CG NEWS : कितना धान खरीदा जाएगा, रोज तय होगी लिमिट पहले दिन 26 हजार मीट्रिक टन की बोहनी

रायपुर / दुर्ग। छत्तीसगढ़ में बुधवार से न्यूनतम समर्थन मूल्य पर धान (paddy)की खरीदी शुरू हो गई है। पहले दिन राज्य के 20 जिलों के किसानों (farmers) ने 26 हजार मीट्रिक टन धान बेचा है। बताया गया है कि पहले दिन सबसे अधिक धान खरीदी बालोद (Balod), धमतरी (Dhamtari ), महासमुंद (Mahasamund)और बेमेतरा (Bemetara)जिलों में हुई है। ये जिले छत्तीसगढ़ के मैदानी इलाकों में शामिल हैं। इन इलाकों में अल वेरायटी यानी जल्द पकने वाली धान की उपज लगाई जाती है। इस साल धान खरीदी के दौरान डिलीवरी आर्डर के बाद अब रोज तय होगा कि किसानों से कितना धान खरीदना है। यानी रोज खरीदी की लिमिट तय की जाएगी। इस लिमिट के मुताबिक ही सोसायटियां धान खरीदी (purchase paddy)करेंगी। यह व्यवस्था पहली बार की गई है।

खरीदी के लिए रोज तय होगी लिमिट समर्थन मूल्य
पर चल रही धान की खरीदी को लेकर राज्य शासन द्वारा इस बार नया प्रयोग किया गया है। इस नए प्रयोग में प्रदेशभर के हर एक सोसायटी में रोजाना कितने- कितने किसानों से कितना क्विटल धान की खरीदी होगी, यह सब राज्य से तय होगा। इस सिस्टम के बाद सोसायटी प्रबंधक चाहकर भी खरीदी के आंकडे को इधर से उधर नही कर पाएंगे। पहले दिन सोसायटी प्रबंधक हर साल की तरह टोकन जारी किए थे। लेकिन जब खरीदी के दिन आनलाइन जानकारी देखी तो वे भी सक्ते में आ गए। उल्लेखनीय हैं कि, राज्य शासन द्वारा इससे पहले कस्टम मिलिंग के तहत डीओ (डिलीवरी आर्डर) जारी किए जाने का पावर जिले के डीएमओ से ले लिया था। जिसके बाद पिछले तीन साल से डीओ राज्य से जारी हो रहा था। लेकिन अब धान की खरीदी का पावर भी राज्य ने ले लिया है। इससे होगा ये कि, प्रबंधक भले ही सोसायटी में कम किसान हो, वे खरीदी तय मोहलत से पहले नहीं कर सकेंगे।
अब नहीं आएगा खरीदी में अंतर
सोसायटी प्रबंधको ने बताया कि पहले सोसायटी स्तर पर किसानों की संख्या और रकबे के अनुसार खरीदी तय करते थे। प्रबंधक अवकाश को छोड़कर खरीदी की तिथि के हिसाब से औसत खरीदी के आंकडे के अनुसार टोकन जारी करते थे। लेकिन अब सिस्टम में फीड किए गए रकबे के तहत पूरे खरीदी दिन के अनुसार टोकन जारी किया जाएगा। इसमें अंतर की भी कोई गुंजाईश नही होगी ।
बायोमीट्रिक प्रणाली से नहीं हुई खरीदी
राज्य सरकार ने इस साल पहली बार प्रदेश भर की सभी सोसायटियों में धान खरीदी बायोमीट्रिक प्रणाली से करने की तैयारी की थी। लेकिन सोसायटियों को बायोमीट्रिक मशीनें नहीं मिल पाईं। वजह ये रही कि चुनाव आचार संहित लागू होने के कारण खाद्य विभाग बायोमीट्रिक मशीनें खरीदने के लिए समय पर टेंडर नहीं कर पाया । इसलिए अब तक मशीनें नहीं मिली है। इस स्थिति को देखते हुए सोसायटियों ने पिछले वर्षों के तरह टोकन जारी कर खरीदी की।
नए प्रयोग से नुकसान नहीं होगा
खाद्य विभाग टीपी वर्मा सचिव ने बताया कि, हर साल यह समस्या रहती थी कि सोसायटी अपने स्तर पर महीने भर पहले खरीदी कर लेते थे। जिससे जाम के हालात और नुकसान का सामना करना पडता था। इस नए प्रयोग से ऐसा नही होगा ।
जूझना पडेगा पूरे 52 दिनों तक
दुर्ग जिले में कुछ सोसायटी प्रबंधको ने बताया कि, कई सोसायटी में किसानों की संख्या बेहद कम है। करंजा भिलाई सोसायटी के प्रबंधक से जानकारी लेने पर उन्होने बताया कि, हर साल पन्द्रह दिन पहले यहां खरीदी हो जाती थी। लेकिन इस बार राज्य स्तर से खरीदी सिस्टम में दुरुस्त किए जाने से पूरे 52 दिन न सिर्फ उन्हें बल्कि किसानों को भी जूझना पडेगा। यही नहीं अगर मौसम खराब हो गया तो ऐसी स्थिति में विकल्प भी नही दिया गया है। पहले प्रबंधक अपने स्तर से तीन बार अधिकतम टोकन जारी करते थे।
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