CG Election: राजनीतिक पार्टियों से नाराज हैं ग्रामीण, चुनाव बहिष्कार का किया ऐलान

CG Election: राजनीतिक पार्टियों से नाराज हैं ग्रामीण, चुनाव बहिष्कार का किया ऐलान
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एक तरफ जहां नक्सली प्रेस नोट जारी करने के साथ ही जिले के कई मार्गों पर पर्चे फेंककर चुनाव का बहिष्कार किया है तो वहीं दूसरी ओर गंगालूर इलाके के हजारों ग्रामीण भी अब चुनाव के खिलाफ एकमत होकर चुनाव बहिष्कार करने लगे हैं। पढ़िए पूरी खबर...

गणेश मिश्रा-बीजापुर। विधानसभा चुनाव (election) की तारीख नजदीक है। 7 नवंबर को बस्तर में पहले चरण का चुनाव होगा। लेकिन नक्सलियों की सक्रियता देखते हुए ऐसा लग रहा है कि बीजापुर (bijapur) में मतदान काफी चुनौतीपूर्ण होने वाला है। क्योंकि एक तरफ जहां नक्सली प्रेस नोट (press note) जारी करने के साथ ही जिले के कई मार्गों पर पर्चे फेंककर चुनाव का बहिष्कार किया है तो वहीं दूसरी ओर गंगालूर (gangalur) इलाके के हजारों ग्रामीण भी अब चुनाव के खिलाफ एकमत होकर विकास, वादा खिलाफी और पिछड़ेपन को लेकर भाजपा-कांग्रेस (bjp-congress) को मार भगाओ के नारों के साथ चुनाव बहिष्कार करने लगे हैं। बहिष्कार करने वाले ग्रामीणों का मानना है कि उन्हें नेताओं और राजनैतिक पार्टियों पर अब भरोसा नही रहा।


मिली जानकारी के अनुसार, रविवार की सुबह गंगालूर (gangalur) के सावनार इलाके में चुनाव बहिष्कार को लेकर करीब 12 गांवों के सैकड़ों ग्रामीण चुनाव बहिष्कार करने एकत्रित हुए थे। सूचना मिलते ही INH-हरिभूमि की टीम करीब 40 किलोमीटर का सफर तय कर उस जगह पहुंची। वहां बड़ी संख्या में आदिवासी मौजूद थे। ग्रामीणों का कहना था कि वे इस बार मतदान नहीं करेंगे क्योंकि भाजपा और कांग्रेस के चुने हुए विधायक उन्हें करीब 24 साल से विकास के नाम पर छलते आ रहे हैं। 15 साल भाजपा (bjp) ने शासन किया और 5 साल कांग्रेस (congress) ने पर आज तक उनकी मांग अनुसार उनके गांव में मूलभूत सुविधाओं का विस्तार नहीं हुआ है। वे लगातार गांव में पानी, बिजली, स्कूल-आश्रम, आंगनबाड़ी, अस्पताल और उनके अनुरूप गली-सड़कों की मांग करते आ रहे हैं लेकिन आज तक उनकी मांगों को पूरा नहीं किया गया है। इसलिए वे राजनैतिक पार्टी और उनके नेताओं से नाराज हैं और इस बार वे मतदान में हिस्सा नहीं लेंगे।


वादा खिलाफी से नाराज हैं ग्रामीण

बता दें कि गंगालूर (gangalur) इलाके के करीब 40 से अधिक गांव गंगालूर मुख्यालय को छोड़कर विकास से कोसों दूर हैं। इन गांवों में 1998 से लेकर आज तक विकास के नाम पर मूलभूत सुविधाएं भी नहीं पहुंच पाई है जिसकी वजह से ग्रामीण सरकार और प्रशासन से खासे नाराज हैं और आगामी चुनाव का बहिष्कार करने के लिए एकमत हुए हैं।

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