CG Election : सक्ती की सियासत में 5 दशक से रियासत का रूतबा कायम

CG Election : सक्ती की सियासत में 5 दशक से रियासत का रूतबा कायम
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आजादी के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव (assembly elections) में राज परिवार के सदस्य ने निर्दलीय चुनाव लड़कर तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी (Congress candidate)को मात दी थी। इसके बाद राज परिवार के सदस्यों के चुनावी समर में उतरने और विजयी होने का सिलसिला पांच दशक तक चला। पढ़िए पूरी खबर...

अभिषेक शुक्ला - जांजगीर चांपा। सक्ती (Sakti)रियासत का रुतबा सक्ती विधानसभा (Sakti Assembly )की सियासत में पांच दशक तक कायम रहा। आजादी के बाद हुए पहले विधानसभा चुनाव (assembly elections) में राज परिवार के सदस्य ने निर्दलीय चुनाव लड़कर तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी (Congress candidate)को मात दी थी। इसके बाद राज परिवार के सदस्यों के चुनावी समर में उतरने और विजयी होने का सिलसिला पांच दशक तक चला। हालांकि यह भी एक सच्चाई है कि चार बार के विधायक और मंत्री रहे यहां के राजा को गांव के सरपंच से पराजित होना पड़ा। इसके बाद राज परिवार की जीत का सिलसिला यहीं थम गया।आजादी के बाद अविभाजित मध्य प्रदेश शासन काल में हुए 1952 के पहले चुनाव में सक्ती विधानसभा से सक्ती रियासत की उपेक्षा कांग्रेस को भारी पड़ गई थी। तब सक्ती राज परिवार के लीलाधर सिंह निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरे थे और उन्होंने तत्कालीन कांग्रेस प्रत्याशी गौरी शंकर को करारी शिकस्त दी थी।

इसके बाद अगले चुनाव में लीलाधर सिंह फिर से विजयी हुए। वे 1952 और 1957 में दो बार विधायक बने। इसके बाद के दो चुनाव में कांग्रेस ने राज परिवार की टंक राजेश्वरी और इंदु देवी सिंह को उम्मीदवार बनाया। वे भी विजयी हुई। अगले चुनाव में राज परिवार के पुष्पेंद्र नाथ सिंह ने निर्दलीय चुनाव लड़ा और वे विधायक बने। फिर 1977 से राजा सुरेंद्र बहादुर कादौर चला। राजा सुरेंद्र बहादुर ने लगातार तीन चुनाव जीतकर हैट्रिक बनाई। फिर वर्ष 1990 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने राज परिवार के पुष्पेंद्र बहादुर सिंह को उम्मीदवार बनाया। तब उन्होंने कांग्रेस के धीरेंद्र राठौर को पराजित किया। इसके बाद के चुनाव में कांग्रेस से राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह चुनाव लड़े और उन्होंने भाजपा के मेघाराम साहू को पराजित किया, लेकिन वर्ष 1998 का चुनाव एक तरह से राज परिवार के लिए आखिरी रहा। अबकी बार चार बार के विधायक और मध्य प्रदेश शासन काल में मंत्री रहे सुरेंद्र बहादुर को लवसरा गांव के सरपंच और भाजपा प्रत्याशी मेघाराम साहू से पराजित होना पड़ा। मेघाराम लगातार दो चुनाव जीते। इसके साथ सक्ती राज परिवार के सदस्य को कांग्रेस और भाजपा दोनों प्रमुख दलों से चुनाव लड़ने का मौका नहीं मिला।

सक्ती विधानसभा में अब तक के विधायक

1952 :- लीलाधर सिंह (निर्दलीय)

1957:- लीलाधर सिंह (प्रसपा)

1962 :- टंक राजेश्वरी कांग्रेस

1967 :- इंदुमती देवी कांग्रेस

1972 :- पुष्पेंद्र नाथ सिंह निर्दलीय

1977 :- राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह (कांग्रेस)

1980 :- राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह (कांग्रेस)

1985 :- राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह (कांग्रेस)

1990: - पुष्पेंद्र बहादुर सिंह (भाजपा)

1993 राजा सुरेंद्र बहादुर सिंह (कांग्रेस)

1998 :- मेघाराम साहू (भाजपा)

2003 :- मेघाराम साहू (भाजपा)

2008 :- श्रीमती सरोजा राठौर (कांग्रेस)

2013 :- डॉ खिलावन साहू (भाजपा)

2018 :- डॉ चरणदास महंत (कांग्रेस)

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