CG Election : अतीत की यादें, जब चाचा ने भतीजे को दे दिया बी-फार्म

CG Election : अतीत की यादें, जब चाचा ने भतीजे को दे दिया बी-फार्म
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मध्यप्रदेश के दौर में रायपुर जिले के अंतर्गत आने वाले बिंद्रानवागढ़ विधानसभा में भाजपा की नींव रखने वाले स्वर्गीय बलराम पुजारी ने इस सीट से तीन बार जीत दर्ज की थी। घटना सन 1985 की है जब भाजपा ने श्री पुजारी को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। उन्होने अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया।पढ़िए पूरी खबर ...

गौरेलाल सिन्हा - गरियाबंद। अविभाजित मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) के बिंद्रानवागढ़ सीट (Bindranavagarh seat)से तीन बार भाजपा विधायक (BJP MLA) रहे बलराम पुजारी (Balram Pujari)ने एक बार पार्टी द्वारा प्रत्याशी बनाए जाने के बाद भी निर्दलीय रूप से मैदान में उतरे अपने भतीजे के लिए चुनावी मैदान से हटने का निर्णय ले लिया था। राजनीति में जहां रिश्तेदारों के बीच मुकाबला होता है वहीं श्री पुजारी द्वारा किए गए इस त्याग ने उनका नाम हमेशा के लिए इतिहास के स्वर्ण अक्षरों में अंकित कर दिया है।

मध्यप्रदेश के दौर में रायपुर जिले के अंतर्गत आने वाले बिंद्रानवागढ़ विधानसभा में भाजपा की नींव रखने वाले स्वर्गीय बलराम पुजारी ने इस सीट से तीन बार जीत दर्ज की थी। घटना सन 1985 की है जब भाजपा ने श्री पुजारी को अपना प्रत्याशी घोषित किया था। उन्होने अपना नामांकन पत्र भी दाखिल कर दिया। इस बीच वे किसी बात को लेकर पार्टी से नाखुश गए थे। जब उन्हें यह पता चला कि उनका भतीजा धनसाय नागेश ने भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर नामांकन दाखिल कर दिया है तो उन्होंने उसे काफी मनाने की कोशिश की लेकिन जब भतीजा नहीं माना तो उन्होने अपना बी फार्म उसे दे दिया।

इस दौरान श्री पुजारी भाजपा संगठन से भी धनसाय नागेश को अधिकृत प्रत्याशी बनाए जाने का आग्रह भी किया और पार्टी ने इसे स्वीकार भी कर लिया था। हांलाकि श्री पुजारी के चुनावी मैदान के हटने के बाद भी धनसाय को हार का सामना करना पड़ा। उस दौरान कांग्रेस के ईश्वर पटेल को जीत हासिल हुई थी। इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी ईश्वर पटेल को कुल 16682 वोट प्राप्त कर विधायक निर्वाचित हुए थे। सीपीआई पार्टी के प्रत्याशी भोजलाल नेताम 6704 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे। 1985 में हुए चुनाव में इंडियन नेशनल कांग्रेस पार्टी मध्यप्रदेश विधानसभा में भारी बहुमत 250 सीट के साथ सरकार बनाया। बलराम पुजारी को1990 में भाजपा से पुनः टिकट मिला और वह 11हजार वोट से जीत का विधायक निर्वाचित हुए थे ।

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