CG NEWS : सेंट्रल पूल के लिए एफसीआई में चावल जमा होना शुरू, धान की आवक में भारी तेजी

CG NEWS : सेंट्रल पूल के लिए एफसीआई में चावल जमा होना शुरू, धान की आवक में भारी तेजी
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रायपुर। छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदे गए धान की कस्टम मिलिंग के साथ ही अब सेंट्रल पूल के लिए एफसीआई (FCI)में चावल जमा होना शुरू हो गया है बताया गया है कि चार जिलों में 3 हजार मीट्रिक टन से अधिक चावल जमा किया गया है। खास बात ये है कि राज्य सरकार (state government)को सेंट्रल पूल के लिए 61 लाख मीट्रिक टन चावल तैयार कर दिया जाना है। अब तक राज्य से केवल अरवा चावल लिया जा रहा है। राज्य में भाजपा (BJP)नेतृत्व की सरकार बनने के बाद ये संभावना है कि उसना चावल की भी मांग केंद्र से आ सकती है।

इन जिलों में एफसीआई को चावल

राज्य से सेंट्रल पूल के लिए एफसीआई में चावल जमा करने का काम शुरू होने के बाद कुछ जिलों में इसकी शुरुआत हो चुकी है। बुधवार को मिली जानकारी के अनुसार जिन जिलों में एफसीआई चावल जमा किया गया है, उनमें बालोद, धमतरी, और रायपुर शामिल है। हालांकि अभी ये शुरुआत ही है। अब तक तीन हजार मीट्रिक टन चावल जमा हो गया है, लेकिन इन जिलों के अलावा बाकी जिलों में अब तक सेंट्रल फूल के चावल की बोहनी नहीं हो पाई है।

अब उसना लेने की संभावना भी

छत्तीसगढ़ से इस सीजन में सेंट्रल फूल के लिए 61 लाख मीट्रिक टन चावल दिया जाना है, जबकि राज्य के लिए 14 लाख मीट्रिक टन चावल दिया जाना है। खास बात ये है कि सेंट्रल फूल में केवल अरवा चावल लिया जा रहा है। राज्य सरकार ने पूर्व में केंद्र से आग्रह किया था कि उसना भी लिया जाए, लेकिन ये आग्रह नहीं माना गया। अब राज्य में भाजपा नेतृत्व की सरकार बनने के बाद संभावना है कि उसना चावल लिया जा सकता है। खाद्य विभाग फिर से केंद्र से आग्रह करने की तैयारी में है कि राज्य से उसना चावल भी लिया जाए।

धान की आवक हुई तेज

राज्य में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर 1 नवंबर से जारी धान खरीदी के बीच बुधवार को 68 हजार से अधिक किसानों ने अपना धान बेचा है। कहा जा रहा है कि धान खरीदी शुरू होने के बाद एक दिन धान बेचने वाले किसानों की यह सबसे अधिक संख्या है। इस दिन करीब 3 लाख मीट्रिक टन धान की आवक हुई है। इससे पहले चुनाव, त्योहारी सीजन और बेमौसम बारिश की वजह से धान खरीदी प्रभावित हुई थी। बस्तर, सरगुजा संभाग के जिलों में धान की आवक इस सीजन में कम रही है, लेकिन अब वहां भी किसान तेजी से धान बेचने आ रहे हैं।

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