CG Election : गृहमंत्री ताम्रध्वज के सामने युवा चेहरा, शहरी-ग्रामीण के साथ श्रमिक वोट रहे निर्णायक

देवीलाल साहू - भिलाई। दुर्ग जिले (Durg district)के छह विधानसभा क्षेत्र (Assembly Area )में दुर्ग ग्रामीण विधानसभा( Durg Rural Assembly )इस बार खासी चर्चा में है, इसलिए कि यहां कांग्रेस ने दिग्गज नेता और प्रदेश के गृहमंत्री ताम्रध्वज साहू (Home Minister Tamradhwaj Sahu)के सामने भाजपा ने युवा चेहरा ललित चंद्राकर (Lalit Chandrakar)को मैदान में उतारा है। युवा और बुजुर्ग प्रत्याशी के बीच मुकाबला है, लेकिन निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में जिला केंद्रीय सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष प्रीतपाल बेलचंदन भी चुनाव लड़ने के मूड में हैं। ऐसी स्थिति में त्रिकोणीय संघर्ष से इस विधानसभा का मुकाबला बेहद ही दिलचस्प हो सकता है । बेलचंदन को वर्ष 2008 में भाजपा ने इस सीट पर टिकट दी थी, लेकिन वे कांग्रेस , प्रत्याशी प्रतिमा चंद्राकर से हार गए थे।
पिछले आचार संहिता में फंसे दो अंडरब्रिज नहीं बने
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में वर्ष 2018 में | मरोदा रेलवे फाटक पर अंडरब्रिज निर्माण होना था, लेकिन चुनावी आचार संहिता लगने के बाद यहां पर ओवरब्रिज को आनन-फानन में लोकार्पण कर शुरू कर दिया गया। यहां अंडरब्रिज नहीं बना। 6 करोड़ लागत की अंडरब्रिज 8 करोड़ तक पहुंच गई, लेकिन यह बन नहीं सका। इसी तरह दुर्ग शहर और दुर्ग ग्रामीण व पाटन विधानसभाको | जोड़ने वाली ठगड़ाबांध अंडरब्रिज का निर्माण इसी वर्ष के चुनाव में अटक गया था, जो आज तक नहीं बन सका है। इस अंडरब्रिज की भी लागत बढ़ गई है।
इस तरह चुने गए पार्टी के विधायक
कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर वर्ष 2008 में भाजपा प्रत्याशी प्रीतपाल बेलचंदन को महज 1557 वोटों से हराकर विधायक बनी। वर्ष 2013 के चुनाव में भाजपा की रमशीला साहू ने कांग्रेस की प्रतिमा चंद्राकर को महज 2979 वोट से हरा दिया। वर्ष 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ताम्रध्वज साहू ने जागेश्वर साहू को 27112 वोट से हराकर विधायक बने ।
विधानसभा में ये मुद्दे
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में मुद्दे भी क्षेत्र की मतदाताओं के हिसाब से मिलाजुला ही है। सबसे बड़ा मुद्दा है बीएसपी की 151 एकड़ जमीन हस्तातरण का है, जो पांच सालों में केवल कागज में ही रह गई। जिसकी वजह से 100 बिस्तर अस्पताल, शासकीय कॉलेज भवन, आडिटोरियम सहित कई विकास कार्य नहीं हो पाए। उमरपोटी ग्राम पंचायत की जमीन पर निगम से लगी कालोनियां बनी हुई है । इन कालोनियों में बिजली, नाली, सड़क जैसी बुनियादी सुविधाएं कोसो दूर है। गांव सहित पूरे क्षेत्र में बिजली की समस्या है। श्रमिक बस्तियों व सेक्टर एरिया में ही विकास कार्य दिखाई देता है।
श्रमिक बाहुल्य बस्ती, ग्रामीण व शहर का मिलाजुला स्वरूप
दुर्ग ग्रामीण विधानसभा दुर्ग जिले की ऐसी पहली विधानसभा है, जहां श्रमिक बाहुल्य बस्ती होने के साथ गांव और शहर का मिलाजुला स्वरूप है। श्रमिक बाहुल्य बस्ती में भिलाई इस्पात संयंत्र और निजी उद्योगों में ठेका मजदूरी करने वाले मतदाता हैं। रिसाली, मरोदा सेक्टर भी इस विधानसभा में है, इसलिए शहरी मतदाता भी हैं। रिसाली निगम क्षेत्र होने की वजह से यहां के 40 वार्ड आते हैं। ग्रामीण क्षेत्र में पाऊवारा, पुरई, उमरपोटी, बोरीगारका, उतई, जंजगिरी, पतोरा आदि गांव आते हैं।
कांग्रेस का गढ़ रहा है यह विधानसभा
वर्ष 2008 में परिसीमन के बाद अस्तित्व में आया । इस विधानसभा क्षेत्र में दुर्ग और भिलाई श्रमिक बस्ती का बड़ा हिस्सा शामिल हो गया । इस वजह से इस विधानसभा कांग्रेस का गढ़ बन गया । परिसीमन के बाद से इस विधानसभा क्षेत्र से दो बार कांग्रेस प्रत्याशी ने कई चुनौतियों के बाद जीत हासिल की। एक बार यहां बीजेपी लहर का फायदा मिला और इस पार्टी की महिला विधायक चुनी गई।
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