CG NEWS : बारदानों पर 1200 करोड़ से ज्यादा खर्च फिर भी पैबंद, किसान ही नहीं... सोसाइटियां भी हलाकान

रायपुर /जगदलपुर/धमतरी/निकुम (भिलाई)। छत्तीसगढ़ में जिस बड़े पैमाने पर धान का उत्पादन और खरीदी होती है, उसी अनुपात में धान-चावल के लिए बारदाने (बोरे) भी खरीदे जाते हैं। जानकारों के मुताबिक ये खरीदी सैकड़ों करोड़ रुपयों की होती है, लेकिन इधर राज्य में धान खरीदी के दौरान देखने में आ रहा है कि फटे-पुराने बोरों का इस्तेमाल किए जाने से धान की बारबादी हो रही है। खास बात ये है कि राज्य में बारदाना खरीदी भारत सरकार की नीति के तहत की जाती है। ये निर्देश भी है कि एफसीआई (FCI)में चावल जमा करने के लिए नए बोरे इस्तेमाल किए जाएं और धान खरीदी पुराने बोरों में की जाए। छत्तीसगढ़ में 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू होने के बाद डेढ़ महीना पूरा बीतने को है। सोसाइटियों (societies)में यह देखने में आ रहा है कि फटे पुराने बोरों में खरीदी हो रही है। इसकी वजह से धान गिरकर बरबाद हो रहा है। इधर खाद्य विभाग (Food Department)एवं मार्कफेड के सूत्रों की मानें, तो राज्य में 1200 से 1500 करोड़ रुपयों की बारदाना खरीदी होती है। इसके बाद भी फटे-पुराने बोरों की वजह से धान का नुकसान हो रहा है।
ये है बारदाना व्यवस्था की नीति
इस सीजन के लिए राज्य सरकार दवरा बनाई गई धान उपार्जन नीति में बारदानों की व्यवस्था का विस्तार से उल्लेख है। नीति में कहा गया है, खरीफ विपणन वर्ष 2023-24 में भारत शासन की नवीन बारदाना नीति के अनुसार धान उपार्जन एवं चावल जमा करने के लिए बारदाने की आवश्यक व्यवस्था की जाए। नवीन नीति के मुताबित धान खरीदी शतप्रतिशत नए बोरों में करने के बजाय 50:50 के अनुपात में नए और पुराने बोरो में की जाएगी। नए जूट बोरे उपलब्ध नहीं होने की स्थिति में कमी की पूर्ति के लिए उपयोग हो चुके गनी बैग से करते हुए अनुपात बनाया जाए।
चावल केवल नए बोरों में
छत्तीसगढ़ में मार्कफेड द्वारा जूट कमिश्नर कोलकाता के माध्यम से बोरे खरीदे जाते हैं। नीति में ये भी कहा गया है कि चावल का उपार्जन केवल नए जूट बारदाने में किया जाए। 2023-24 के लिए स्टेट पूल में चावल उपार्जन के लिए आवश्यक नए जूट बारदाने 58 लाख गठान की व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए थे। खाद्य विभाग एवं मार्कफेड के सूत्रों के मुताबिक हर साल नए बारदाने खरीदने की जरूरत होती है। नए बारदानों को दो बार उपयोग में लिया जाता है। पहली बार नए बारदानों में एफसीआई और स्टेट पूल के लिए चावल जमा किया जाता है। अगले साल उन्ही बारदानों में धान खरीदा जाता है। एफसीआई को नए बोरों में चावल दिया जाता है, वे बोरे वापस नहीं आते।
यहां से आते हैं पुराने बोरे
राज्य में पुराने बारदाने मिलरों से लिए जाते हैं। इसके साथ ही पीडीएस के पुराने बारदाने, किसान से प्राप्त पुराने जूट बारदाने, समितियों द्वारा उपलब्ध कराए गए पुराने बारदाने तथा खाद्य पदाथों की पैकेजिंग में उपयोग किए गए जूट बारदाने लिए जाते हैं। । पुराने बारदानों की कीमत 25 रुपए नग के हिसाब से दी जाती है। ये सब कुछ साफ होने के बाद भी सोसाइटियों में फटे पुराने बारदानों का उपयोग करने को लेकर सवाल उठ रहे हैं।
