CG NEWS : हरिभूमि ने एक ही धान अलग-अलग माइस्चर मीटर से जांचा अलग-अलग रीडिंग, रोजाना सैकड़ों किसानों के धान रिजेक्ट

CG NEWS : हरिभूमि ने एक ही धान अलग-अलग माइस्चर मीटर से जांचा अलग-अलग रीडिंग, रोजाना सैकड़ों किसानों के धान रिजेक्ट
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समर्थन मूल्य पर किसानों से सहकारी सोसाइटियों में धान की खरीदी की जा रही है। धान खरीदने से पहले सोसाइटी में किसानों का धान को डिजिटल माइस्चर मीटर मशीन से मापा जा रहा है। माप में नमी की मात्रा 17 प्रतिशत से ज्यादा पाए जाने पर धान रिजेक्ट हो रहा है। इसके कारण कई किसानों को सोसाइटी में आने के बाद भी वापस लौटना पड़ रहा है। पढ़िए पूरी खबर...

हरिभूमि ने जिले की कुछ सोसाइटियों में माइस्चर मीटरों के माप को परखा

रायपुर-लक्ष्मण लेखवानी/जगदलपुर- अनिल सामंत/धमतरी- दीपनारायण शर्मा/सड़क अतरिया-दामोदर वैष्णव/गंडई-विनोद नामदेव / महासमुंद-रत्नेश सोनी/ बिलासपुर-विकास चौबे/जांजगीर - अभिषेक शुक्ला/रायगढ़ - पंकज तिवारी/तखतपुर - टेकचंद कारडा की विशेष रिपोर्ट। हरिभूमि की टीम (Haribhoomi team) रायपुर जिले की आधा दर्जन सोसाइटियों (societies)में पहुंची। इन सोसाइटियों में से एक सोसाइटी में धान बेचने पहुंचे एक किसान(farmer)के धान को मशीन के जरिए उसकी नमी को जांचा गया। जांच में धान की नमी का प्रतिशत 15.20 पाया गया। इसी धान को लेकर टीम अन्य सोसाइटियों में गई और वहां की मशीनों में भी इसे जांचा। इसमें इसका माप कहीं 13.70 तो कहीं 15.70 प्रतिशत आया। इस तरह सभी सोसाइटियों में सैंपल धान की नमी का प्रतिशत अलग-अलग पाया गया।उपयोग किया जा रहा है। सोसाइटी प्रबंधक व अध्यक्षों का कहना है कि हर साल धान खरीदी से पहले मशीनों का सत्यापन कराया जाता है, जिसका प्रमाण पत्र भी मिलता है। इसके आधार पर ही इन मशीनों का उपयोग कर धान की नमी मापी जाती है।

धमतरी में यही हाल

धमतरी के तरसींवा खरीदी केंद्र के मास्चर मीटर में धान में माइस्चर की मात्रा 21.4 प्रतिशत आई। इसी धान के सेंपल को जब कुरमातराई धान खरीदी केंद्र के मास्चर मीटर से चेक किया गया तो मास्चर की मात्रा 18.30 प्रतिशत आई। देमार खरीदी केंद्र के मास्चर मीटर ने इसी सेंपल में 19 प्रतिशत मास्चर रीड किया। एक ही धान के सेंपल का अलग-अलग खरीदी केंद्रों के मास्चर में रीडिंग अलग-अलग आना इन मशीनों की रीडिंग की शुद्धता पर प्रश्न चिन्ह लगा रहा है।

बिलासपुर, जांजगीर और रायगढ़ में यही हाल

हरिभूमि ने बिलासपुर, जांजगीर और रायगढ़ में धान लेकर इस बारे में जायजा लिया तो एक ही धान में अलग-अलग केन्द्रों में नमी की रीडिंग अलग पाई गई। इस बारे में अधिकारी भी बोलने को कुछ तैयार नहीं है। इतना कहा जा रहा है कि मशीन में आई नमी के हिसाब से ही खरीदी हो रही है। राज्य सरकार ने धान की सरकारी खरीदी के लिए जो मानक तय किए गए हैं, उसमें नमी का फंडा काफी गजब का है। अधिकारियों का कहना है कि 17 प्रतिशत से अधिक नमी होने पर धान की खरीद नहीं हो सकती है और इस समय जो धान आ रहा है, उसमें नमी का प्रतिशत 20 से 25 है, जिसके कारण क्रय केंद्रों पर धान की खरीद नहीं हो पा रही है

