढ़ा रेवड़ी कल्चर
राजनैतिक पार्टियां अपने फायदे के लिए रेवड़ी कल्चर को बढ़ावा देकर प्रदेश की आर्थिक स्थिति को खोखला करने में जुटी हुई है। सत्ता हासिल करने की चाह में पार्टियां प्रदेश की उन्नति और विकास की अनदेखी कर रही है। आम मतदाताओं को रेवड़ी कल्चर खूब भाने लगा है, लेकिन इसका साइड इफेक्ट प्रदेश की आर्थिक स्थिति पर सीधे तौर पर पड़ने लगा है। इस कल्चर से कुछ समय के लिए आम लोगो को लाभ जरूर मिलता है, लेकिन इससे प्रदेश का पिछड़ने का खतरा भी मंडराते रहता है।
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