आधे पुराने, इनमें भी कई बारदानों में छेद ही छेद
धान खरीदी सोसाइटियों में किसानों को धान के लिए दिए जा रहे पुराने फटे बारदाने धान की बर्बादी का कारण तो बन रहे, साथ ही इससे किसानों के साथ सोसाइटियों को भी नुकसान हो रहा है। समर्थन मूल्य पर धान बेचने के लिए सोसाइटियों को विपणन संघ बारदाने उपलब्ध कराता है। इनमें नए बारदानों के साथ पुराने बारदाने भी हैं। टोकन लेने वाले किसानों को प्रति एकड़ के अनुसार धान के लिए पुराने और नए दोनों समान मात्रा में बारदाने उपलब्ध कराए जा रहे हैं। नए बारदाने तो सही हैं,लेकिन पुराने बारदानों में ज्यादातर फट-गल चुके हैं। इसके कारण बारदानों में धान भरने से लेकर तौलाई एवं सोसाइटी में रखने तक फटे बारदानों से धान लगातार जमीन पर गिरकर खराब हो रहा है। इस तरह प्रति बारदाना 100 ग्राम से 200 ग्राम तक धान की बर्बादी हो रही है, जिससे किसान और सोसाइटी दोनों को नुकसान हो रहा है। हरिभूमि की टीम सहकारी सोसाइटियों में किसानों को धान के लिए दिए जा रहे बारदानो की पड़ताल करने जिले के सेजबहार, खिलौरा, दतरेंगा सहित अन्य कुछ सोसाइटियों यों में में प पहुंची। । इ इस दौरान टीम ने किसानों को बारदानों में धान भरने से लेकर तौलाई के बाद धान से भरे कट्टों को सोसाइटी के चबूतरों पर रखने तक की लाइव रिपोर्टिंग की। इस दौरान देखा गया कि किसानों को रकबा के अनुसार धान के लिए पहले पुराने बारदाने दिए जा रहे हैं। इन बारदानों को देखकर ही पता चलता है कि धान रखने के लिए उपयोगी हैं या नहीं, क्योंकि इनमें ज्यादातर बारदाने फटे हुए थे। किसान मजबूरी में फटे बारदानों में ही धान भरने लगे।
बारदानों में भरने के दौरान धान जमीन पर भी भी गि गिर रहा था। इसके बाद जब धान की तराजू में तौलाई की गई, तो इस दौरान भी बारदानों से धान जमीन पर गिरता रहा। इस तरह किसानों को फटे बारदानों के कारण एक कट्टा में 50 से 100 ग्राम तक ज्यादा धान देना पड़ रहा है, जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है। किसान और सोसाइटी ने ये कहा: सेजबहार सहकारी सोसाइटी में धान बेचने पहुंचे एक किसान ने बताया कि वह 6 एकड़ का धान बेचने के लिए सोसाइटी में आया है। प्रति एकड़ के हिसाब से उसे बारदाने मिले हैं। इनमें 50 प्रतिशत पुराने एवं 50 प्रतिशत नए बारदाने हैं। पुराने बारदाने जगह-जगह से फटे हुए हैं, जबकि नए बारदाने सही हैं। फटे बारदानों के कारण धान जमीन पर गिर रहा है, जिससे किसान को नुकसान हो रहा है। इस सोसाइटी के अध्यक्ष विजय ठाकुर ने भी बताया कि जो बारदाने हमें उपलब्ध कराए जा रहे हैं, वे ही किसानों को दिए जा रहे हैं। पुराने बारदाने कई साल पुराने हैं, इसलिए उनमें कई फट भी गए हैं। धान की बर्बादी तो हो रही है, लेकिन इससे सोसाइटी को भी नुकसान है। मिलर के उठाव के दौरान धान के कट्टे में वजन के अंतर की भरपाई सोसाइटी को ही करनी पड़ती है।
