CG NEWS : कान्हा से एटीआर में बाघ लाने के साथ गुरु घासीदास पार्क में बायसन शिफ्ट करेंगे

रायपुर। राज्य के टाइगर रिजर्व अचानकमार (Tiger Reserve Achanakmar) तथा गुरु घासीदास नेशनल पार्क (Guru Ghasidas National Park) में बाघों को आकर्षित करने उनके लिए प्रे- बेस बढ़ाने की कवायद की जा रही है। वन अफसरों के मुताबिक, अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या बढ़ाने नवंबर दिसंबर में मध्यप्रदेश कान्हा से दो बाघ लाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है। अचानकमार में बाघ लाने के लिए एनटीसीए से अनुमति मिल गई है। इसके साथ बारनवापारा (Baranwapara)से गुरु घासीदास पार्क में 40 इंडियन गौर (बायसन ) छोड़े जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। इसके लिए बायन का ब्लड सैंपल लेने की कार्यवाही शुरू कर दी गई है। अफसरों के अनुसार बारिश थमने के बाद बायसन शिफ्ट करने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
गौरतलब है कि, राज्य में मध्यप्रदेश तथा महाराष्ट्र से पांच बाघ लाए जाने हैं। इसके पूर्व बाघों के लिए यहां प्रे- बेस तैयार किया जा रहा है। पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ सुधीर अग्रवाल के मुताबिक गुरु घासीदास नेशनल पार्क में मध्यप्रदेश स्थित संजय दुबारी नेशनल पार्क से बाघों की आवाजाही होती रहती है। इस बात को ध्यान में रखते हुए संजय - दुबारी से आने वाले बाघ यहां स्थायी रूप से अपना ठिकाना बनाकर रहें, इसके लिए प्रे-बेस तैयार किया जा रहा है।
स्थानीय वन अमले की मदद से शिफ्टिंग
वन अफसरों के मुताबिक बायसन शिफ्टिंग के लिए किसी बाहरी एक्सपर्ट के बजाय स्थानीय वन अमले की मदद ली जाएगी। बायन शिफ्ट करने के लिए पहले ट्रेंक्यूलाइज कर बेहोश किया जाएगा। इसके बाद बायसन को पिंजड़े में बंद कर शिफ्टिंग वाहन में लादकर गुरु घासीदास पार्क में बायसन के लिए बनाए गए बाड़े में शिफ्ट किया जाएगा। बाड़े में बायसन का स्वास्थ्य परीक्षण करने तथा कुछ दिन तक बाड़े में रखने के बाद खुले में छोड़ा जाएगा।
बाघ लाने के पहले ग्रामीणों को विश्वास में लेंगे
पीसीसीएफ वाइल्ड लाइफ के मुताबिक अचानकमार टाइगर रिजर्व में बाघ शिफ्ट करने के पूर्व ग्रामीणों को विश्वास में लिया जाएगा। ग्रामीणों को विश्वास में लेने की वजह बाघों की सुरक्षा है। वनों में बाघों की सुरक्षा निचले स्तर के फील्ड कर्मियों के अलावा ग्रामीणों का आपस में तालमेल होना जरूरी है। ऐसा नहीं होने पर बाघों के शिकार का अंदेशा बना रहता है। मध्यप्रदेश सहित अन्य राज्यों में बाघों की संख्या बढ़ने की बड़ी वजह वनक्षेत्र में रहने वाले लोगों की जागरूकता है।
एटीआर के तीन गांव की शिफ्टिंग के लिए मिली अनुमति
अचानकमार टाइगर प्रबंधन के मुताबिक अचानकमार टाइगर रिजर्व के अंतर्गत आने वाले तीन गांव छिरहट्टा, बिरारपानी और तिलई डबरा को शिफ्ट करने की केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय ने मंजूरी दे दी है। जिन तीन गांव की शिफ्टिंग के लिए अनुमति मिली है, उनमें से दो गांव के लोगों ने शिफ्ट होने अपनी सहमति प्रदान कर दी है। गांव की शिफ्टिंग बारिश थमने के बाद की जा सकती है। गांव की शिफ्टिंग के लिए लोरमी रेंज के सावंतपुर और भरतपुर की जमीन का चयन किया गया है।
चार वर्ष पूर्व निर्णय पर अब अमल
गौरतलब है, बारनवापारा से गुरु घासीदास पार्क में बायसन के साथ चीतल छोड़े जाने का निर्णय लिया गया था। गुरु घासीदास पार्क में बारनवापारा से 40 के करीब चीतल छोड़े गए हैं। अब बायसन छोड़ने की तैयारी चल रही है। अफसरों के मुताबिक बारनवापारा से गुरु घासीदास पार्क में बायसन छोड़ने डॉ. राकेश वर्मा तथा डॉ. पवन कुमार चंदन कान्हा में प्रशिक्षण लेकर आ गए हैं।
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