CG Election : मतदान के दो दिन पहले नक्सलियों ने 40 से अधिक गांवों को करा दिया था खाली, वोटर हो गए थे आंध्र और तेलंगाना शिफ्ट

- बीजापुर में इसलिCG Election : मतदान के दो दिन पहले नक्सलियों ने 40 से अधिक गांवों को करा दिया था खाली, वोटर हो गए थे आंध्र और तेलंगाना शिफ्टए वोटिंग कम, एक तरफ बहिष्कार, दूसरी तरफ नक्सली फरमान
- इंद्रावती नदी में पुल बनने से 100 से अधिक गांव के लोगों ने किया था चुनाव का बहिष्कार
सुरेश रावल - जगदलपुर। छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों (assembly seats)में से बस्तर संभाग (Bastar division)का नक्सल प्रभावित (Naxal-affected a)अतिसंवेदनशील बीजापुर विधानसभा (Bijapur assembly)ऐसा क्षेत्र रहा, जहां पूरे प्रदेश में सबसे कम मतदान हुआ। बताया जा रहा है कि, कम मतदान होने का कारण नक्सलियों का बहिष्कार तो था ही, वहीं इस चुनाव में उसूर ब्लाक के 40 से अधिक गांवों के ग्रामीणों को नक्सलियों ने मतदान दिवस 7 नवंबर के 2 दिन पहले आंध्रप्रदेश और तेलंगाना भगा दिया था। वहीं कुटरू इलाके के अंबेली में अक्टूबर महीने से चल रहे आंदोलन में भी चुनाव बहिष्कार का नारा था।
इंद्रावती नदी पर पुल बनाने का काम चल रहा है, लेकिन ग्रामीणों का विरोध इस बात पर है कि सरकार और जिला प्रशासन ने ग्रामसभा से पुल और सड़क बनाने की अनुमति नहीं ली। पुल बनने के बाद बस्तर का यह इलाका महाराष्ट्र से जुड़ जाएगा। पढ़िए पूरी खबर...
महाराष्ट्र के भामरागढ़ जिला से नागपुर नजदीक है। ग्रामीण इस बात से भयभीत हैं कि भोपालपटनम के तिमेड़ में पुल बनने से जिस तरह बड़े पैमाने पर इमारती लकड़यों की तस्करी कर महाराष्ट्र भेजा जा रहा है। उसी तरह यहां भी सागौन और बांस समेत अन्य बेशकीमती जंगल बर्बाद हो जाएंगे। बीजापुर से सीपीआई प्रत्याशी पी. लक्ष्मीनारायण ने हरिभूमि से चर्चा में कहा कि 100 से अधिक इस इलाके के गांव के लोगों ने पुल और सड़क के विरोध में चुनाव बहिष्कार किया था। हमारी पार्टी के लोग भी चुनाव से पहले इस आंदोलन में शामिल हुए। ग्रामीण इस बात से नाराज हैं कि ग्रामसभा की अनुमति लिए बिना पुल निर्माण शुरू किया गया और इसमें कांग्रेस विधायक और भाजपा के पूर्व मंत्री दोनों इस चुनाव में प्रत्याशी हैं, उन्होंने ग्रामीणों का साथ नहीं दिया। यही कारण है कि इस इलाके में वोटिंग काफी कम हुई।
प्रतिशत में थोड़ा कम, लेकिन लगभग तीन हजार मतदाता इस बार बढ़े
कलेक्टर राजेन्द्र कटारा ने कहा कि पिछले 2018 के विधानसभा चुनाव की तुलना में मात्र 0.12 प्रतिशत कम मतदान हुआ। पिछले बार 48.49 प्रतिशत और इस बार 48.37 प्रतिशत वोट पड़े। उन्होंने कहा कि 2023 के चुनाव में 10 हजार मतदाता बढ़े हैं। इसलिए पिछले चुनाव में लगभग 79 हजार वोटिंग हुई थी, इस बार 82 हजार वोटिंग हुई है। प्रतिशत में थोड़ा कम हुआ लेकिन लगभग 3 हजार मतदाता इस बार बढ़े हैं।
46 मतदान केंद्र में 5 फीसदी से कम वोटिंग
बीजापुर विधानसभा में इस बार कुल 245 मतदान केंद्र बनाए गए थे। जिनमें से 66 में 10 फीसदी से कम वोटिंग हुई। 5 फीसदी से कम वोटिंग वाले भी कई केंद्र रहे जहां इक्के-दुक्के लोग ही बड़ी मुश्किल से पहुंचे। जिनमें करकावड़ा में 2.60, वबर चेरपल्ली 4.48, कुंगलेर 2.61, मुकाबेली 4.59, जरामरका 1.74, नुगूर 4.19, लंकामड़ 1.24, मुरूमवाड़ा 1.12, जाटलूर 1.96, बुटेर 1.90, जैगुर-1 में 0.95, जैगुर-2 में 3.52, छोटेतुमनार 0.46, इडेर 2.33, बड़ेपल्ली 3.98, बिरियाभूमि 2.13, डुंगा 0.64, पीड्याकोट 1.34, थुलथुली 0.64, बकेली 2.14, बरदेला-2 में 4.04, कडेर 0.83, कमकानार 4.39, बेचापाल 2.37, पुसनार-2 में 2.76, पुसनार-3 में 1.96, सावनार 2.82, पेड़ाकोरमा 3.46, तिम्मापुर- 1 1 में 0.98, धरमापुर-2 में 1 1.02, पीड़ाया 1.15, अंडरी-1 में 0.76, अंडरी-2 में 0.30, सारकेगुड़ा 4.96, पुसबाका 2.09, मारुड़बाका-3 में 1.71, भुसापुर 0.51, पुजारीकांकेर 2.07, कोत्तापल्ली 2.66, धरमारम-1 में 1.09, धरमारम-2 में 0.76, कोण्डापल्ली 0.70, दरेली-1 में 0.56, दरेली-2 में 0.45, काउरगट्टा 0.99 तथा यमपुर में 0.96 फीसदी मतदान हुआ।
76 दल हेलीकॉप्टर से भेजे गए
कलेक्टर ने कहा कि इस बार 76 मतदान दल को हेलीकॉफ्टर से मतदान केंद्रों में मतदान कराने भेजा गया। वहीं मतदान कर्मियों को 12 से 15 किमी तक पैदल चलकर गांव जाना पड़ा। 8 से 9 गांव में इस बार नए मतदान केंद्र खुलने से ग्रामीणों ने पहली बार अपने गांव में मतदान किया। वहीं नदी, पहाड़ लांघ कर अत्यंत दुरस्त गांव के ग्रामीणों को 40-50 किमी दूरी तय कर वोट डालने जाना पड़ा।
गांव खाली कराकर नदी पार ले गए नक्सली
बीजापुर के कलेक्टर राजेन्द्र कटारा ने कहा कि, जैगुर, तिमापुर समेत कुछ इलाकों के गांव को नक्सलियों ने खाली करा दिया था और नदी पार जाने का आदेश दिया था, इस कारण वोटिंग कम हुई। कम मतदान का कारण हमेशा की तरह नक्सल प्रभावित दूरस्थ इलाकों में नक्सलियों का चुनाव बहिष्कार का फरमान रहा है। डर के कारण लोगों ने मतदान नहीं किया या फिर गांव छोड़कर बाहर चले गए।
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