CG Election : दिलचस्प हुई सरगुजा की जंग, कांग्रेस से चार, भाजपा से 12 नए चेहरे मैदान में, बगावत भी

अजय नारायण पांडेय - अंबिकापुर । कांग्रेस प्रत्याशियों (Congress candidates)के नाम घोषित करने के बाद सरगुजा (Surguja) में अब चुनावी दंगल जोर पकड़ रहा है। कांग्रेस (election )ने इस बार परफार्मेंस के आधार पर सरगुजा संभाग की चार सीटों पर नए चेहरों को उतारा है। भाजपा ने नया प्रयोग करते हुए दो पुराने चेहरों को छोड़कर सरगुजा (Surguja )की 14 सीटों को हथियाने के लिए नए चेहरों पर दांव लगाया है। भाजपा ने एक महीने पूर्व ही सरगुजा की अधिकांश सीटों पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी थी। भाजपा (BJP)अम्बिकापुर सीट (Ambikapur seat )पर प्रत्याशी तय करने के लिए अभी भी मंथन कर रही है।
पिछले विधानसभा चुनाव में सरगुजा मे भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया था। सभी 14 सीटों पर कांग्रेस ने भारी मतों से जीत हासिल की थी। पिछले चुनाव में भाजपा ने कुछ नए चेहरों को भी मैदान में उतारा था लेकिन इसका फायदा नहीं मिला। इस बार भाजपा ने दो वरिष्ठ नेताओं को छोड़कर सभी सीटों पर नया चेहरा उतारा है। इधर कांग्रेस ने सर्वे रिपोर्ट के आधार पर खराब प्रदर्शन वाले चार विधायकों की टिकट काट दी है तथा इस सीटों पर नए चेहरों को उतारा है। कांग्रेस एवं भाजपा ने नए चेहरों पर दांव लगाकर चुनाव का संघर्ष बढ़ा दिया है। सरगुजा में मिली जीत के आधार पर ही प्रदेश की सत्ता तक पहुंचने का मार्ग प्रशस्त होता है इसलिए कांग्रेस एवं भाजपा दोनों ही दलों ने प्रारंभ से ही अपनी पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा ने इसके पूर्व भी कोरिया एवं जशपुर जिले में नए चेहरों को उतारा था जिसका भाजपा को लाभ मिला तथा सभी नए उम्मीदवार विजयी हुए। वर्ष 2008 में विधान में विधानसभा सीटों के पुनर्गठन में पहली बार भरतपुर- सोनहत विधानसभा अस्तित्व में आई थी तथा मनेंद्रगढ़, भटगांव, प्रेमनगर एवं अम्बिकापुर विधानसभा क्षेत्र को सामान्यघोषित किया था।

भाजपा ने मनेंद्रगढ़ सीट से दीपक कुमार पटेल, फूलचंद सिंह को उतारा था। दोनों प्रत्याशी काफी अंतर से विजयी हुए थे। वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा ने दोनों विधायकों की टिकट काट दी तथा भरतपुर- सोनहत से चंपादेवी पावले एवं मनेंद्रगढ़ से श्याम बिहारी जायसवाल को उतारा। दोनों नए प्रत्याशियों ने जीत हासिल की। इसी तरह 2013 के चुनाव में भाजपा ने जशपुर विधायक जगेश्वर राम भगत एवं कुनकुरी विधायक भरत साय की जगह क्रमशः राजाराम भगत एवं रोहित साय को उतारा था। दोनों प्रत्याशी विजयी हुए थे। भाजपा ने इस बार पूर्व मंत्री रामविचार नेताम एवं भैयालाल राजवाड़े को छोड़कर सरगुजा संभाग की शेष 12 सीटों पर नए चेहरों को उतारा है। इस बार का चुनावी माहौल कुछ बदला- बदला नजर आ रहा है। जिन सीटों पर कांग्रेस ने अपने विधायकों की टिकट काटकर नए उम्मीदवारों को उतारा है वहां पार्टी को अपने ही लोगों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है। इन सीटों पर इस बार निर्दलीय उम्मीदवारों की संख्या बढ़ने तथा नाराज विधायकों द्वारा पाला बदलने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। सरगुजा की राजनीति में नए समीकरण तैयार होगें।
2008 में कांग्रेस को मिली थी 5 सीटें
सरगुजा के राजनीतिक परिदृश्य में लगातार बदलाव आ रहा है। इसके बावजूद क्षेत्र की कई विधानसभा सीटों को साधने में भाजपा को सफलता नहीं मिल पाई है। वर्ष 2008 के चुनाव में भाजपा की सरकार रहने के बावजूद सरगुजा की 9 सीटों पर भाजपा जबकि 5 सीटों पर कांग्रेस को जीत मिली थी। वर्ष 2018 के चुनाव में कांग्रेस व भाजपा को 7-7 सीटों पर जबकि • 2018 के चुनाव में भाजपा के सभी प्रत्याशियों को करारी हार का सामना करना पड़ा था।
4 सीटों पर कांग्रेस को भीतरघात का खतरा
कांग्रेस ने चार विधानसभा क्षेत्रों में विधायकों की टिकट काट दी है। नए चेहरों को उतारा है। टिकट कटने से सभी विधायक नाराज हैं तथा कांग्रेस के खिलाफ किसी भी हद तक जा सकते हैं। पूर्व मंत्री एवं प्रतापपुर विधायक डॉ. प्रेमसाय सिहं ने अभी तक टिकट कटने को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं लेकिन रामानुजगंज विधायक बृहस्पत सिंह एवं मनेंद्रगढ़ विधायक डॉ. विनय जायसवाल टिकट कटने का मुखर विरोध कर रहे हैं, जबकि सामरी विधायक चिंतामणि महाराज के भाजपा में शामिल होने की चर्चाएं जोरों पर हैं। इन सीटों पर कांग्रेस प्रत्याशियों के विरूद्ध निर्दलीय उम्मीदवारों को उतारने की भी संभावना जताई जा रही है।
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