सोसाइटी को भी नुकसान
पुराने फटे बारदानों के कारण किसानों के साथ सोसाइटी को भी नुकसान हो रहा है। किसानों से धान खरीदी के दौरान धान का वजन कराने के बाद कट्टा को चबूतरे तक ले जाने और फिर मिलर के उठाव के दौरान भी 50 से 100 ग्राम तक धान की बर्बादी फटे बारदाने के कारण हो रही है। इस नुकसान की भरपाई सोसाइटी को ही करनी पड़ेगी क्योंकि मिलर भी सोसाइटी से धान का उठाव कराने के बाद उसका वजन धर्मकांटा में कराता है। इस दौरान प्रति कट्टा के हिसाब से जितना धान का वजन कम मिलेगा, मिलर उसी के अनुसार चावल जमा कराता है। इस तरह जितना वजन कम मिलेगा, उसकी भरपाई सोसाइटी को ही करनी होती है।
किसानों को मिल रहे फटे पुराने बारदाने
फटे-पुराने बारदाने ने किसानों की परेशानी बढ़ा दी है। हालत यह है कि सोसायटियों में मिलरों द्वारा बंडल में कई फटे-पुराने बारदाने के कारण किसानों को दोहरी मेहनत करनी पड़ रही है। किसान अपनी धान बेचने मजबूरी में फटे जगह पर पैरा से सपोर्ट पैक कर धान बेच रहे हैं। हरिभूमि ने जगदलपुर, दुर्ग-भिलाई, धमतरी के सोसायटियों में हो रही धान खरीदी प्रक्रिया का मुआयना किया तो यह बात सामने आई कि दुर्ग-भिलाई के निकुम में बीते 44 दिनों से सेवा सरकारी समितियां में धान खरीदी हो रही है, लेकिन जिम्मेदार अधिकारियों को सुध लेने की फुर्सत भी नहीं है। सत्ता बदल गई, नई सरकार आ गई है, फिर भी किसान धान बेचने को लेकर काफी परेशान हैं। अल सुबह होते ही किसान धान बेचने सेवा सहकारी समितियों में जाते है, जहां 17 प्रतिशत तक धान खरीदी जाती है। वहीं खरीदी केंद्रों में 50-50 प्रतिशत नए व पुराने बारदाने किसानों को दिया जाता है, लेकिन पुराने बारदाने के कारण किसान परेशान हो रहें हैं। मिलरों द्वारा बंडल में कई फटे-पुराने बारदाने के कारण किसानों को दोहरी मेहनत करनी पड़ रही है। किसान अपनी धान बेचने मजबूरी में फटे जगह पर पैरा से सपोर्ट पैक कर धान बेच रहे हैं। जिसके कारण धान गिर जाता है। निकुम के किसान रोशन साहू ने बताया की फटे बारदानों से किसान को बेहद परेशानी होती है।
सोसायटियों में नया और पुराना दोनों बारदाना से हो रहा तौल
बस्तर जिले के धान खरीदी केंद्रों में किसानों के धान को तौलने के लिए किस तरह के बारदाना का उपयोग किया जा रहा है, इसका जायजा हरिभूमि ने गुरुवार को सीधे केंद्रों में जाकर लिया। माड़पाल खरीदी केंद्र में फटे पुराने बारदानों की छटाई महिला मजदूर कर रही थीं। खरीदी केंद्र प्रभारी रूद्र चालकी ने बताया कि शासन के आदेश के अनुसार नया और पुराना दोनों बारदाना 50-50 प्रतिशत उपयोग किया जा रहा है। यहां 19 हजार नया बारदाना का थान प्राप्त हुआ है। वहीं क्राउन राइस मिल कस्तुरी ने 7 हजार 500 उपयोग किया हुआ पुराना बारदाना भेजा है। इन बारदानों की छंटाई कर तौल में उपयोग लायक सही बारदाना रखकर बाकी फटे हुए अनुपयोगी बारदानों को लौटा दिया जाएगा। वहीं