बदलती तस्वीर : मुख्यमंत्री के सपनों का दंतेवाड़ा बदल रहा, पर्यटन से रोजगार सृजन की तरफ बढ़ रहा

पंकज भदौरिया-दंतेवाड़ा। छत्तीसगढ़ में दंतेवाड़ा का नाम जहन में आते ही बम, गोले, बारूद और नक्सली उत्पात की तस्वीर लोगों के जेहन में कौंधने लगती थी। लेकिन इसके उलट भी दंतेवाड़ा जिले की एक अलग, अद्भुत और अलौकिक पहचान बन रही है, पर्यटन की दिशा में। यह जिला अपनी एक अलग पहचान धीरे-धीरे गढ़ रहा है। मतलब आप दंतेवाड़ा पहुँचकर यह कह सकते हैं कि दंतेवाड़ा बदल रहा है। छतीसगढ़ के मुखिया मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दंतेवाड़ा जिले से ही हर अनेक नए कार्यों का आगाज करते हैं। चाहे मलेरिया मुक्त बस्तर हो या फिर कुपोषण के विरुद्ध कोई जंग... सब कुछ दंतेश्वरी माँ के आँगन से ही श्री बघेल शुरू करते हैं। देखिए वीडियो-
इसी दिशा में अब पर्यटन के क्षेत्र में दंतेवाड़ा को अलग पहचान दिलाने के लिए कलेक्टर नंदनवार ने कमर कस ली है। पर्यटन से रोजगार सृजन की दिशा में अभिनव पहल करते हुए दंतेवाड़ा जिले के प्रवेश द्वार पर एक सुंदर कलाकृतियों भरा प्रवेश द्वार प्रशासन बनवाने जा रहा है। इसके अलावा मंदिर में एक विशालकाय ज्योतिकलश भी स्थापित होगी। पुरातात्विक महत्व के सबसे प्राचीन स्थल बारसूर क्षेत्र में छिंदक नागवंशी शासन की अमूल्य धरोहर नागफनी मंदिर, बोधराज मंदिर, शीतला माता मंदिर दंतेवाड़ा, देवस्थानम दंतेवाड़ा, बारसूर का भव्य प्रवेश द्वार, ढोलकाल के भगवान गणेश, चन्द्रादित्य मंदिर, पर्यटक सूचना केन्द्र, सरोवर विकास बारसूर, महतारी सरोबर विकास, एकता परिसर दंतेवाड़ा, मुक्तिधाम दंतेवाड़ा, ग्रंथालय दंतेवाड़ा, आदिवासी संग्रहालय और विश्रामगृह के साथ यूथ हास्टल, वर्किंग वुमन हॉस्टल, कटेकल्याण बस स्टैंड जैसी तमाम महत्वपूर्ण जगहों का कायाकल्प कर उन्हें डेवलप करने की तैयारी प्रशासन द्वारा की जा रही है।
9वीं शताब्दी से लेकर 15वीं शताब्दी तक इतिहास दंतेवाड़ा जिले के बारसूर इलाके में है। जिस तरह की कार्ययोजना बनाकर प्रशासन दंतेवाड़ा की तस्वीर बदलने में जुटा है। आने वाले भविष्य में दंतेवाड़ा बेहद सुंदर, सुखद और सुव्यवस्थित नज़र आएगा।
नक्सलवाद घटा तो तेजी से विकास बढ़ा
जैसे-जैसे दंतेवाड़ा जिले के अंदरूनी इलाकों से नक्सलवाद घट रहा है। प्रशासन सड़के, शिक्षा, और पर्यटन स्थलों को संवारने में लग गया है।
बदलते दंतेवाड़ा की एक और नई तस्वीर
अपने सपनों को पूरा होते देखना किसी चमत्कार से कम नहीं होता। ये कहानी है सुंदरा की। जो एक मध्यम वर्गीय कृषक परिवार जो कि जनपद पंचायत गीदम के अंतर्गत ग्राम पंचायत गुमड़ा के पटेलपारा की निवासी है। सुंदरा अपने परिवार की जीवन यापन के लिए कृषि और मजदूरी पर निर्भर रहती है। कुछ समय पूर्व पति की असमय मृत्यु हो जाने से घर और एकमात्र पुत्री की संपूर्ण जिम्मेदारी सुंदरा के कंधे पर आ गई। घर में अन्य पुरुष सदस्य न होने और खेती से जीवन यापन सही तरीके से नहीं चलने के कारण सुंदरा के परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर थी। इससे उसकी अपने स्वर्गीय पति के साथ संजोये स्वयं के पक्के आवास का सपना पूर्ण करना असंभव प्रतीत हो रहा था तथा वह जर्जर कच्चा और घास फूस से बने घर में निवास करने पर विवश थी।
PM आवास योजना से कच्चे घर को पक्के आशियाने में बदला
इसी बीच केंद्र सरकार की महत्वपूर्ण योजना प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के बारे में पता चला। योजना के तहत 2018-19 में सुंदरा को आवास की स्वीकृति प्राप्त होने के बाद उसे उसके पक्के मकान का सपना साकार होने की उम्मीद जगी। जिसे पूरा करने में सुंदरा के पिता और भाइयों में भी हरसंभव सहायता प्रदान की। योजना के तहत सुंदरा को मकान निर्माण के लिए 1,30,000, शौचालय के लिए 12,000 और मनरेगा के तहत 95 दिवस की मजदूरी भी शासन की ओर से सुंदरा के बैंक खाते में स्थानांतरित की गई। साथ ही उज्जवला योजना अंतर्गत रसोई गैस भी शासन की ओर से दिया गया। प्रधानमंत्री आवास के बन जाने के बाद सुरक्षा और आत्मविश्वास की भावना से परिपूर्ण सुंदरा अपने सामाजिक स्तर तथा स्वास्थ्य में सकारात्मक बदलाव महसूस कर रही है।
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