Chhattisgarh: सुरक्षा पेंशन योजना में जमकर धांधली, CAG ने जारी की रिपोर्ट

Chhattisgarh:  सुरक्षा पेंशन योजना में जमकर धांधली, CAG ने जारी की रिपोर्ट
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छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सुरक्षा पेंशन योजना (Pension Scheme) के क्रियान्वयन में सीएजी (CAG) ने रिपोर्ट जारी की है। जिसमें राज्य में 80 साल की आयु प्राप्त करने वाले हितग्राहियों की बढ़ी हुई पेंशन से वंचित किया गया है। यहां पढ़िए पूरी खबर...

छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना के क्रियान्वयन में सीएजी (CAG) ने बड़ी गड़बड़ी उजागर की है। राज्य में 80 साल की आयु वाले हितग्राहियों को बढ़ी हुई पेंशन (Pension) से वंचित किया गया है। इसके अलावा जिन लोगों की मृत्यु हो चुकी थी, उनके नाम पर भी पेंशन की राशि निकाली जाती रही है।

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय नि:शक्त पेंशन के तहत 80 वर्ष तक के हितग्राहियों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना (Indira Gandhi National Old Age Pension Scheme) के तहत लाया जाना था। इस योजना के तहत 80 वर्ष की आयु प्राप्त करने वाले हितग्राही 650 रुपए प्रतिमाह की बढ़ी हुई दर पर पेंशन के हकदार हैं। निर्देशों के मुताबिक, राज्य की दो योजनाओं सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना और सुखद सहारा योजना के हितग्राही, जो आयु में छूट और अन्य शर्तों के साथ एनएसएपी की योजनाओं के समान बीपीएल मानदंड रखते थे, 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना में स्थानांतरित किए जाने थे।

जांच में मिली गड़बड़ी

लेखा परीक्षा में पाया गया कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय निःशक्त पेंशन योजना (Indira Gandhi National Disabled Pension Scheme) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय विधवा पेंशन योजना के हितग्राहियों को 80 वर्ष की आयु प्राप्त करने के बाद इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना में स्थानांतरित नहीं किया गया था, इसलिए बढ़ी हुई दरों पर पेंशन लाभ प्राप्त नहीं कर सके है। इसी प्रकार सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजना और सुखद सहारा योजना में 80 वर्ष और उससे अधिक आयु के हितग्राहियों को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय वृद्धावस्था पेंशन योजना में स्थानांतरित नहीं करने के कारण बढ़ी हुई पेंशन नहीं मिल रही थी।

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हितग्राहियों की मृत्यु के बाद भी पेंशन

एक तरफ 80 साल के पात्र हितग्राहियों को बढ़ी हुई पेंशन (Pension) की राशि से वंचित किया गया, तो दूसरी ओर मृत हितग्राहियों के नाम पर राशि निकाली जाती रही। सीएजी (CGA) ने रिपोर्ट में इसका भी खुलासा किया है। लेखा परीक्षा ने पाया कि हितग्राही की मृत्यु के बाद तुरंत पेंशन नहीं रोकी है। लेखा परीक्षा के दौरान पेंशन रोकने में विलंब के मूल्यांकन के लिए 100 नमूनों की जांच की गई है। यह पाया गया कि आठ प्रकरणों में पेंशन समय से 39 प्रकरणों में छह महीने तक के विलंब, 18 प्रकरणों में छह महीने से एक साल तक के विलंब, 13 प्रकरणों में एक साल से दो साल तक विलंब से पेंशन रोकी गई है। जबकि चार प्रकरणों में चार वर्षों तक विलंबित थी। पांच हितग्राहियों की मौत के 7 से 51 महीनों बाद तक भी पेंशन बंद नहीं की गई। सीएजी ने कहा है कि यह विभाग की निगरानी की विफलता को दर्शाता है।

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