CG News : प्रमोशन पाया, डीपीआई में बन गए अफसर

CG News  :  प्रमोशन पाया, डीपीआई में बन गए अफसर
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  • 13 साल पहले संविलियन के नाम पर शिक्षा विभाग में आए ट्रायबल के लेक्चरार
  • विभाग ने कहा, शिकायत आई है जांच कराई जाएगी ऐसे सैकड़ों मामले

देवीलाल साहू - भिलाई। स्कूल शिक्षा विभाग (school education department)में भर्राशाही का एक बड़ा उदाहरण सामने आया है। 13 साल पहले यानी वर्ष 2010 में राज्य सरकार (state government)ने शिक्षकों (teachers)का संविलयन किया। ट्रायबल के शिक्षकों को एजुकेशन (education)अधीनस्थ स्कूलों में भी पदस्थापना दे दी गई। संविलियन का नियम था कि जो शिक्षक जिस दारंभीम विभाग का होगा उसका प्रमोशन उसी के अंतर्गत होगा। कुछ दिनों पहले लोक शिक्षण संचालनालय ने व्याख्याताओं को प्रमोशन देने की वरिष्ठता सूची तैयार की है। इस सूची में भी ट्रायबल के व्याख्याताओं के नाम शामिल कर लिए गए है। इसे लेकर शिक्षा विभाग में हंगामा मचा हुआ है।

दुर्ग, बालोद और राजनांदगांव जिले में पदस्थ हैं ये व्याख्याता

दुर्ग संभागीय संयुक्त शिक्षा के अंतर्गत तीन जिलों में ट्रायबल विभाग के व्याख्याता एजुकेशन के स्कूलों में वर्तमान में पदस्थ हैं। इनमें दुर्ग जिला, बालोद जिला और राजनांदगांव जिला शामिल हैं। इन जिलों में वर्तमान में 23 व्याख्याताओं के नाम सूचीबद्ध किए गए हैं। इनकी शिकायत भी संभागीय संयुक्त शिक्षा संचालक से की गई है। प्रमोशन सूची में नाम आने के बाद इतने व्याख्याताओं के नाम सामने आए हैं। माना जा रहा है कि इससे और भी ज्यादा व्याख्याता इस तरह स्कूलों में पदस्थ है लेकिन वरष्ठिता में नाम नहीं आने की वजह से खुलासा नहीं हो पाया है।

डीपीआई आयुक्त ने 2012 में दिए थे हटाने के आदेश

ट्रायबल विभाग के में व्याख्याताओं को एजुकेशन के स्कूलों से हटाए जाने के लिए लोक शिक्षण संचालनालय यानी डीपीआई के आयुक्त ने 22 सितंबर 2012 को आदेश जारी कियाथा। यह आदेश हाईकोर्ट के निर्णय के बाद तत्कालीन आयुक्त शिक्षा के आर पिस्दा ने जारी आदेश में कहा था कि 15 नवंबर 2010 के संविलियन किए गए सभी 23 व्याख्याता स्कूल शिक्षा विभाग में प्रतिनियुक्ति पर कार्यरत नहीं है। जिसके कारण उन्हे शासन के परिपत्र 9 फरवरी 2010 के तहत स्कूल शिक्षा विभाग में संविलयन, की पात्रता नहीं है। इसलिए 15 नवंबर 2010 के आदेश को निरस्त किया जाता है।सभी व्याख्याताओं को उनके पैतृक विभाग यानी आदिम जाति एवं अनुसूचित जाति विकास विभाग को वापस किया जाता है।

2012 में ही प्राचार्य बनाने भेजा प्रस्ताव

लोक शिक्षण संचालनालय आयुक्त के आदेश के बाद भी इन व्याख्याताओं को प्राचार्य पदोन्नति देने की कोशिश की गई।यह कोशिश वर्ष 2012 में ही हुई। तब दुर्ग जिले के तत्कालीन जिला शिक्षाअधिकारी आशुतोष चावरे ने 3 अक्टूबर 2012 को अपने जिले में पदस्थ ट्रायबलके व्याख्याताओं को प्राचार्य पद पर पदोन्नति प्रस्ताव सूची से नाम विलोपित करनेका आदेश जारी किया। वास्तविक हकदार व्याख्याताओं को नुकसान उठाना पड़ रहा है। मसलन व्याख्याताओं की वरिष्ठता सूची में ट्रायबल के 23 व्याख्याताओं केनाम आने के बाद उतने ही एजुकेशन के व्याख्याताओं को प्रमोशन से वंचित होना पड़ेगा। इसलिए कि एजुकेशन के व्याख्याताओं की वरिष्ठता क्रम ट्रायबल के व्याख्याताओं की वजह से नीचे आ गई है।

डीपीआई में अफसर बनकर बैठे हैं ट्रायबल के प्रिसिंपल

सेंटिंग का यह खेला केवल दुर्ग संभागीय संयुक्त शिक्षा के तीन जिले तक की सीमित नहीं है। बल्कि प्रदेशभर के ट्रायबल जिले का है। ट्रायबल के प्राचार्यों को छत्तीसगढ़ लोक शिक्षण संचानालय यानी डीपीआई में अफसरों की जिम्मेदारी दे दी गई है। जबकि सामान्य प्रशासन विभाग मंत्रालय महानदी भवन के द्वारा 5 मार्च 2019 के आदेश में स्पष्ट उल्लेख है। आदेश के हिसाब से ट्रायबल क्षेत्र किसी भी अधिकारी या कर्मचारी को उनके मूल पदस्थापना से हटाकर कार्यालयों में पदस्थ नहीं किया जाना है।

राज्यभर के इन जिलों में हैं ट्रायबल के शिक्षक पदस्थ

प्रदेशभर में दुर्ग जिले के डौंडी, रायपुर के मैनपुर, छुरा, गरियाबंद, राजनांदगांव जिले के चौकी, मोहला, कांकेर जिले के कांकेर, चारामा, भानुप्रतापपुर, दुर्ग कोंढूल, अतांगढ़, कोयलीबेड़ा, कोरबा जिले के करतला, पाली, रायगढ़ जिले के लैलूंगा, रामनगर, घरघोड़ा, खरसिया, बस्तर जिले के बस्तर, जगदलपुर, दरभा, तोकापाल, कोंडागांव, फरसगांव, माकड़ी, दंतेवाड़ा जिले के बीजापुर, छिंदगढ़ सहित 48 ब्लॉक ट्रायबल के हैं। जहां के सहायक शिक्षक, शिक्षक, व्याख्याता व प्राचार्य एजुकेशन के स्कूलों में अपना ट्रांसफर करवाकर नियम विरुद्ध पदस्थ हैं।

जांच प्रतिवेदन मंगवाया

संयुक्त संचालक संभागीय शिक्षा आरएल ठाकुर ने कहा कि, हमे शिकायत मिली है। संभाग के सभी खास जिला शिक्षा अधिकारियों से इस मामले की जांच प्रतिवेदन मंगवाया है। प्रतिवेदन के आधार पर हम डीपीआई को मामला प्रेषित कर देंगे। आगे आवश्यकता के आधार पर जांच की जाएगी।

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