खेतों तक जाने के लिए रास्ते की मांग पर चक्काजाम : गांव में सड़क पर बना लिया मकान, अफसरों और पुलिस के समझाइश के बाद हुआ ऐसा समझौता...

खेतों तक जाने के लिए रास्ते की मांग पर चक्काजाम : गांव में सड़क पर बना लिया मकान, अफसरों और पुलिस के समझाइश के बाद हुआ ऐसा समझौता...
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ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर भैयाथान प्रतापपुर मार्ग पर चक्काजाम कर दिया। स्टेट हाईवे से किसानों के खेत, कब्रिस्तान और श्मशान तक जाने के लिए मिट्टी-मुरूम का रास्ता बना हुआ था। जिस पर बीते कई वर्षों से आवागमन होता रहा, लेकिन अब अचानक कैसे रासता हो गया बंद... पढ़िए पूरी खबर...

कमलजीत सिंह गिल-भैयाथान। छत्तीसगढ़ के सूरजपुर ज़िले में स्थित भैयाथान ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम पलमा में ग्रामीणों ने सड़क की मांग को लेकर चक्का जाम कर दिया। मौके पर तहसीलदार अमित केरकेट्टा और चेंद्रा चौकी प्रभारी आराधना बनोदे के समझाने के बाद ग्रामीणों ने चक्का जाम समाप्त कर दिया।

मिली जानकारी के अनुसार, ग्राम पलमा के ग्रामीण सड़क की मांग को लेकर भैयाथान प्रतापपुर मार्ग पर चक्काजाम कर दिया। स्टेट हाईवे से किसानों के खेत, कब्रिस्तान और श्मशान तक जाने के लिए मिट्टी-मुरूम का रास्ता बना हुआ था। जिस पर बीते कई वर्षों से आवागमन होता रहा, लेकिन एक वर्ष पूर्व सीमांकन के पश्चात उक्त सड़क रामधनी राजवाड़े के नाम पर होना बताया गया। जिस पर राजवाड़े ने बिना देरी किए आनन-फानन में सड़क पर घर और दुकान बना लिया है। जिससे सड़क मार्ग अवरुद्ध हो गया। वहीं दूसरी ओर सीमांकन के दौरान राजस्व अभिलेख अनुसार उक्त सड़क स्व जगदीश गुप्ता के काबिज भूमि को बताया गया। जिस पर उनका घर बाड़ी बीते कई वर्षों से बना हुआ है। जिसके कारण आवागमन हेतु अब मार्ग अवरूद्ध हो गया। सड़क बनाए जाने की मांग को लेकर ग्रामीण अड़े रहे तो वहीं मंजू गुप्ता ने एक तरफ का घर तोड़कर आवागमन हेतु मार्ग देने पर सहमति दी। जिसके बाद चक्काजाम समाप्त कर दिया गया। इस दौरान सरपंच सहित सैकड़ों ग्रामीण व पटवारी वीरेंद्र जायसवाल सहित काफी संख्या में पुलिस बल मौजूद रहे।

सड़क की जमीन अचाानक निजी कैसे निकली?

बीते 50 वर्षों से पलमा के ग्रामीण स्टेट हाईवे से कब्रिस्तान, श्मशान और अपने खेतों तक खेती कार्य हेतु ट्रैक्टर ले जाने के लिए उक्त मिट्टी मुरूम सड़क का उपयोग करते रहे। लेकिन एक वर्ष पूर्व राजस्व विभाग के सीमांकन के बाद उक्त सड़क एक व्यक्ति के नाम पर निकल गया और उस व्यक्ति ने तत्काल मकान बना दिया। जिससे मार्ग बाधित हो गया। जबकि सड़क निर्माण के समय ग्राम पंचायत का प्रस्ताव खसरा नक्शा व स्थल निरीक्षण पश्चात कार्य की स्वीकृति दी जाती है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजिमी है कि, निजी भूमि पर सड़क निर्माण की स्वीकृति कैसे मिली होगी। अगर उस समय उक्त भूमि शासकीय थी, तो अब पट्टे की भूमि आखिर कैसे हो गई। अगर इस तरह के त्रुटियों पर राजस्व विभाग समय पर ध्यान देता तो मार्ग अवरूद्ध होने व चक्का जाम जैसे स्थिति का सामना नहीं करना पड़ता।

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