नगरनार लेम्प्स का धान लैम्प्स सेमरा में 13.8 परसेंट बराबर पाया गया

जगदलपुर। हरिभूमि इसकी सच्चाई से अवगत होने नगरनार लेम्प्स में धान का वजन किया और नमी मापी यंत्र से धान की नमी लेते पड़ताल किया। फिर उसी धान का कुछ मात्रा लेकर जब सेमरा लैम्प्स के नमी मापी यंत्र से पड़ताल किया तो सेमरा में भी 13.8 परसेंट नमी डिजिटल मशीन दिखाया। इससे यह समझ में आ गया कि लैम्प्स प्रबंधक किसी तरह का रिस्क नहीं ले रहे है। कारण शासन से सूखती के बदले उन्हें कम राशि दी जाती है।

धान में नमी मापने के यंत्र में नजर आ रहा खोट

तखतपुर। जिले में धान खरीदी शुरू होते ही किसानों की शिकायतें भी सामने आने लगी है। सरकार ने नमीयुक्त धान खरीदने की सीमा तय की है, इसके लिए खरीदी केंद्रों में नमी नापने के लिए यंत्र भी दिए गए हैं, लेकिन इस यंत्र में खोट नजर आ रहा है। हरिभूमि की टीम ने जब एक ही धान के सैंपल को लेकर अलग-अलग खरीदी केंद्रों में नमी की जांच कराई तो सभी जगहों पर यंत्र में अलग-अलग नाप दिखाई दिया। धान खरीदी केंद्र के संस्था प्रबंधक दुष्यंत सिंह बैस ने बताया कि 17 प्रतिशत नमी होने पर धान नहीं लिया जाता है। इससे कम नमी आने पर ही धान की खरीदी की जाती है। हरिभूमि टीम ने जब एक कट्टा धान को लेकर नमी को नापा तो यहां पर धान की नमी 12.6 प्रतिशत रही। इसी धान को लेकर जब ग्राम बीजा के धान खरीदी केंद्र में नापा गया तो 13 प्रतिशत, ग्राम दैजा में 13.1 प्रतिशत, ग्राम ढनढन में 12.7 प्रतिशत, ग्राम नगोई में 13.5 प्रतिशत नमी पाया गया। धान के एक ही सैपल को लेकर अलग अलग खरीदी केंद्रों में जाकर नमी नापा गया तब अलग अलग प्रतिशत सामने आया। ऐसे में किसान किसी धान खरीदी केंद्र में धान लेकर जाएगा तब उसकी नमी की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े होने लगा है।

सड़क अतरिया

शुक्रवार को कुकुरमुड़ा धान खरीदी केन्द्र में पहुंचे एक किसान का पतला धान की नमी 13.4 मापा गया। वही धान सण्ड़ी उपार्जन केन्द्र में नमी मापने पर 13 आया। इसी प्रकार सण्ड़ी उपार्जन केन्द्र का मोटा धान जिसकी नमी 13.8 आया था तथा उस धान को कुकुरमुड़ा केन्द्र में मापने पर 13.2 आया। ज्ञात हो कि विभाग के निर्देशानुसार केन्द्रों में 17 प्रतिशत से अधिक नमी युक्त धान नही खरीदा जाता है। केंद्र में किसानों को साफ सुथरा और धान सुखाकर लाने की अपील किया जाता रहा है।

मशीनों के माप प्रतिशत में अंतर


रायपुर । हरिभूमि की टीम रायपुर जिले की आधा दर्जन सोसाइटियों में पहुंची। इन सोसाइटियों में से एक सोसाइटी में धान बेचने पहुंचे एक किसान के धान को मशीन के जरिए उसकी नमी को जांचा गया। जांच में धान की नमी का प्रतिशत 15.20 पाया गया। इसी धान को लेकर टीम अन्य सोसाइटियों में गई और वहां की मशीनों में भी इसे जांचा। इसमें इसका माप कहीं 13.70 तो कहीं 15.70 प्रतिशत आया। इस तरह सभी सोसाइटियों में सैंपल धान की नमी का प्रतिशत अलग-अलग पाया गया।

