CGPSC : पंद्रह छात्रों की एक ही गलती, पीएससी ने दो को बचाया, 13 पर गिराई गाज दो इंटरव्यू तक पहुंच गए, मेंस की परीक्षा में नियमों की अनदेखी

CGPSC : पंद्रह छात्रों की एक ही गलती, पीएससी ने दो को बचाया, 13 पर गिराई गाज   दो इंटरव्यू तक पहुंच गए, मेंस की परीक्षा में नियमों की अनदेखी
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नियमों की अनदेखी का हवाला देकर अफसरों ने 13 छात्रों को अयोग्य करार दिया, मगर दो को सफल मानते हुए इंटरव्यू (interviews )के लिए कॉल कर दिया। इतना ही डिसक्वालीफाई परीक्षार्थियों का नाम भी सार्वजनिक कर दिया गया, जिसके खिलाफ छात्र अदालत जाने की तैयारी में हैं। पढ़िए पूरी खबर...

रायपुर। राज्य सेवा (state service)की परीक्षा को लेकर विवादों में रहने वाले छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग (Chhattisgarh Public Service Commission)की एक और लापरवाही सामने आई है। मेंस की परीक्षा के दौरान पंद्रह छात्रों ने एक ही तरीके की गलती कर दी। नियमों की अनदेखी का हवाला देकर अफसरों ने 13 छात्रों को अयोग्य करार दिया, मगर दो को सफल मानते हुए इंटरव्यू (interviews )के लिए कॉल कर दिया। इतना ही डिसक्वालीफाई परीक्षार्थियों का नाम भी सार्वजनिक कर दिया गया, जिसके खिलाफ छात्र अदालत जाने की तैयारी में हैं।

छत्तीसगढ़ लोक सेवा आयोग परीक्षा की पारदर्शिता को लेकर कटघरे में खड़ा हो चुका है। इसमें चर्चित लोगों के रिश्तेदारों का चयन प्रमुख है। बुधवार को जारी किए गए आदेश ने नए विवाद को जन्म दे दिया है। जारी सूचना में हवाला दिया गया है कि एक सवाल का उत्तर लिखने के दौरान निर्धारित नियमों का पालन किया जाना था। अयोग्य करार दिए गए छात्रों ने इसका पालन नहीं किया। जांचकर्ता द्वारा मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई और पीएससी ने उन्हें परीक्षा से अलग कर दिया।

इस आदेश के बाद विरोध के स्वर उभरने लगे और यह तथ्य सामने आया कि इसी तरह की गलती दो अन्य लोगों ने की थी, मगर इसे जांचकर्ता ने नजरअंदाज कर दिया और उन्हें निर्धारित नंबर देते हुए इंटरव्यू तक पहुंचा दिया। इसकी शिकायत होने पर मामले की लीपापोती करने 13 छात्रों का रोल नंबर तक जारी कर दिया गया। इस फैसले के खिलाफ भी अयोग्य माने गए छात्र अदालत जाने की तैयारी में हैं। इस मामले में पीएससी से जुड़े अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, मगर सफलता नहीं मिली।जारी सूचना में हवाला दिया गया है कि एक सवाल का उत्तर लिखने के दौरान निर्धारित नियमों का पालन किया जाना था। अयोग्य करार दिए गए छात्रों ने इसका पालन नहीं किया। जांचकर्ता द्वारा मामले की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए इनके खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा की गई और पीएससी ने उन्हें परीक्षा से अलग कर दिया।

13 छात्रों का रोल नंबर सार्वजनिक, मामले में कोर्ट जाने की तैयारी

इस आदेश के बाद विरोध के स्वर उभरने लगे और यह तथ्य सामने आया कि इसी तरह की गलती दो अन्य लोगों ने की थी, मगर इसे जांचकर्ता ने नजरअंदाज कर दिया और उन्हें निर्धारित नंबर देते हुए इंटरव्यू तक पहुंचा दिया। इसकी शिकायत होने पर मामले की लीपापोती करने 13 छात्रों का रोल नंबर तक जारी कर दिया गया। इस फैसले के खिलाफ भी अयोग्य माने गए छात्र अदालत जाने की तैयारी में हैं। इस मामले में पीएससी से जुड़े अधिकारियों से संपर्क करने का प्रयास किया गया, मगर सफलता नहीं मिली।

भ्रष्टाचार पर प्रतिवेदन

जानकारी के मुताबिक भ्रष्टाचार पर प्राप्त शिकायतों का प्रतिवेदन स्वास्थ्य सचिव को प्रेषित किया जाना था । इसमें अपना नाम, रोल नंबर, कोई धार्मिक चिन्ह, कोई पहचान का उपयोग नहीं किया जाना था। उत्तर लिखने के दौरान छात्रों ने यह गलती कर दी। किसी ने छद्म नाम का तो किसी ने पद नाम का उल्लेख भ्रष्टाचार के प्रतिवेदन पर कर दिया

शासन के सीईओ का उल्लेख

इस सवाल में प्रतिवेदन स्वास्थ्य सचिव को प्रस्तुत करना था। एक छात्र ने राज्य शासन को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया तो एक ने मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत को अपना पत्र प्रतिवेदन लिख दिया। सूत्रों का कहना है कि इस मामले में गलती स्पष्ट होने के बाद भी अधिकारियों ने उन्हें बकायदा पांच में ढाई नंबर दे दिया।

पूर्व की नियुक्तियां विवाद में

पीएसपी पर गंभीर आरोप लग रहे हैं। पीएससी के अफसरों और नौकरशाहों के बेटे बेटियों की थोक में नियुक्ति का मामला हाईकोर्ट पहुंच गया है। कुछ मामले बड़े संगी हैं। एक ही परिवार के कई कई सदस्यों का चयन पीएससी में हो गया है। हाईकोर्ट ने सुनवाई के दौरान उनकी नियुक्तियों पर रोक लगा दी है। ऐसे में नए मामले ने पीएससी पर फिर सवाल खड़े कर दिए हैं।

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