CG NEWS : दाल, जीरा, तेल के बाद अब सिंडीकेट ने लहसुन के दाम बढ़ाए थोक में 200 से कम, चिल्हर में 350 रुपए

राजकुमार ग्वालानी - रायपुर। प्रदेश में मुनाफाखोरी का जमकर खेल चल रहा है। किराना सामान से लेकर रहर तरह की सामग्री में एक तरह से पूरे बाजार में सिंडीकेट (syndicate)बन गया है। यह सिंडीकेट एक-एक सामान को टार्गेट करके दाम बढ़ाने का काम कर रहा है। अब लहसुन का ही उदाहरण ले लें। इस माह में इसके दाम दस गुमाल बढ़ गए हैं। जो लहसुन इस फरवरी रुपए किलो में बिक रहा था, वह दिसंबर में अब 350 रुपए किलो हो गया। थोक और चिल्हर के बीच में अंतर भी सौ रुपए से ज्यादा का है। चिल्हर में ज्यादा मुनाफाखोरी चल रही है।
लहसुन की कीमत में लगी आग
प्याज के बाद अब लहसुन की कीमत में बड़ी आग लग गई है। इतिहास में पहली बार चिल्हर में इसकी कीमत 350 रुपए तक पहुंच गई है। राजधानी रायपुर के अलग-अलग बाजारों में कीमत भी अलग-अलग है। शास्त्री बाजार, भाठागांव, पुरानी बस्ती के सब्जी बाजार में जहां इसकी कीमत 80 रुपए पाव है, वहीं डगनिया बाजार, महोबा बाजार में इसकी कीमत कहीं पर 80 रुपए तो कहीं पर 90 रुपए पाव है। किराना दुकानों में भी यही हाल है, कहीं इसकी कीमत 80 रुपए तो कहीं 90 रुपए पाव है।
दाल, जीरा, तेल में भी खेल
व्यापारी सिंडीकेट बनाकर काम कर रहे हैं। डेढ़ सौ रुपए में बिकने वाला जीरा इस साल 800 रुपए किलो तक चले गया था, अब इसके दाम कुछ कम हुआ है। जानकार कह रहे हैं कि उत्पादन इतना भी नहीं गिरा है जितनी कीमतें बढ़ गई हैं। ऐसा ही दाल और तेल की कीमतों में खेल किया गया था। दाल 80 से दो सौ रुपए तक बढ़ाई गई थी। व्यापारी एक एक करके चीजों के दाम बढ़ा रहे हैं। लेकिन उत्पादन अधिक होने के बाद भी उनकी कीमतें उतनी कम नहीं होती हैं जितनी बढ़ा दी जाती हैं।
दस साल पहले 200 रुपए तक गई थी कीमत
कारोबारियों का कहना है कि लहसुन के दाम कभी इतने नहीं हुए थे। करीब दस साल पहले इसकी कीमत थोक में दो सौ रुपए गई थी, लेकिन तब चिल्हर में इसकी कीमत 60 रुपए पाव से ज्यादा नहीं थी। इस समय भी थोक में इसकी कीमत 240 से 250 रुपए है तो चिल्हर में दाम ज्यादा लिए जा रहे हैं। चिल्हर काराबोरियों का अपना तर्क है। ये कहते हैं कि बोरी में लाने के बाद दो से तीन किलो लहसुन खराब निकल जाती है। ग्राहक तो छांटकर ही लेते हैं। ऐसे में 60 से 65 रुपए पाव के हिसाब से लाने के बाद इसको 70 से 75 रुपए में बेचना कैसे संभव होगा।
कम फसल होने का रोना
लहसुन की कीमत इतनी ज्यादा होने का कारण कारोबारी यह बता रहे हैं कि इसकी फसल इस साल कम हुई है। इसके पहले पिछले तीन साल तक मध्यप्रदेश और राजस्थान में डबल फसल होने के कारण इसकी कीमत कम रही है, लेकिन इस बार फसल कम और खराब होने के कारण दाम बढ़े हैं। कारोबारी यह भी मानते हैं कि इस बार दाम बहुत ज्यादा हो गए हैं। जनवरी में नई फसल आने के बाद दाम कम होने की संभावना है।
थोक में कीमत कम
भनपुरी थोक आलू-प्याज एसोसिएशन के अध्यक्ष अजय अग्रवाल ने कहा कि,थोक में लहसुन क्वालिटी के हिसाब से 200 से 240 रुपए किलो है। दस साल पहले कीमत दो सौ रुपए गई थी। इतनी ज्यादा कीमत पहली बार हुई है।
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