CG News: विभागीय कर्मचारी को परमीशन की क्या जरूरत... बस ठेकेदार से सेटिंग और काम शुरू, पढ़िए... बिजली विभाग को कैसे लगाया जा रहा चूना

राहुल यादव- लोरमी-मुंगेली। छत्तीसगढ़ के मुंगेली में बिजली विभाग के सब डिवीजन का गंभीर वीडियो वायरल हो रहा है, जहां आमजनता को मीटर के लिए घुमाने वाला बिजली विभाग आचार संहिता में अपने विभागीय बाबू के निजी खेत के लिए खंभा लगा रहा है और ट्रांसफार्मर लगाने के लिए ठेकेदार से डायरेक्ट सेटिंग कर 7 लाख रुपये में सौदा हुआ है। यह पूरा मामला तखतपुर विधानसभा के ग्राम पंचायत जरौंधा का है।
मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम पंचायत जरौंधा में विभागीय बाबू जगदीश साहू के निजी खेत के लिए आवेदन डाले बिना और बिना सरपंच के परमिशन के ही बिजली खंभा लगाया जा रहा है। यह सारा काम समन्वय और आस्था कॉन्ट्रक्सन के ठेकेदार दीपक कश्यप से मिलीभगत कर 7 लाख रुपये में किया जा रहा है। जब इस बारे में विभागीय अफसरों से पूछा गया तो वे जवाब देने से बचने लगे और चुनाव में व्यस्त होने का हवाला देकर पल्ला झाड़ने लगे।



अपने ही कर्मचारी पर विभाग मेहरबान
बता दें कि, लोरमी जूनापरा के बिजली विभाग में पदस्थ बाबू जगदीश साहू के निजी खेत में पंप चलाने के लिए लगभग छह सौ मीटर दूर कनेक्शन देने 16 खंभे और 25 एचपी का ट्रांसफार्मर लगाया जा रहा है। यह काम नियमों को ताक पर रखकर, बिना आवेदन के ही किया जा रहा है। न सिर्फ इतना ही यह काम जिस ठेकेदार के जिम्मे है वह भी बाबू का रिश्तेदार है। कुल मिलाकर बाबू और ठेकेदार विभाग को चूना लगाकर मनमानी कर रहे हैं। इतनी बड़ी लापरवाही पर अब तक विभाग के जिम्मेदार अफसर मौन साधे हुए हैं।
विभागीय कर्मचारी होने का उठा रहे अनुचित लाभ
इस मामले में बाबू और ठेकेदार मिलीभगत कर न सिर्फ विभाग को लाखों का चूना लगा रहे हैं बल्कि यह बात भी साफ है कि, इस मिलीभगत को अधिकारियों की शह भी प्राप्त होगी। इस मामले में बाबू ने विभाग में न तो कनेक्शन के लिए आवेदन दिया है और न ही उसका स्टीमेट बना है। जब आवेदन और स्टीमेट की प्रक्रिया ही नहीं हुई तो सर्वे और सुपरविजन की बात ही नहीं उठती। लेकिन विभाग के जूनियर इंजीनियर अविष्कार तिग्गा कहते हैं कि कोई भी उपभोक्ता अपने स्तर पर ठेकेदार से संपर्क कर खंभे लगवाने का काम करवा सकता है। उसे केवल 15 प्रतिशत की राशि विभाग को देनी होती है। उसे विभाग में आवेदन करने की आवश्यकता नहीं है। इसी बात से समझा जा सकता है कि मिलीभगत किस स्तर तक है।
बगैर आवेदन के स्टीमेट तैयार
जब विभाग में आवेदन ही नहीं आया है तो कनेक्शन किस आधार पर दिया जायेगा? जब स्टीमेट ही नहीं बना है तो उपभोक्ता किस हिसाब से विभाग को 15 प्रतिशत की राशि पटाएगा? मतलब यह कि, सब कुछ ठेकेदार निर्धारित कर देगा वह जितना चाहे उपभोक्ता से ले और जितना चाहे विभाग में पटवा दे। हमें मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में सात लाख में 16 खंभे और 25 एचपी का ट्रांसफार्मर लगाया जा रहा है, जिसमें अधिकाश खंभे गड़ाए जा चुके हैं और आधी दूरी तक तार भी खींचा जा चुका है। आम तौर पर यदि कोई सामान्य उपभोक्ता विधिवत आवेदन करे तो उसे छह महीने से साल भर बीत जाने के बाद भी कनेक्शन की प्रक्रिया पूरी करवाने में पसीने छूट जाएंगे। लेकिन, इस मामले में विभागीय बाबू और ठेकेदार की आपसी सांठ-गांठ से काम महीनेभर में ही पूरा हो जाएगा। इस मामले में संबंधित बाबू जगदीश साहू के बेटे का वायरल वीडियो हरिभूमि डाट काम को मिला है, जिसमें उसने सारी बात खुलकर कही है। देखिए वीडियो...
जांच कराता हूं, गड़बड़ी मिली तो कार्यवाही होगी- अनीश लखेरा
इस मामले में जब विभागीय कार्यालय में जाकर पता किया गया तो अधिकारी कार्यालय में ही मौजूद नहीं थे। फोन से जब डिवीजन इंजीनियर आशु वार्सने से संपर्क किया गया तो उन्होंने चुनावी दौरे में व्यस्त होने का हवाला दिया। वहीं जब एसई अनीश लखेरा से बात की तो उन्होंने कहा, इस मामले को गंभीरता से लेकर जांच करवाता हूं और अगर इस मामले में कोई अधिकारी दोषी पाए जाते हैं तो उनका तबादला और ठेकेदार को ब्लैक लिस्टेड किया जाएगा।
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