3 समितियों के यंत्र में दिखा अंतर


गंडई । नमी मापक यंत्रों के गणना में भी अंतर आ सकता है। इसकी जांच करने जब हरिभूमि की टीम 14 दिसंबर को लेकर गंडई स्थित सेवा सहकारी समिति ठंडार स्थित उप सेवा सहकारी समिति और विचारपुर स्थित सेवा सहकारी समितियों में एक ही धान को 10 किलो लेकर गई तो गंडई स्थित समिति में ले जाए गए, धान में 13 प्रतिशत नमी मशीन के डिस्प्ले में दिखा, जब उसी धान को जब ठंडार स्थित सेवा सहकारी समिति के नमी मापक यंत्र में नापा गया तो वहां मशीन के डिस्प्ले में 12.60 प्रतिशत नमी होना आया अर्थात 40 प्रतिशत सूखत नजर है। 3 समितियों के आया और जब उसी धान को विचारपुर सेवा सहकारी समिति में मापा गया तो मशीन के डिस्प्ले में धान में 13.50 प्रतिशत नमी दिखाया अर्थात 50 प्रतिशत नमी और बढ़ गया। इस प्रकार महज एक घंटे के अंदर प्लास्टिक बोरे में भरकर बाइक से ले जाए गए धान में 90 प्रतिशत नमी में उतार-चढ़ाव देखने को मिला। सेवा सहकारी समिति गंडई के प्रबंधक जगदीश वर्मा, उप सेवा सहकारी समिति ठंडार के प्रभारी प्रबंधक बलराम एवं सेवा सहकारी समिति विचारपुर के प्रबंधक मोरजध्वज वर्मा के बताए अनुसार सेवा सहकारी समितियों में धान में 16 से 17 प्रतिशत तक नमी वाले धान की ही खरीदी किया जाना है।

एक में रिजेक्ट, दूसरे में खरीदी लायक धान


महासमुंद - बम्हनी उपार्जन केंद्र के चिंगरौद के किसान जनकराम सिन्हा द्वारा लाए गए धान की माप करने पर मॉइश्चर मशीन में नमी की मात्रा 18 फीसदी बताया जा रहा है। लेकिन, इसी धान को बरौंडा केंद्र में जांच करने पर यह रीडिंग 15.60 आ रही है। जिसके चलते बम्हनी में उस किसान के धान में नमी की ज्यादा मात्रा बताकर सुखाने के बाद खरीदा जाना बताया गया। पुराने मॉडल के मीटर में माप का ज्यादा अंतर कई सोसाइटियों में नए मॉडल के मीटर भी है। नए मशीन में एक मुठ्ठी तक धान डालकर नमी मापी जाती है। लेकिन पुराने मॉडल की मशीन में धान को मापने की अलग विधि है। इस मशीन में एक छोटा होल रहता है जिसमें 8-10 धान के दाने डाले जाते हैं फिर मशीन में एक घुमाने वाला बटन दिया गया है। इसे घुमाने पर धान में कितनी नमी है इसका प्रतिशत स्क्रीन पर दिखाई देता है। इस बटन को तीन बार तक घुमाया जा सकता है। वैसे तो बटन के दो बार घुमाने में ही धान के नमी का प्रतिशत दिखाई देने लगता है, लेकिन इसे तीन बार घुमाया जाता है कि मशीन में पहले आए प्रतिशत से कम यो ज्यादा दिखाई देता है। इस तरह पुराने मॉडल मशीन में भी धान के मापने में अंतर है।

जांजगीर में नमी बनी परेशानी

जांजगीर। जांजगीर और सक्ती जिले के पांच केन्द्रों में हरिभूमि की टीम पहुंची। यहां धान की नमी पाई गई तो वहां मौजूद किसानों के साथ ही समिति के मैनेजर और सुपरवाइजर भी चौंकने लगे। 2 किलो धान की नमी अलग- अलग पाई गई। बलौदा ब्लाक के पहरिया में धान की नमी 15.5 प्रतिशत रही तो वही धान पास के ही खैजा खरीदी केन्द्र में 10.5 नमी वाला रहा। सेजबहार सहकारी सोसाइटी के अध्यक्षविजय ठाकुर ने कहा कि, इस बारे में समिति के प्रबंधक जवाब देने से बचते रहे। इसी तरह सक्ती जिले के जैजैपुर ब्लाक के दतौत खरीदी केन्द्र में धान की नमी 13 प्रतिशत, आमगांव केन्द्र में 12 प्रतिशत और कशीगढ़ में 12 प्रतिशत पाई गई। सत्यापन के बाद उपयोग- मॉश्चर मापने के लिए सोसाइटी में पुरानी मशीन का उपयोग कर रहे हैं। उपयोग करने से पहला इसका सत्यापन कराया है। सभी सोसाइटी में धान खरीदी से पहले मॉश्चर मीटर का सत्यापन कराना अनिवार्य है। खराब होने पर नई मशीन की खरीदी सोसाइटी को करना पड़ता है।

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