नगरनार लेम्पस के निरीक्षण में गोदाम में नया और पुराना दोनों बारदाना रखा हुआ था। तौल में भी दोनों का उपयोग किया जा रहा था। लेम्पस प्रबंधक राजूराम कश्यप ने बताया कि नया बारदाना 15055 भेजा गया है। वहीं क्राउन राईस मिल से 13098 एवं पीडीएस का 1270 पुराना बारदाना है। मिलर्स से आए पुराने बारदानों की छटाई कर अनुपयोगी फटे हुए बारदानें वापस कर दिया गया है। यहां भी शासन के निर्देश का पालन करते हुए 50-50 प्रतिशत दोनों बारदाने का उपयोग हो रहा है। बाक्स.... डीएमओ और खाद्य विभाग कराता है उपलब्ध नया और पुराना दोनों बारदाना 50-50 प्रतिशत उपयोग करने की अनुमति शासन से मिली है। इस सबंध में जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अधिकारी का कहना है लेम्पस सोसाइटियों में धान सुरक्षित बारदाना में रखने की जवाबदारी विपणन और खाद्य विभाग की है। विपणन विभाग लेम्पस सोसायटी को बारदाना उपलब्ध कराता है। शहर से 6 किमी दूर मंगडू कचोरा लेम्पस में नया और पुराना दोनों बारदाना उपयोग किया जा रहा था। इस सम्बंध में उपार्जन प्रभारी ने बताया हमे विपणन विभाग जो बारदाना उपलब्ध कराया है, उसका उपयोग कर रहे है। जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के अतिरिक्त मुख्य कार्यपालन अधिकारी एसए रजा ने बताया शासन से नया और पुराना दोनों प्रकार के बारदाना का उपयोग करने का आदेश है।बारदानों से खरीदी की जा रही है। नए बारदाने तो शासन स्तर से सप्लाई की जा रही है, जबकि पुराने बारदाने मिलर्स और पीडीएस से मंगाए जा रहे हैं। जिले के सभी 100 खरीदी केंद्रों में 9 हजार 525 गठान नए बारदाने भेजे गए हैं। वहीं मिलर्स से 8 हजार गठान और पीडीएस से 1650 गठान बारदाने भेजे गए हैं। नए में इक्का-दुक्का बारदाना ही खराब मिल रहा है लेकिन पुराने बारदाने तो 40 प्रतिशत से ज्यादा खराब निकल रहे हैं। मजबूरी में इन्हीं खराब बारदानों से खरीदी की जा रही है। खराब बारदानों से खरीदी के चलते किसानों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। धान भरते वक्त फटे बारदानों से धान रिसने लगता है। कागज, पैरा, झिल्ली आदि से बंद करने के बाद किसान धान बेच पाते हैं। इसके बाद भी काफी नुकसान होता है। नुकसान केवल किसानों को ही नहीं सोसाइटियों को भी हो रहा है। फटे बारदानों से धान के रिसाव के कारण शार्टेज का खतरा भी बना हुआ है।
कई जगह रिजेक्ट हुए बारदाने
तरसींवा धान खरीदी केंद्र में 72000 नग पुराना बारदाना आया था। इसमें से करीब 3 हजार बारदाने इतने खराब थे कि धान भरना मुश्किल था। मिलर्स को ये बारदाने वापस ले जाने के लिए कहा गया है, लेकिन अब तक मिलर्स ने इन बारदानों को वापस नहीं लिया है। बारदाने समितियों में ही पड़े हैं। कुरमातराई केंद्र में 46000 नए पुराने बारदाने आए थे। इसमें से 2000 बारदाने काफी खराब हैं। देमार में 43000 पुराने बारदाने आए थे। 2 हजार रिजेक्ट हुए। इन बारदानों को लौटा दिया गया है।
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