पशुपालकों और महिलाओं की बदली तकदीर : कहा- ’गोबर बेचके रुपया कमाबो, करबो सपना साकार... हमर द्वार आये हे, छत्तीसगढ़ सरकार’...

पशुपालकों और महिलाओं की बदली तकदीर : कहा- ’गोबर बेचके रुपया कमाबो, करबो सपना साकार... हमर द्वार आये हे, छत्तीसगढ़ सरकार’...
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एक ओर जहां लोग गोबर बेचकर आर्थिक स्वावलंबन की ओर अग्रसर हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण महिलाओं को समूह के माध्यम से एक ही समय में एक से अधिक कार्य करके आर्थिक मजबूती प्राप्त करने का रास्ता गोठानों ने बखूबी दिखाया है। गोठानों से ग्राम स्वावलंबन का सपना साकार हो रहा है। इससे किसान और पशुपालक अब समृद्धि की राह में आगे बढ़ रहे हैं। कैसे संवर रही है लोगों की जिंदगी... पढ़िए हमारी खास रिपोर्टिंग...

भोजराज साहू-धमतरी। छत्तीसगढ़ सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना पशुपालकों के हित में लिया गया ऐसा निर्णय है, जिससे उन्हें वित्तीय मदद के साथ-साथ रोजगार भी मिल रहा है। साथ ही वे आर्थिक रूप से सुदृढ़ भी हो रहे हैं। एक ओर जहां लोग गोबर बेचकर आर्थिक स्वावलंबन की ओर अग्रसर हो रहे हैं तो वहीं दूसरी ओर ग्रामीण महिलाओं को समूह के माध्यम से एक ही समय में एक से अधिक कार्य करके आर्थिक मजबूती प्राप्त करने का रास्ता गोठानों ने बखूबी दिखाया है। गोठानों से ग्राम स्वावलंबन का सपना साकार हो रहा है। इससे किसान और पशुपालक अब समृद्धि की राह में आगे बढ़ रहे हैं।

समृद्ध व ऐतिहासिक महत्व को संजोए हुए धमतरी जिले के अंतिम छोर में ग्राम तर्रागोंदी बसा है। यहां भी गोधन न्याय योजना की अलख जल रही है। गांव में 100 से अधिक पशुपालक हैं, जिनके हाथ गोबर से सने हुए हैं और गोबर बेचकर आर्थिक स्वावलंबन की ओर अग्रसर है। खेतिहर मजदूर, किसान, चरवाहा के लिए वरदान साबित हो रही यह योजना पशुपालकों के चेहरे में मुस्कान लौटाई है। वहीं छोटे स्तर पर धंधा करने वाले लोगों को भी बड़ी राहत दिलाई है।

शुरू में दो मवेशियों का पालन किया, फिर...

दरअसल, ग्राम कुरूद विकासखण्ड के ग्राम तर्रागोंदी निवासी महिला पशुपालक शीला जैन गोबर बेचकर प्रत्यक्ष लाभ कमा रही है। श्रीमती जैन और उनके परिवार का मुख्य कार्य किराना व्यवसाय है। गांव में दुकान होने से आमदनी कम होती है, जिससे परिवार का भरण-पोषण तो हो जाता है, लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियां या बड़े काम करने के लिए हमेशा रुपयों का अभाव बना रहता था। सदाचार, सात्विक, शाकाहारी और पशुपालन को महत्व देने की विचारधारा से प्रेरित होकर शुरूआत में शीला ने दो मवेशियों का पालन किया। इससे उनकी पारिवारिक जरूरतें तो पूरी होने लगी, साथ ही दूध, मही, मक्खन, घी बेचने का ख्याल भी मन में आया। इस उद्देश्य से उनकी ओर से मवेशी की संख्या बढ़ाई गई। इससे आमदनी तो बढ़ी, लेकिन मवेशियों को रखने के लिए आश्रय स्थल (कोठा) निर्माण करवाने में असमर्थ रही।

गोबर बेचकर पशुओं के लिए बनाया कोठा

इस बीच प्रदेश सरकार की गोधन न्याय योजना के तहत गांव के गोठान में गोबर बेचने की शुरूआत की गई। श्रीमती जैन भी अन्य पशुपालकों की तरह गोठान में गोबर बेचना शुरू की। उन्होंने योजना प्रारंभ से अब तक 270 क्विंटल 30 किलो गोबर बेचीं, जिससे उन्हें 54 हजार 60 रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ। शीला ने प्राप्त राशि का उपयोग पशुओं के लिए पक्का आश्रय स्थल (कोठा) निर्माण में की। शीला जैन ने कहा कि, पहले जिस गोबर को अन्यत्र फेंक देते थे, अब सरकार की महत्वाकांक्षी गोधन न्याय योजना से जुड़कर हजारों रुपए की कमाई होना, सपना पूरा होने जैसा है। वहीं गोबर से रुपए मिलने और गोबर बेचकर अब पक्का कोठा बन जाने से पशुओं का स्वास्थ्य अच्छा रहता है व दूध उत्पादन में बढ़ोतरी हुई है। मुस्कुराते हुए सहज भाव से श्रीमती जैन कहती है-

’गोबर बेचके रुपया कमाबो, करबो सपना साकार।

हमर द्वार आये हे, छत्तीसगढ़ सरकार।।’

घर के पास मिला रोजगार

वहीं गोठान में स्व-सहायता समूह की महिलाएं सामाजिक और आर्थिक रूप से सशक्त होने की दिशा में अग्रसर है। गोधन न्याय योजना से उन्हें जहां वर्मी कम्पोस्ट तैयार करने में रोजगार मिला है। वहीं गोबर के विक्रय से अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है। इस योजना से मिलने वाली राशि का उपयोग महिलाएं अब अपने बच्चों की स्कूली पढ़ाई-लिखाई के साथ कई छोटी-मोटी जरूरतों को पूरी कर रही है। समूह की महिलाएं घर के पास रोजगार मिलने से काफी खुश है। सही मायने में कहा जाए तो योजना ने उनके जीवन में खुशियों के रंग भर दिए हैं।

समूह की महिलाएं कमा चुकीं इतना पैसा

जिला मुख्यालय धमतरी से 10 किलो मीटर दूर ग्राम अछोटा में आदर्श गोठान बनाया गया है। यहां महिला स्व-सहायता समूह आर्थिक गतिविधियों से जुड़ी है। महिलाएं यहां वस्त्र सिलाई यूनिट, हाथकरघा यूनिट, जैविक खाद, पशुपालन, मछली पालन के अलावा सब्जी उत्पादन का कार्य कर रही है। यहां गोठान निर्माण से मई 2023 तक कुल 3018 क्विंटल गोबर खरीदी हुई है। जहां प्रगति महिला स्व-सहायता समूह की ओर से अब तक 860 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन किया गया। इसमें से 687 क्विंटल वर्मी कम्पोस्ट विक्रय किया गया। इससे समूह को लगभग 2 लाख 24 हजार रुपए की आमदनी हुई। इसके अलावा आदर्श गोठान अछोटा में प्रगति महिला स्व सहायता समूह की महिलाएं मुर्गीपालन, केचुआ उत्पादन, सब्जी उत्पादन और मशरूम उत्पादन कर रही हैं। समूह की महिलाएं केचुआ उत्पादन से 5 हजार 1 सौ रुपए, मुर्गी पालन से 10 हजार 500, सब्जी उत्पादन से 2 हजार 5 सौ और मशरूम उत्पादन से 4 हजार 120 रुपए लाभ कमा चुकी है।

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