CG NEWS : मृत्यु के बाद त्वचा दान कर संवारेंगे दूसरों की जिंदगी, पांच माह में सामने आए चार डोनर

रायपुर। मृत्यु के बाद नश्वर शरीर की त्वचा दान कर दूसरों की जिंदगी संवारना भी संभव है। पिछले पांच माह में चार परिवार अपनों की मृत्यु के बाद उनकी त्वचा दान कर चुके हैं। डीके अस्पताल ( DK hospital )में बनाए गए स्किन बैंक (Skin bank) में त्वचा को सुरक्षित रखा गया है। इसका उपयोग अभी छोटी सर्जरी में किया जा रहा है, मगर इसकी मदद से स्किन ट्रांसप्लांट (skin transplant) भी संभव होगा। जिस तरह मृत्यु के बाद नेत्रदान दिया जा सकता है, उसी तरह त्वचा दान देने के लिए किसी जटिल और बड़ी प्रक्रिया की आवश्यकता नहीं है। त्वचा सहित अन्य तरह की गंभीर बीमारी से पीड़ित लोगों को छोड़कर शेष अन्य की त्वचा दान की जा सकती है। राज्य में इसकी प्रक्रिया पूरी भी की जा रही है। एक स्किन बैंकनिजी तथा दूसरा शासकीय डीकेएस सुपर स्पेशलिटी हास्पिटल में प्रारंभ किया गया है। यहां के स्किन बैंक अथवा सोटो कार्यालय में संपर्क कर त्वचा दान की प्रक्रिया को पूरी की जा सकती है।
जानकारी के मुताबिक, डीके अस्पताल में अप्रैल के अंतिम दिनों में प्रारंभ किए गए स्किन बैंक में अब तक चार परिवार अपने सगे संबंधियों की त्वचा दान कर चुके हैं। मृत्यु के बाद मिली मानव त्वचा को स्किन बैंक में एक निर्धारित तापमान पर सुरक्षित रखा गया है। जरूरत होने पर छोटी सर्जरी में त्वचा का उपयोग किया जा रहा है, मगर स्किन ट्रांसप्लांट के लिए अभी यहां एक भी केस नहीं है। सूत्रों के मुताबिक स्किन ट्रांसप्लांट के लिए लोग अभी महानगरों की राह पकड़ रहे हैं। राजधानी के एक-दो निजी अस्पतालों में त्वचा प्रत्यारोपण किया जाता है। सुविधाएं बढ़ाने के बाद इसकी शुरुआत डीके अस्पताल में हो सकती है, जिसका खर्च निजी अस्पतालों की तुलना में काफी कम होगा।
लंबे समय तक सुरक्षित
नेत्र की तरह किसी मृत व्यक्ति की त्वचा का दान अगले छह घंटे के भीतर किया जाता है। इसके बाद मृत हो चुके शख्स की त्वचा खराब होने लगती है। हालांकि , निर्धारित समय में चिकिकत्सकीय स्टाफ द्वारा प्राप्त की गई त्वचा को स्किन बैंक में करीब दस साल तक सुरक्षित रखा जा सकता है। इस त्वचा का उपयोग आमतौर पर आग में झुलसकर अथवा किसी अन्य तरह के हादसे में कुरूप हुए लोगों की सर्जरी के दौरान किया जाता है।
सामने आ रहे लोग
डीके अस्पताल उपअधीक्षक डॉ. हेमंत शर्मा कि, त्वचादान करने के लिए पिछले पांच महीने में चार परिवार सामने आ चुके है। दान में मिली त्वचा का उपयोग बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी के लिए किया जाता है।
संचालित है बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी विभाग
डीके अस्पताल में स्किन बैंक की सुविधा के साथ बर्न एवं प्लास्टिक सर्जरी वाले सुपर स्पेशलिटी विभाग का संचालन किया जाता है। यहां विभिन्न घटनाओं में झुलसे अथवा किसी घटना में अंग-भंग करा चुके मरीजों को उपचार के लिए दाखिल किया जाता है। राज्य के एकमात्र शासकीय अस्पताल में सुपर स्पेशलिटी विभाग और इससे संबंधित एमसीएच पाठ्यक्रम का भी संचालन किया जाता है।
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