CG Election : हर चुनाव में कांग्रेस-भाजपा का गतिरोधक बन रही तीसरी शक्ति, इस बार भी बागी बने चुनौती

सत्यम शर्मा - राजनांदगांव । भले ही छत्तीसगढ़ में मुख्य मुकाबला कांग्रेस (Congress) और भाजपा( BJP)के मध्य ही रहा हो, लेकिन बसपा (BSP), सपा (SP)और जनता कांग्रेस जोगी (Janata Congress Jogi )के रूप में मौजूद तीसरा विकल्प भी कई सीटों पर अपना प्रभाव डालता आया है। खासकर बिलासपुर (Bilaspur)संभाग में तीसरी शक्ति के कारण दोनों प्रमुख दल को अधिक नुकसान देखने को मिला है। पिछले चुनाव की बात करें तो पहली बार चुनावी मैदान में उतरी जनता कांग्रेस जोगी के उम्मीदवारों ने भले ही पांच ही सीटों पर जीत हासिल की रही हो लेकिन करीब दर्जनभर सीटें ऐसी थी, जहां इस पार्टी के उम्मीदवारों को मिले वोट के चलते दोनों प्रमुख दलों का हार-जीत का समीकरण बिगड़ गया। इसके अलावा आधा दर्जन सीटों पर बसपा की भी मौजूदगी इन दोनों दलों को परेशान करती रही है। इस बार भी बागी होकर मैदान में उतरे नेता चिंता का विषय बने हुए हैं।
छत्तीसगढ़ प्रदेश की अगली सरकार चुनने चुनावी दौर शुरू हो चुका है। पहले चरण की 20 सीटों पर नामांकन की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। अब नाम वापसी जारी है। दोनों प्रमुख दलों द्वारा टिकट वितरण के बाद बनी स्थिति से साफ है कि इस बार भी बड़ी संख्या में नाराज नेता बागी होकर चुनावी मैदान में उतरेंगे। ऐसे में इन बागियों और तीसरी शक्ति के रूप में चुनावी मैदान में मौजूद अन्य दल के चलते भाजपा और कांग्रेस का समीकरण बिगड़ सकता है। पिछले चुनाव में भी प्रदेश की 90 में से 36 सीटों पर भाजपा-कांग्रेस की जीत के मध्य तीसरी शक्ति को मिला जनाधार ही रहा था। इनमें 7 सीटों में दोनों प्रमुख दलों को तीसरी शक्ति ने पछाड़ भी दिया था। इस बार भी पहले चरण की 20 में से दर्जनभर सीटों में यही स्थिति बनती नजर आ रही है।
पिछले चुनाव की यह रही स्थिति
दल सीटें वोट% वोट
कांग्रेस 68 43% 6136429
भाजपा 15 33% 4701530
जेसीसी 5 7.6% 1081760
बसपा 2 3.9% 552313
नोटा - 2% 282588
खुलकर विरोध, भीतरघात का भी खतरा
दोनों दलों द्वारा प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया गया है। प्रत्याशी ऐलान के बाद से ही दोनों ही दल में टिकट की उम्मीद लगाए बैठे नाराज नेताओं ने भी मोर्चा खोल दिया है। इनमें से कुछ ने बागी होकर निर्दलीय चुनाव मैदान में उतरने का भी मन बना लिया है। पहले चरण की राजनांदगांव, डोंगरगढ़, कोंडागांव सहित कुछ सीटों में ऐसे नेता मैदान में हैं। शेष बचे 70 सीटों में भी शनिवार से शुरू हुई नामांकन प्रक्रिया में ऐसे नेताओं द्वारा नामांकन फार्म दाखिल किए जाने की संभावना बनी हुई है।
हर चुनाव में बसपा ने जीती सीटें प्रदेश के 90 विस
सीटों में सीधी टक्कर कांग्रेस और भाजपा के बीच होती रही। वहीं बसपा ने भी सभी चार चुनाव में कम से कम एक सीट जीतने में सफलता पाई है। 2003 में 90 सीट में से 50 भाजपा, 37 कांग्रेस, 2 बसपा और 1 एनसीपी ने जीता। 2008 में 50 भाजपा, 38 कांग्रेस और 2 बसपा ने जीता। 2013 में 49 भाजपा 39 कांग्रेस, 1 बसपा और 1 निर्दलीय जीता है। 2018 में कांग्रेस 68, भाजपा 15, जेसीसी 5 व बसपा 2 सीटें जीती।
61 दलों के बीच हुआ था मुकाबला
पिछले चुनाव की बात करें तो प्रदेश की 90 सीटों में चुनाव लड़ने के लिए कुल 61 पार्टियों ने अपने उम्मीदवार उतारे थे। इनमें भाजपा, कांग्रेस, बसपा, एनसीपी, सीपीआई और सीपीएम नेश्नल पार्टिया थी। वहीं आप, जेडीयू, शिवसेना और सपा राज्य स्तर की पार्टिया थी। इसके अलावा 51 छोटी पार्टियां यानि गैर मान्यता प्राप्त पंजीकृत पार्टिया भी चुनावी मैदान में उतरी थी। प्रदेश की 90 सीटों के लिए कुल 1269 प्रत्याशी मैदान में रहे थे। इनमें सबसे अधिक 68 कांग्रेस, 15 भाजपा, 5 जनता | कांग्रेस जोगी और 2 बसपा के प्रत्याशियों ने जीत हासिल की थी। इसके पहले चुनाव की बात करें तो 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में कुल 45 राजनीतिक दलों के बीच मुकाबला हुआ था। इनमें छह राष्ट्रीय पार्टी और पांच राज्य स्तर की पार्टियों के साथ ही 34 गैर मान्यता प्राप्त पार्टियां चुनावी मैदान में थी ।
इन सीटों पर प्रभाव
तीसरी शक्ति के कारण जिन सीटों में कांग्रेस और भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा था उनमें भरतपुर सोनहट, मनेंद्रगढ़, प्रेमनगर, रामानुजगंज, जशपुर, रायगढ़, रामपुर, कोरबा, कटघोरा, पाली तानाखार, कोटा, मुंगेली, तखतपुर, बिल्हा, बेलतारा, मस्तुरी, अकलतरा, जांजगीर चांपा, चंद्रपुर, जैजेपुर, पामगढ़, बसना, महासमुंद, भिलाईगढ़, ! बलौदाबाजार, भाटापारा, रायपुर ग्रामीण, आरंग, अभनपुर, बिंद्रानवागढ़, कुरुद, धमतरी, दुर्ग शहर, बेमेतरा, पंडरिया, खैरागढ़, मोहला मानपुर, दंतेवाड़ा और कोंटा की सीटें शामिल है।
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